COP क्या है, यह हर साल क्यों होता है? अज़रबैजान में जारी बैठक लेकर क्या सवाल उठ रहे हैं

COP
@COP29_AZ
अभिनय आकाश । Nov 12 2024 6:49PM

विकसित देशों को कार्बन उत्सर्जन और इससे होने वाली ग्लोबल वॉर्मिंग की बड़ी वजह माना जाता है। वहीं, इन समस्याओं का असर गरीब और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों परर पड़ता है। ग्लोबल वॉर्मिंग की मार झेल रहे इन देशों की मदद के लिए पैसा (क्लाइमेट फाइनेंस) तय करना इस मीटिंग का बड़ा अजेंडा है।

अजरबैजान की राजधानी बाकू में आयोजित 29वें संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन में शिरकत करने के लिए विश्व नेता एकत्रित हुए हैं। हालांकि, इस सम्मेलन में प्रमुख विश्व नेता और शक्तिशाली देश नदारद हैं जबकि पिछली जलवायु वार्ताओं में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इस साल की वार्षिक जलवायु वार्ता शतरंज की बिसात जैसी होने की उम्मीद है जिसमें भले ही चर्चित हस्तियां नहीं हों लेकिन विभिन्न मुद्दों पर विकसित और विकासशील देशों के बीच शह और मात का खेलने देखने को मिल सकता है। 

इसे भी पढ़ें: COP29: जलवायु को लेकर अजरबैजान में महामंथन, इन पर फोकस भारत की रणनीति

COP क्या है, यह हर साल क्यों होता है?

कॉप का मतलब है कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज' जो संयुक्त राष्ट्र का संगठन है। इसमें वे 200 देश शामिल हैं, जिन्होंने 1992 में यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज के समझौते पर दस्तखत किए थे। समझौते का मकसद जलवायु परिवर्तन के मूल कारणों से निपटने के सही तरीकों पर बातचीत और उसके मुताबिक कदम उठाना था और इसी के लिए हर साल ये देश इस सम्मेलन में शिरकत करते हैं। कॉप 29 ऐसा 29वां सम्मेलन है।

ग्लोबल वॉर्मिंग की बड़ी वजह 

विकसित देशों को कार्बन उत्सर्जन और इससे होने वाली ग्लोबल वॉर्मिंग की बड़ी वजह माना जाता है। वहीं, इन समस्याओं का असर गरीब और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों परर पड़ता है। ग्लोबल वॉर्मिंग की मार झेल रहे इन देशों की मदद के लिए पैसा (क्लाइमेट फाइनेंस) तय करना इस मीटिंग का बड़ा अजेंडा है। नए लक्ष्य र सहमति अमीर और गरीब देशों के बीच विश्वास कायम करने की दिशा में अहम कदम होगी, पर अब तक ट्रैक रेकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। साल 2020 में तय हुआ कि धनी देश हर साल 100 अरब डॉलर देंगे, लेकिन 2022 को छोड़ कभी यह लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। बैठक में कई देश ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने की रणनीति रखेंगे।

इसे भी पढ़ें: बाकू सम्मेलन अमीर देशों की उदासीनता दूर कर पायेगा

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दमन का आरोप

अजरबैजान की राजधानी में आयोजित हो रही संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (सीओपी29) में शामिल होने के लिए करीब 200 देशों के प्रतिनिधि, सैकड़ों पत्रकार आए हैं। अजरबैजान का मानवाधिकार रिकॉर्ड पिछले कई वर्षों से खराब रहा है और सरकार ने पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और स्वतंत्र राजनीतिज्ञों को अक्सर निशाना बनाती रही है। मानवाधिकार संगठनों ने अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और उनके प्रशासन पर जलवायु शिखर सम्मेलन से पहले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सख्ती से दमन करने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि प्रशासन ने जलवायु कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को निशाना बनाया है। अलीयेव के पिता हैदर ने 1993 से लेकर 2003 में अपनी मृत्यु तक अजरबैजान पर शासन किया और उनके बाद इल्हाम ने सत्ता संभाली। दोनों पर असहमति की आवाज दबाने का आरोप लगता रहा है। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़