अफगानिस्तान में वजूद की लड़ाई लड़ते हिन्दू और सिखों को शरण देने के लिए US कांग्रेस में प्रस्ताव पेश
अमेरिकी कांग्रेस में पेश इस प्रस्ताव में हिंदू-सिखों को अफगानिस्तान का मूल निवासी बताते हुए कहा गया है कि वे संकटग्रस्त अल्पसंख्यक हैं और इनकी आबादी युद्धग्रस्त देश में बहुत तेजी से कम हो रही है, लिहाजा इन्हें शरण मिलना चाहिए।
अफगानिस्तान में कभी दो लाख 20 हजार हिंदू और सिख परिवार थे। लेकिन अब वो महज 220 रह गए हैं। इस अल्पसंख्यक समुदाय की जान, धर्म, ईमान हर चीज पर हमला हो रहा है। लिहाजा वे अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर छिपते फिर रहे हैं। अफगानिस्तान में हिन्दू और सिखों की बदहाली और जान की आफत पर अमेरिका कांग्रेस में एक प्रस्ताव आया है। इस प्रस्ताव में अफगानिस्तान में जान, धर्म, ईमान बचाते फिर रहे हिंदू और सिखों को संकटग्रस्त अल्पसंख्यक करार दिया गया है साथ ही उन्हें अमेरिका में बसाने की मांग की गई है। अमेरिकी कांग्रेस में पेश इस प्रस्ताव में हिंदू-सिखों को अफगानिस्तान का मूल निवासी बताते हुए कहा गया है कि वे संकटग्रस्त अल्पसंख्यक हैं और इनकी आबादी युद्धग्रस्त देश में बहुत तेजी से कम हो रही है, लिहाजा इन्हें शरण मिलना चाहिए।
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अस्तित्व के खतरे को रेखांकित किया गया
अमेरिकी संसद के निम्न सदन प्रतिनिधि सभा में पेश प्रस्ताव में सांसद जैकी स्पीयर और अन्य सात सह प्रायोजक सदस्यों ने कहा कि उनका प्रस्ताव अफगानिस्तान के हिंदुओं और सिखों को शरणार्थी सुरक्षा देने का समर्थन करता है और समुदाय के सदस्यों द्वारा सामना किए जा रहे ‘‘संस्थागत धार्मिक उत्पीड़न, भेदभाव और अस्तित्व के खतरे को रेखांकित करता है।
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गुरुद्वारे पर किए गए हमले और जलालाबाद की घटना का जिक्र
अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की सुरक्षा के प्रति चिंता जताते हुए प्रस्ताव में इन समुदायों के खिलाफ सभी आतंकवादी हमलों, धार्मिक उत्पीड़न और भेदभाव की निंदा की गई है। प्रस्ताव में इस्लामी आतंकवादियों द्वारा 25 मार्च को गुरुद्वारे पर किए गए हमले में चार साल की बच्ची सहित 25 लोगों की मौत का जिक्र करते हुए कहा गया कि पीड़ितों के अंतिम संस्कार से पहले और बाद में सिखों पर और भी हमलों के प्रयास किए गए। प्रस्ताव में एक जुलाई 2018 को इस्लामिक स्टेट-खोरासान द्वारा जलालाबाद में किए गए हमले का भी जिक्र किया गया है जिसमें सिख और हिंदु समुदाय के सदस्यों सहित 19 लोगों की मौत हुई थी।
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