अफगान युद्ध पर 2.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च करने के दावे का सच, इस माध्यम से पैसा वापस अमेरिका चला गया
मेरिका ने अफगानिस्तान में युद्ध पर 2.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए। प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो ये आंकड़ा 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर बैठता है। बाइडेन ने कहा कि हम इस रकम का अपने देश में विकास कार्यों में इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन आखिर ये पैसा गया कहां? इसका जवाब है इसमें से ज्यादातर राशी वापस अमेरिकी के पास ही चली गई।
अफगानों के रहनुमा, लोकतंत्र के प्रहरी ‘आतंकवाद के दुश्मन’ जैसे तमगे ओढ़ने वाला अमेरिका पहली फ़ुर्सत में काबुल से रुख़सत हो चुका हैं। अपने इतिहास के सबसे लंबे युद्ध से पीठ दिखाकर अमेरिका वापस लौट चुका है। अमेरिका ने लगातार ये दावे किए कि 20 सालों तक चले युद्ध में अरबों रुपये खर्च करने किए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस संबोधन में दौरान भी कहा था कि हमने अरबों रुपये खर्च किए। हमने करीब तीन लाख क्षमता वाली अफगान सैन्य बल को प्रशिक्षित किया और हथियार मुहैया कराए। अमेरिका ने अफगानिस्तान में युद्ध पर 2.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए। प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो ये आंकड़ा 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर बैठता है। बाइडेन ने कहा कि हम इस रकम का अपने देश में विकास कार्यों में इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन आखिर ये पैसा गया कहां? इसका जवाब है इसमें से ज्यादातर राशी वापस अमेरिकी के पास ही चली गई। इसमें से अधिकांश पैसा निजी ठेकेदारों और डिफेंस कंपनियों के माध्यम से वापस अमेरिका के पास ही गया। अमेरिका ने अफगान युद्ध में आउट सोर्ससिंग किया। वो फंडिंग तो कर रही थी लेकिन ज्यादातर कार्य निजी कंपनी के द्वारा ही किया जा रहा था। अमेरिकी निजी कंपनियां सारी चीजों की आपूर्ति कर रहे थे। व्हीकल से लेकर एयरक्रॉफ्ट, एम्युनेशन और यहां तक की अफगान सैनिकों को ट्रेनिंग का काम भी इन्हीं के जिम्मे था। इन कामों के बदले उन्हें पैसे भुगतान किए जा रहे थे। ऐसे में अमेरिकी ने पैसे तो दिए लेकिन वो पैसे घूम फिरकर अमेरिका में ही वापस आ गए। शीर्ष अमेरिकी हथियार डीलरों को 2001 से 2021के बीच सार्वजनिक धन में 2 ट्रिलियन डॉलर मिले।
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ये आंकड़े ये बताने के लिए काफी हैं कि अफगान की सैन्य कार्रवाई 20 सालों तक क्यों चली। क्योंकि इस युद्ध का सीधा सा मतलब था शुद्ध मुनाफा। पेंटागन की तरफ से अफगान आर्मी की मदद के लगातार दावे किए जा रहे थे। लेकिन वास्तविकता ये है कि अमेरिकन टेक्नलॉजी से य़ूएस ने अफगानिस्तान के लड़ाकों को लैस कर दिया। सभी के सभी अमेरिकी ठेकेदारों से खरीदे गए। ये एक हथियारों के सौदागरों, राजनेता और व्हाइट हाउस का नेक्सेस है। विकिलिक्स के फाउंडर जूलियस असांजे ने अफगान युद्ध का जिक्र करते हुए आज से दस साल पहले 2011 में ही दावा किया था कि अफगानिस्तान युद्ध की आड़ में हथियारों के सौदागरों को मुनाफा पहुंचाने का ये पूरा खेल है।
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