ट्रंप ने बताया, ताबड़तोड़ ईरानी मिसाइल हमले से कैसे बच निकले अमेरिकी सैनिक

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निधि अविनाश । Jan 9 2020 6:42PM

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि कि ईरान के हमले में किसी भी अमेरिकी सैनिक की मौत नहीं हुई हैं,हालांकि थोड़े बहुत नुकसान जरूर हुए है। अमेरिका के इस बयान के बाद क्या हम यह समझें कि अमेरिका को पहले से ही पता था कि ईरान उनके सैन्य ठिकानों पर हमला करने वाला था।

दिल्ली। अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गये कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए ईरान आग की तरह धधक रहा था और उसकी मौत के बाद बुधवार को ईरान ने इराक में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर 12 मिसाइलों से ताबड़तोड़ हमले किए। इस हमले के बाद ईरान ने कहा था कि यह हमला अमेरिका के मुंह पर तमाचा है और यह भी दावा किया था कि इस हमले में 80 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।

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इस बीच अमेरिका ने चुप्पी साधी हुई थी और हमले के कुछ ही घंटों बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मीडिया के सामने आए और बताया कि ईरान के हमले में किसी भी अमेरिकी सैनिक की मौत नहीं हुई हैं, हालांकि थोड़े बहुत नुकसान जरूर हुए है पर किसी भी सैनिक को एक भी खंरोच नहीं आई है। 

अमेरिका के इस बयान के बाद क्या हम यह समझें कि अमेरिका को पहले से ही पता था कि ईरान उनके सैन्य ठिकानों पर हमला करने वाला था। सोचने वाली बात है कि ईरान द्वारा दर्जनों मिसाइली हमलों के बावजूद आखिर सारे अमेरिकी सैनिक बच कैसे गए? और कहां गए? हर किसी के दिमाग में यह सवाल आ सकता है कि आखिर इतने ताबड़तोड़ मिसाइली हमलों के बावजूद अमेरिकी सैनिक सुरक्षित कैसे बच गए।

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दरअसल जब तक ईरान अमेरिकी सैनिकों पर हमला करता उससे पहले ही अमेरिका के अर्ली वॉर्निंग सिस्टम की बदौलत सैनिकों को इसकी जानकारी मिल चुकी थी और वह सब अपने ठिकानों से निकलकर बंकर में जा छुपे थे इसलिए किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ।

क्या है अमेरिका का यह अर्ली वॉर्निंग सिस्टम?

अर्ली वॉर्निंग सिस्टम घटनाओं के नुकसान की भविष्यवाणी करने और उन्हें कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया हैं। यह एक ऐसी प्रारंभिक चेतावनी यंत्र है जो पहले से होने वाले खतरों से अवगत कराता है। इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों से करीब 6 हजार मील दूर इस सिस्टम को लगाया गया है और जब ईरान मिसाइली हमले करने जा रहा था तभी इस सिस्टम की मदद से अमेरिकी सैनिकों को इस हमले की जानकारी मिल गई थी। 

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क्या इराक ने दी थी अमेरिका को इसकी जानकारी?

ईरान ने पहले ही इराक सरकार को हमले की जानकारी दे दी थी कि वह अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाएंगे और अब सवाल यह उठ रहे है कि कहीं इराक ने अमेरिका को इस हमले की पहले से जानकारी तो नहीं दी थी। कहा तो यह भी जा रहा है कि हमले से पहले और बाद में अमेरिका और इराक एक-दूसरे के संपर्क में थे।

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