तियानमेन स्क्वायर 2.0? ग्राहकों के खाते सीज, चीन में बैंकों के सामने तैनात हुए टैंक
इस वक्त चीन गंभीर बैंकिंग संकट के दौर से गुजर रहा है। हालात इतने बदतर हैं कि कई बैंकों ने अपने ग्राहकों के पैसे निकालने पर रोक लगा दी है। ऐसे में हजारों लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। अब कई जगहों पर प्रदर्शन हिंसक हो गया है।
1989 के तियानमेन स्क्वायर नरसंहार के तीन दशक बाद बख्तरबंद टैंकों को चीन की सड़कों पर एक बार फिर से देखा गया है। ये टैंक बैंकों के बाहर तैनात किेए गए हैं। लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध के बीच टैंकों की तैनाती की गई है। देश के हेनान प्रांत में पिछले कई हफ्तों से पुलिस और जमाकर्ताओं के बीच झड़पें हो रही हैं, जिसमें कहा गया है कि उन्हें इस साल अप्रैल से बैंकों से अपनी जमा बचत राशी वापस लेने से रोका जा रहा है। ताजा वीडियो ऑनलाइन के माध्यम से सामने आए हैं जिसमें चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के टैंकों को प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए सड़कों पर तैनात देखा जा सकता है। बैंक जमाकर्ताओं द्वारा अपने जमा किए हुए धन को जारी करने को लेकर प्रांत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
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दरअसल, इस वक्त चीन गंभीर बैंकिंग संकट के दौर से गुजर रहा है। हालात इतने बदतर हैं कि कई बैंकों ने अपने ग्राहकों के पैसे निकालने पर रोक लगा दी है। ऐसे में हजारों लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। अब कई जगहों पर प्रदर्शन हिंसक हो गया है। लोगों का उग्र रूप देखते हुए चीन की सड़कों पर पुलिस और टैंक उतर गए हैं। मीडिया सरकारी नियंत्रण में है। ऐसे में मेन स्ट्रीम मीडिया से इस तरह की खबरों के सामने आने की गुंजाइश न के बराबर है। यही वजह है कि लोग सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर अपने इस झड़पों की वीडियो शेयर कर रहे हैं और अपने पैसे की मांग कर रहे हैं।
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जून 1989 में बीजिंग में भारी उथल पुथल मची हुई थी। चीनी छात्र लोकतंत्र की मांग कर रहे थे। छह हफ्तों तक बीजिंग की सड़कों पर प्रदर्शन होता रहा। प्रदर्शन का मुख्य अड्डा तियानमेन चौक था। प्रदर्शन लंबा चल रहा था। 3-4 जून की दरमियानी रात चीन ने प्रदर्शनकारियों पर बड़ी कार्रवाई की। प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर ऑटोमैटिक राइफल्स और टैंक के साथ हमला किया गया। इस दौरान दुनिया को वो मशहूर तस्वीर देखने को मिली जिसमें एक निहत्था आदमी चीनी सेना के टैंक का रास्ता रोके खड़ा था। विदेशी मीडिया के मुताबिक करीब 10 हजार प्रदर्शकारियों की हत्या कर दी गई। उस वक्त देनजियाउ पेंग चीन के राष्ट्रपति थे।
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