Uttar Pradesh के बिजली कर्मी पहली जनवरी को मनायेंगे काला दिवस

UP electricity workers
ANI
अजय कुमार । Dec 28 2024 3:02PM

बिजली कर्मियों की संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का आरोप है कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण की एकतरफा कार्रवाई करके अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना रहा है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा प्रदेश की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में देने के निर्णय का बिजली कर्मियों द्वारा भारी विरोध हो रहा है। बिजली कर्मी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके साथ ही अब बिजली कर्मियों ने एलान किया कि एक जनवरी को बिजली कर्मी पूरे प्रदेश में काली पट्टी बांध कर कार्य करेंगे। इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया जाएगा। हालांकि बिजली व्यवस्था पर इसका कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा। ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी अपना काम करते रहेंगे। बता दें काफी दिनों से प्रदेश में निजीकरण के विरोध में अभियंताओं और कार्मिकों का विरोध प्रदर्शन जारी है। गत दिवस भी गोरखपुर में हुई पंचायत में निजीकरण का प्रस्ताव खारिज होने की घोषणा तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया गया।

बिजली कर्मियों की संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का आरोप है कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण की एकतरफा कार्रवाई करके अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना रहा है। संघर्ष समिति के शैलेन्द्र दुबे, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, महेन्द्र राय आदि ने ऐलान किया कि 29 दिसंबर को झांसी में होने वाली बिजली पंचायत भी ऐतिहासिक होगी। इसकी तैयारी की जा चुकी है। इसके बाद पांच जनवरी को प्रयागराज में भी बिजली पंचायत होगी। इसी के साथ हर डिस्कॉम में चार अधिशासी अभियंताओं को निलंबित करने के आदेश पर पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आक्रोश जताया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप करने और पूरे मामले में कमेटी बनाकर जांच कराने की मांग की है। 

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एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि निगमों के प्रबंध निदेशकों की भाषा शैली पर कॉर्पोरेशन प्रबंधन तत्काल कार्रवाई करे। मुफ्त समाधान योजना की समीक्षा के नाम पर अभियंताओं को लक्ष्य बनाकर की जा रही कार्रवाई से निगमों में औद्योगिक अशांति पैदा होगी। एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, अनिल कुमार, आरपी केन, बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, एके प्रभाकर आदि ने कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि एक मुफ्त समाधान योजना की 10 दिन के अंदर समीक्षा के आधार पर अभियंताओं को टारगेट किया जा रहा है।

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