पाकिस्तान से मदद लेकर पंजशीर पर कब्जे की लगातार कोशिश कर रहा तालिबान? मिल रही है नाकामी
तालिबान ने अपने विरोधियों के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के आखिरी प्रांत पंजशीर को नियंत्रण में लेने का दावा किया है। सुरक्षा कारणों से पहचान गोपनीय रखते हुए चश्मदीदों ने बताया कि हजारों की संख्या में तालिबान लड़ाकों ने पूरी रात कार्रवाई कर पंजशीर के आठ जिलों पर कब्जा कर लिया।
काबुल। तालिबान ने अपने विरोधियों के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के आखिरी प्रांत पंजशीर को नियंत्रण में लेने का दावा किया है। सुरक्षा कारणों से पहचान गोपनीय रखते हुए चश्मदीदों ने बताया कि हजारों की संख्या में तालिबान लड़ाकों ने पूरी रात कार्रवाई कर पंजशीर के आठ जिलों पर कब्जा कर लिया। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने सोमवार को एक बयान जारी कर पुष्टि की कि पंजशीर अब तालिबान लड़ाकों के नियंत्रण में है। मुजाहिद ने बाद में काबुल में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने बातचीत के जरिये समस्या का समाधान करने की पूरी कोशिश की लेकिन उन्होंने बातचीत करने से इनकार कर दिया जिसके बाद हमने लड़ाकों को भेजा।’’
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तालिबान विरोधी लड़ाकों का नेतृत्व पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह एवं अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने लंबे समय तक तालिबान के खिलाफ मोर्चा कायम रहने पर आशंका जताई थी, जिसे 20 साल तक युद्धग्रस्त देश में अमेरिका की मौजूदगी के आखिरी दिनों में बहुत कम प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। अफगानिस्तान में अब भी अनेक लोग देश छोड़ने की उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन काबुल हवाई अड्डे से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन नहीं हो रहा है जिससे उनके पास बहुत कम विकल्प बचे हैं। इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी बल्ख प्रांत में सैकड़ों लोगों को ले जाने को तैयार चार विमान कई दिनों से उड़ान नहीं भर पाए हैं। लेकिन इसके कारणों को लेकर विरोधाभासी सूचनाएं आ रही हैं।
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अमेरिका, अफगानिस्तान में बचे अमेरिकियों और ग्रीनकार्ड धारकों को निकालने के लिए दबाव में है और वादा किया है कि वह तालिबान के नए शासन के साथ काम करेगा लेकिन कोई समयसीमा नहीं दी है। प्रांतीय राजधानी मजार-ए-शरीफ में हवाई अड्डे पर तैनात एक अफगान अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि उन विमानों में अफगान लोग जाने वाले थे, जिनमें से कई के पास पासपोर्ट या वीजा नहीं था और इसलिए ही वे देश नहीं छोड़ पाए। वे हवाईअड्डे से चले गए हैं और स्थिति से निपटने की कोशिश जारी है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदशी मामलों की समिति के एक शीर्ष रिपब्लिकन ने कहा कि समूह में अमेरिकी शामिल थे और वे विमानों में सवार हो गए थे, लेकिन तालिबान उन्हें ‘‘बंधक बनाकर’’ उड़ान नहीं भरने दे रहा। टेक्सास के प्रतिनिधि माइकल मैककॉल ने ‘फॉक्स न्यूज संडे’ से कहा कि अमेरिकी नागरिक और अफगान दुभाषिए छह विमानों में सवार थे। मैककॉल ने इस बारे में कुछ नहीं बताया कि यह जानकारी उन्हें कहां से मिली। अधिकारियों और रिपब्लिकन सांसद के बयान के एक-दूसरे जुड़े होने की भी अभी पुष्टि नहीं हो पाई है। अमेरिकी अधिकारियों ने हालांकि माना है कि उन्होंने चार अमेरिकी नागरिकों के परिवारों को जमीन के रास्ते निकलने में मदद की। अधिकारी ने सुरक्षा कारणों और इस रास्ते को भविष्य के लिए बचाने के लिए निकासी की विस्तृत जानकारी नहीं दी और न ही बताया कि उन्हें किस देश में ले जाया गया है।
हवाई मार्ग से लोगों को निकालने की कोशिश के बीच पहली बार अमेरिका सरकार ने जमीन के रास्ते लोगों को निकाले की पुष्टि की है। इस बीच, तालिबान ने कहा कि वह काबुल हवाई अड्डे की मरम्मत का प्रयास कर रहा है जहां से दिन में केवल घरेलू उड़ानों का परिचालन हो रहा है। तालिबान के प्रवक्ता मुजाहिद ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि अमेरिकी सैनिकों ने देश छोड़ने से पहले अहम रडार प्रणाली सहित करोड़ों डॉलर के उपकरण क्षतिग्रस्त कर दिए। कतर और तुर्की के तकनीकी विशेषज्ञों ने इनकी मरम्मत शुरू की है लेकिन अब तक स्पष्ट नहीं है कि हवाई अड्डा कब तक परिचालन के लायक होगा। तालिबान ने वादा किया है कि उचित कानूनी दस्तावेज रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को वह देश से जाने की अनुमति देगा। वहीं, कई देशों ने कहा कि वे नए शासक पर करीब से नजर रख रहे हैं और देख रहे हैं कि वह अपने वादे पर कायम रहता है या नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि पंजशीर में तालिबान लड़ाकों के भौगोलिक स्तर पर बढ़त बनाने की बहुत कम संभावना है। विशाल हिंदूकुश पहाड़ों में स्थित, पंजशीर घाटी में प्रवेश का एक ही संकीर्ण रास्ता है। स्थानीय लड़ाके 1980 के दशक में सोवियत को यहां से बाहर करने में सफल हुए थे और दशक बाद संक्षिप्त समय के लिए मसूद के नेतृत्व में लड़ाकों ने तालिबान को भी रोक दिया था।
मसूद के बेटे अहमद ने रविवार को एक बयान में हाल के दिनों में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि उनकी सेना अपने हथियार डालने को तैयार है, अगर तालिबान अपने हमले रोकने को सहमत हो जाए। कई वाहनों को रविवार रात पंजशीर घाटी में घुसते देखा गया था, जिनमें तालिबान के लड़ाके सवार थे। सोमवार को जारी दूसरे बयान में बागी रुख अपनाने वाले अहमद मसूद ने तालिबान पर संघर्ष विराम के लिए तैयार होने के बावजूद हमला करने का आरोप लगाया। उन्होंने लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया और अफगानों से तालिबान के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी तालिबान से बातचीत के लिए मंच मुहैया कराने पर फटकार लगाई। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति सालेह की ओर से अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है। सालेह ने 15 अगस्त को तालिबान के राजधानी के द्वार पर पहुंचने पर राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने के बाद खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया था। सालेह और मसूद अहमद के ठिकाने की सोमवार को तत्काल जानकारी नहीं मिल सकी।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक बयान में पंजशीर के निवासियों को आश्वासन दिया कि वे सुरक्षित रहेंगे, जबकि तालिबान के वहां पहुंचने से पहले कई परिवार पहाड़ों में भाग गए। मुजाहिद ने कहा, ‘‘हम पंजशीर के माननीय निवासियों को आश्वासन देते हैं कि उनके साथ किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा, सभी हमारे भाई हैं और हम सभी को देश की सेवा तथा समान हितों के लिए काम करेंगे।’’ पंजशीर घाटी में तालिबान और अहमद मसूद के नेतृत्व वाले नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (एनआरएफ) के लड़ाकों के बीच संघर्ष बढ़ गया था। तालिबान के कई प्रतिनिधिमंडलों ने वहां के कुछ प्रमुख नेताओं से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे थे। तालिबान विरोधी गुट के प्रवक्ता फहीम दशती की भी रविवार को संघर्ष में मौत हो गई।
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