तुम्हें तो मैं घर पर बांध कर आया था... फिर आ गई हाथापाई की नौबत, 370 के लिए पाकिस्तान की संसद में बवाल की कहानी

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अभिनय आकाश । Dec 11 2023 4:10PM

भारत में सुप्रीम कोर्ट ने करीब चार साल और चार महीने बाद एक फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बीआर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है।

चीख, चिल्लाहट और दो टके की बातें पाकिस्तान की संसद में देखने को मिली थी। पाकिस्तान के दो बड़े नेता दुनिया के सामने एक दूसरे को गालियां दे रहे थे। ये नजारा 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार की तरफ से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के फैसले के बाद देखने को मिला था। इस मामले को लेकर पाकिस्‍तान संसद के दोनों सदनों का संयुक्‍त सत्र बुलाया गया था। संसद में बयानबाजी तो भारत के खिलाफ शुरू हो गई लेकिन कुछ ही समय के बाद केंद्रीय मंत्री और विपक्षी सांसद के बीच गाली-गलौच और हाथापाई की नौबत आ गई थी। 

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भारत में सुप्रीम कोर्ट ने करीब चार साल और चार महीने बाद एक फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बीआर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 निरस्त किया गया था। 370 को निरस्त करने के खिलाफ कुल 18 याचिकाएं दायर की गई थी जिन पर 16 सुनवाई हुई और उन पर 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि 370 अस्थायी प्रावधान था। 

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आपको बता दें कि 370 हटने के फैसले के बाद पाकिस्तान में खूब विवाद हुआ था। उस वक्त इमरान खान प्रधानमंत्री थे। नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएनएल नवाज मुशाहिदउल्ला खां और इमरान खान सरकार के मंत्री फवाद चौधरी के बीच 370 को लेकर बहस हो गई। मुशाहिदउल्ला खां ने फवाद चौधरी को कहा कि मैं तो तुम्हें घर पर बांध कर आया था। तुम संसद में कैसे पहुंच गए। उसके बाद खान की इस आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद चौधरी उनकी तरफ  बढ़े। लेकिन अन्य सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया। दोनों नेताओं के बीच संसद में बयानबाजी काफी देर तक चलती रही। इसके बाद में स्पीकर ने खान और चौधरी के असंसदीय शब्दों को सदन के रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया। फिलहाल इन नेताओं की बयानबाजी का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है। 

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