श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति चुनाव विलंब से कराने की याचिका खारिज की

Sri Lanka Supreme Court
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पांच सदस्यीय पीठ ने अटॉर्नी जनरल के तर्कों के आधार पर आगे बढ़ने की इजाजत दिए बिना याचिका को जुर्माने के साथ खारिज कर दिया। पिछले हफ्ते एक व्यक्ति ने मौलिक अधिकार याचिका दायर कर अदालत से संविधान में अनुच्छेद 30(2) और 82 के संबंध में राष्ट्रपति पद के कार्यकाल की अस्पष्टता पर स्पष्टीकरण आने तक चुनाव नहीं कराने का आग्रह किया था।

कोलंबो। श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें अनुरोध किया गया था कि इसी सालप्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव को विलंब से कराया जाए। याचिका में अनुरोध किया गया था कि जब तक राष्ट्रपति पद के कार्यकाल को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर दी जाती तब तक चुनाव नहीं कराया जाए।

पांच सदस्यीय पीठ ने अटॉर्नी जनरल के तर्कों के आधार पर आगे बढ़ने की इजाजत दिए बिना याचिका को जुर्माने के साथ खारिज कर दिया। पिछले हफ्ते एक व्यक्ति ने मौलिक अधिकार याचिका दायर कर अदालत से संविधान में अनुच्छेद 30(2) और 82 के संबंध में राष्ट्रपति पद के कार्यकाल की अस्पष्टता पर स्पष्टीकरण आने तक चुनाव नहीं कराने का आग्रह किया था। 

वर्ष 2015 में किये गए 19वें संशोधन के जरिए अनुच्छेद 30(2) के तहत राष्ट्रपति के कार्यकाल को छह से घटाकर पांच साल तक सीमित कर दिया गया था और अनुच्छेद 82 को बदलने के लिए कोई जनमत संग्रह नहीं कराया गया था, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति के कार्यकाल को जनमत संग्रह के जरिये छह साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसलिए याचिकाकर्ता ने इस शब्द पर स्पष्टता की मांग की।

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लेकिन अटॉर्नी जनरल ने आज सुबह दलील दी कि राष्ट्रपति के कार्यकाल को लेकर कोई अस्पष्टता नहीं है जिसकी अवधि पांच साल है। चुनाव आयोग ने संकेत दिये हैं कि राष्ट्रपति चुनाव 17 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच कराया जा सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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