रूस को अलग थलग किये जाने के प्रयासों का समर्थन नहीं करने के लिए भारत की सराहना करते हैं: रूसी राजदूत
अलीपोव ने यह भी कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) के विस्तार के विचार को डीजिटल माध्यम से समूह के हालिया शिखर सम्मेलन में सैद्धांतिक समर्थन मिला है, लेकिन उन्होंने कहा कि मामले में कोई भी जल्दबाजी प्रतिकूल हो सकती है।
नयी दिल्ली| भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने मंगलवार को कहा कि बहुपक्षीय मंचों पर उनके देश को अलग-थलग करने के प्रयासों का समर्थन नहीं करने के लिए रूस भारत की सराहना करता है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा है।
अलीपोव ने यह भी कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) के विस्तार के विचार को डीजिटल माध्यम से समूह के हालिया शिखर सम्मेलन में सैद्धांतिक समर्थन मिला है, लेकिन उन्होंने कहा कि मामले में कोई भी जल्दबाजी प्रतिकूल हो सकती है।
उन्होंने रूसी प्रकाशन ‘स्पूतनिक’ से बातचीत में कहा, “ ऐसी प्रक्रिया के सिद्धांतों, मानकों और प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से सोचना आवश्यक है, जिसे चर्चा और आम सहमति से विकसित किया जाना चाहिए।” भारत और रूस के संबंध में बारे में अलीपोव ने कहा कि यह साझेदारी एक गहरी रणनीतिक नींव पर टिकी है, जो न केवल मजबूत ऐतिहासिक जड़ों पर आधारित है, बल्कि भविष्य की वैश्विक व्यवस्था के समान दृष्टिकोण पर भी आधारित है।
उन्होंने कहा, “ हम यूक्रेन की घटनाओं के वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन के लिए नई दिल्ली के आभारी हैं।
स्पष्ट रूप से, वे मौजूदा भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक स्थिति की पृष्ठभूमि को समझते हैं ... वे वर्तमान वैश्विक खाद्य और ऊर्जा संकट की उत्पत्ति में गैर कानूनी प्रतिबंधों की विनाशकारी भूमिका देखते हैं।”
अलीपोव ने कहा कि भारत बहुपक्षीय मंचों पर रूस को अलग-थलग करने के प्रयासों का समर्थन नहीं करता है और अन्य प्रमुख वैश्विक तथा क्षेत्रीय समस्याओं की अनदेखी कर, अंतरराष्ट्रीय एजेंडे को संघर्ष तक सीमित करने की पश्चिम के रूख की आलोचना करता है।
उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन संकट की पृष्ठभूमि में वैश्विक ऊर्जा और खाद्य बाजारों की स्थिति पर चर्चा करने के कुछ दिनों बाद आई है।
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