Munich Security Conference । रुसी तेल खरीदने पर पूछा गया सवाल, Jaishankar ने अपने अंदाज में दिया जवाब, सुनकर मुस्कुराने लगे Blinken

Jaishankar
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एकता । Feb 18 2024 2:03PM

जयशंकर ने अपने अंदाज में सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'क्या यह एक समस्या है, यह एक समस्या क्यों होनी चाहिए? अगर मैं इतना होशियार हूं कि मेरे पास कई विकल्प हैं, तो आपको मेरी प्रशंसा करनी चाहिए।' भारतीय विदेश मंत्री का जवाब सुनकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक मुस्कुराते नजर आए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को रूस और अमेरिका के साथ भारत के संतुलित संबंधों पर बात की। इस दौरान जयशंकर ने मजाकिया लहजे में अपनी तारीफ भी की। जर्मनी में आयोजित म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में एक पैनल चर्चा के दौरान विदेश मंत्री से सवाल पूछा गया कि भारत कैसे रूस के साथ व्यापार जारी रखते हुए अमेरिका के साथ बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को संतुलित कर रहा है? जयशंकर ने अपने अंदाज में इस सवाल का जवाब दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा, 'क्या यह एक समस्या है, यह एक समस्या क्यों होनी चाहिए? अगर मैं इतना होशियार हूं कि मेरे पास कई विकल्प हैं, तो आपको मेरी प्रशंसा करनी चाहिए।' भारतीय विदेश मंत्री का जवाब सुनकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक मुस्कुराते नजर आए। बता दें, जयशंकर के अलावा ब्लिंकन और बेयरबॉक भी पैनल का हिस्सा थे।

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म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में विदेश मंत्री जयशंकर ने रूसी तेल खरीदने के भारत के फैसले का भी बचाव किया। उन्होंने कहा, 'इसे दूसरों के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए।' बता दें, यह पहला मौका नहीं है जब विदेश मंत्री ने सस्ता रूसी तेल खरीदने पर भारत के रुख पर बात की है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भारत की रूसी तेल की मासिक खरीद यूरोप द्वारा एक दोपहर में खरीदे जाने वाले तेल से कम है। इतना ही नहीं जयशंकर ने ये भी साफ़ किया था कि भारत ने अपनी खरीद नीतियों से वैश्विक तेल कीमतों में वृद्धि को रोका।

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जयशंकर ने गाजा में मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता के बीच शनिवार को कहा कि भारत कई दशकों से कहता रहा है कि फलस्तीन मुद्दे का द्विराष्ट्र समाधान होना चाहिए और अब बड़ी संख्या में देश न केवल इसका समर्थन कर रहे हैं, बल्कि इसे पहले की तुलना में ‘‘अधिक आवश्यक’’ मान रहे हैं। विदेश मंत्री ने सात अक्टूबर को हमास द्वारा इजराइली शहरों पर किए गए हमलों को ‘‘आतंकवाद’’ बताया, लेकिन साथ ही तेल अवीव की प्रतिक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि मानवीय कानूनों का पालन करना इजराइल का अंतरराष्ट्रीय दायित्व है। जयशंकर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि इजराइल को नागरिकों के हताहत होने के प्रति बहुत सचेत रहना चाहिए। संघर्ष को लेकर भारत की स्थिति स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि इसके विभिन्न पहलू हैं और इन्हें मोटे तौर पर चार बिंदुओं में वर्गीकृत किया गया है।

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