पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में शांति लाने की कोशिशों में सहयोग करने का संकल्प दोहराया

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[email protected] । Jun 22 2019 5:29PM

कुरैशी ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास था लेकिन इसके लिए दोनों देशों के ‘‘दुश्मनों’’ को जिम्मेदार ठहराया। यह सम्मेलन खासा मायने रखता है क्योंकि यह अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी की 27 जून को पाक यात्रा से ठीक पहले हो रहा है।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने युद्ध ग्रस्त देश अफगानिस्तान में शांति लाने की कोशिशों में सहयोग करने का अपना संकल्प दोहराते हुए शनिवार को स्पष्ट किया कि वह इस पड़ोसी देश पर अपना प्रभाव कायम करने की नहीं सोच रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यहां के नजदीक मुरी में अफगान शांति पर आयोजित सम्मेलन ‘लाहौर प्रक्रिया’ में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इसे पूरी तरह से स्पष्ट करता हूं। पाकिस्तान में कोई भी व्यक्ति अफगानिस्तान में यह तथाकथित प्रभाव स्थापित करना नहीं चाहता है। साथ ही किसी और को भी हमारे और अफगानिस्तान के बीच गलतफहमी का बीज नहीं बोने दिया जाएगा।

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दरअसल, कुछ विशेषेज्ञों ने ‘स्ट्रेटेजिक डेप्थ’ का विचार दिया था, जिसके मुताबिक काबुल पर प्रभाव रखने से पाकिस्तान को भारत के साथ युद्ध की स्थिति में बढ़त हासिल रहेगी। गौरतलब है कि अमेरिका ने अतीत में संकेत दिया था कि उसकी योजना अफगानिस्तान में भारत को एक भूमिका देने की है, जहां बरसों से पाकिस्तान का यहस्पष्ट रूख रहा है कि भारत को अफगानिस्तान में कोई भूमिका नहीं निभानी है। कुरैशी ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास था लेकिन इसके लिए दोनों देशों के ‘‘दुश्मनों’’ को जिम्मेदार ठहराया। यह सम्मेलन खासा मायने रखता है क्योंकि यह अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी की 27 जून को पाक यात्रा से ठीक पहले हो रहा है।

 

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