Brahmos Missile Pakistan: भारतीय वायुसेना के अधिकारी की एक चूक को कैसे अवसर में बदलने का मौका तलाश रहा पाकिस्तान, BrahMos को डिकोड करने में लगा
पाकिस्तान की विभिन्न एजेंसियां उसी दिन से ब्रह्मोस मिसाइल के मलबे को अलग-अलग लैबोरेट्री में लेकर घूम रही है। पाकिस्तान की एजेंसियां लगातार ब्रह्मोस के मलबे का अध्ययन करने में जुटी हुई हैं।
पाकिस्तान से एक खबर सामने आई है जो भारत की चिंता बढ़ा सकती है। पाकिस्तान इन दिनों भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को डिकोड करने की कोशिश में लगा हुआ है। पाकिस्तान की तरफ से ब्रह्मोस मिसाइल में लगे गाइडेड सिस्टम और इंजन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहता है। इससे पाकिस्तान को ब्रह्मोस के खिलाफ एक रडार और एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित करने में मदद मिल सकती है। आपको याद होगा कि साल 2023 को मार्च महीने में जब पाकिस्तान में गलती से भारत की ब्रह्मोस मिसाइल फायर कर दी गई थी, ये एक बड़ा विवाद बना था। इस हादसे में कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था। इस घटना के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई थी, वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में सफाई देते हुए कहा था कि यह मिसाइल अनजाने में चली गई थी।
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पाकिस्तान की विभिन्न एजेंसियां उसी दिन से ब्रह्मोस मिसाइल के मलबे को अलग-अलग लैबोरेट्री में लेकर घूम रही है। पाकिस्तान की एजेंसियां लगातार ब्रह्मोस के मलबे का अध्ययन करने में जुटी हुई हैं। पाकिस्तानी एजेंसियों की कोशिश है कि अगर उन्हें ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़ा एक सीक्रेट भी मिल गया तो पाकिस्तान ब्रह्मोस मिसाइल की काट ढूंढ़ सकता है। पाकिस्तान किसी भी कीमत पर ब्रह्मोस मिसाइल का तोड़ ढूंढ़ना चाहता है। ब्रह्मोस मिसाइल की मिसफायर ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम की पोल खोलकर रख दी थी। पाकिस्तान को इस वक्त सबसे ज्यादा डर ब्रह्मोस का ही है। यहां तक की दुनिया का सबसे खतरनाक एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 भी ब्रह्मोस मिसाइल को नहीं रोक सकता।
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ब्रह्मोस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों, युद्धपोत के साथ-साथ जमीन पर मौजूद सिस्टम समेत कई अलग-अलग प्लेटफॉर्म की मदद से लॉन्च किया जा सकता है। भारतीय सेनाओं में इस मिसाइल को पहले ही शामिल किया जा चुका है और इसने कई मौकों पर अपनी श्रेष्ठता को साबित भी किया है। वर्तमान में इसकी सीमा 250 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर तक यहां तक कि 600 किलोमीटर तक बढ़ाने के लक्ष्य के साथ परीक्षण किए जा रहे हैं।
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