Trump ने किया था अलग होने का ऐलान, अब बाइडेन करेंगे बकाया राशि का भुगतान, UNESCO में फिर से शामिल होगा अमेरिका
यूनेस्को द्वारा फिल्सतीन को एक सदस्य के तौर पर शामिल किए जाने के विरोध में करीब एक दशक तक चले विवाद के बाद अमेरिका की तरफ से ये कदम उठाया गया है।
जैसे-जैसे दुनिया तेजी से ग्लोबलाइज होती जा रही है, वैसे-वैसे इसके विविध समुदायों के सामाजिक इतिहास को संरक्षित करने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गई है। विश्व भर में यूनाइटेड नेशन की पहचान शांति के प्रतीक के रूप में होती है। यूएन ने 1945 में एक मीटिंग बुलाई जिसमें 44 देशों ने हिस्सा लिया। इन्हीं 44 देशों के साथ यूनेस्को की स्थापना की गई। संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक एजेंसी यूनेस्को ने ऐलान किया कि अमेरिका ने फिर से उससे जुड़ने का फैसला किया है। साथही कहा कि अमेरिका 60 करोड़ डॉलर से ज्यादा की बकाया राशि का भी भुगतान करेगा। यूनेस्को में चीन के बढ़ते दखल को देख अमेरिका ने ये कदम उठाया है।
इसे भी पढ़ें: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे ने दिया था भाजपा को धोखा : शाह
यूनेस्को द्वारा फिल्सतीन को एक सदस्य के तौर पर शामिल किए जाने के विरोध में करीब एक दशक तक चले विवाद के बाद अमेरिका की तरफ से ये कदम उठाया गया है। फिलस्तीन को सदस्य देश के रूप में शामिल करने के 2011 में हुए मतदान के बाद अमेरिका और इजराइल ने यूनेस्को को धन देना बंद कर दिया। अब अमेरिका की वापसी को अगले महीने इसके 193 सदस्य राष्ट्रों द्वारा एक वोट का सामना करने की उम्मीद है।इस कदम को आने वाले हफ्तों में यूनेस्को के सदस्य राज्यों द्वारा वोटिंग का सामना करना होगा।
इसे भी पढ़ें: 'दुनिया में बढ़ा भारत का नाम', अमित शाह बोले- जो काम कांग्रेस चार पीढ़ियों में नहीं कर पाई वो मोदी ने कर दिखाया
यूनेस्को क्या है?
यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है। यूनेस्को का मुख्यालय फ्रांस के शहर पेरिस में स्थित है। यूनेस्को की स्थापना 16 नवंबर 1945 लंदन में की गई थी। ऑड्रे अज़ोले यूनेस्को के महानिदेश है।
अन्य न्यूज़