Prabhasakshi Exclusive: Myanmar से भाग कर लोगों का Mizoram आना कहीं चीनी साजिश तो नहीं है? कहीं Manipur जैसा वाकया दोहराने की तैयारी तो नहीं है? भारत सरकार को क्या करना चाहिए?

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे भारत सरकार ने अभी दो दिन पहले ही यूएपीए के तहत नौ मेइती संगठनों, जिनमें उनकी राजनीतिक शाखाएं भी शामिल थीं, पर प्रतिबंध पांच साल के लिए बढ़ा दिया है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि चिन राज्य में भीषण लड़ाई के बाद म्यांमा के हजारों लोग भागकर भारत आ गये हैं। कहीं इससे मिजोरम को उसी तरह तो खतरा नहीं हो जायेगा जैसा कि मणिपुर में हाल में देखने को मिला था? हमने यह भी पूछा कि म्यांमा की स्थिति को देखते हुए भारत सरकार को क्या एहतियाती प्रबंध करने चाहिए? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मणिपुर का सशक्त उदाहरण हमारे सामने है क्योंकि उसके पीछे भी चीनी साजिश सामने आई थी। उन्होंने कहा कि दरअसल पूर्वोत्तर क्षेत्र में सीमा का बड़ा इलाका ऐसा है जहां की भूभागीय स्थिति ऐसी है कि वहां किसी प्रकार की फेंसिंग नहीं हो सकती इसलिए दोनों ओर रहने वाले लोग आसानी से इधर उधर आते जाते रहते हैं। चीन इसी बात का फायदा उठाते हुए पूर्वोत्तर भारत में मुश्किलें खड़ी करने का प्रयास करता रहता है। वह सीधे कुछ नहीं करता लेकिन भारत की सीमा से सटे देशों के सशस्त्र समूहों को हर तरह की मदद देता है ताकि वह भारत में माहौल बिगाड़ें इसलिए इस समय सैन्य शासित म्यांमा में जो कुछ हो रहा है उस पर भारत सरकार को कड़ी नजर रखनी चाहिए। मणिपुर में हिंसा के कारणों के संदर्भ में पूर्व सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे ने चीन के बारे में जो बयान दिया था वह हमें ध्यान होना चाहिए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि म्यांमा के चिन राज्य में भीषण लड़ाई हो रही है क्योंकि यहां सैन्य शासन के खिलाफ सबसे ज्यादा विद्रोह देखने को मिलता है इसलिए यहां हवाई हमले भी किये गये। उन्होंने कहा कि हवाई हमलों के बाद लोग काफी डरे हुए हैं इसलिए हजारों की संख्या में मिज़ोरम की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लोग भारत आ गये हैं। यह स्थिति तब है जब पहले ही बड़ी संख्या में म्यांमा के लोग मिजोरम और मणिपुर में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि म्यांमा में सत्तारुढ़ जुंटा समर्थित सुरक्षा बलों और मिलिशिया समूह ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ (पीडीएफ) के बीच भीषण गोलीबारी में कई लोगों के मारे जाने की खबर है इसलिए वहां दहशत और भगदड़ मची। उन्होंने कहा कि लड़ाई तब शुरू हुई जब पीडीएफ ने भारतीय सीमा के पास चिन राज्य में खावमावी और रिहखावदार में दो सैन्य ठिकानों पर हमला किया। इसके बाद चिन के खावमावी, रिहखावदार और पड़ोसी गांवों के हजारों लोग गोलीबारी से बचने के लिए भारत आ गए और चम्फाई जिले के ज़ोखावथर में शरण ली। उन्होंने कहा कि मिलिशिया ने म्यांमा के रिहखावदार में स्थित सैन्य अड्डे पर सोमवार तड़के और खावमावी के अड्डे पर दोपहर में कब्ज़ा कर लिया। जवाबी कार्रवाई में म्यांमा की सेना ने सोमवार को खावमावी और रिहखावदार गांवों पर हवाई हमले किए।
इसे भी पढ़ें: म्यांमार में सेना और विद्रोहियों के बीच छिड़ी जंग, जान बचाकर मिजोरम में घुस आए 39 सैनिकों को IAF ने भेजा वापस
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे भारत सरकार ने अभी दो दिन पहले ही यूएपीए के तहत नौ मेइती संगठनों, जिनमें उनकी राजनीतिक शाखाएं भी शामिल थीं, पर प्रतिबंध पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। लेकिन क्षेत्र की अस्थिर स्थिति के लिए एक सुसंगत दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के आंतरिक सुरक्षा और राजनयिक प्रयासों और राज्य सरकारों के दृष्टिकोणों में भी समन्वय होना चाहिए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत और म्यांमार 1,643 किमी लंबी भूमि सीमा साझा करते हैं। यह एक खुली सीमा है, जिसे दोनों तरफ 16 किमी की मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) द्वारा परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के चार राज्य म्यांमा के साथ सीमा साझा करते हैं। म्यांमा में 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट से दो भारतीय राज्यों मणिपुर और मिजोरम पर सर्वाधिक असर पड़ा है क्योंकि वहां से भाग कर लोग इन दोनों राज्यों में बड़ी संख्या में आये हैं। उन्होंने कहा कि जब लोग बड़ी संख्या में भाग कर शरण ले रहे होते हैं तब इससे संसाधनों पर तो बोझ बढ़ता ही है साथ ही यह सुनिश्चित कर पाना मुश्किल होता है कि भीड़ में से कौन अराजक तत्व है और कौन पीड़ित है। उन्होंने कहा कि म्यांमा में खराब हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सैन्य शासन ने अब अपने ही नागरिकों के खिलाफ वायु सेना का धड़ल्ले से उपयोग करना शुरू कर दिया है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि म्यांमा में लोकतांत्रिक सरकार के पतन के बाद से शरणार्थियों की आमद अंतरराष्ट्रीय नशीले पदार्थों के व्यापार को बढ़ावा दे रही है जोकि चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि म्यांमा से संभावित खतरों को भारत सरकार द्वारा प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि रिश्तेदारी संबंधों के कारण यह संभव नहीं है कि भारत में शरणार्थियों का प्रवाह रोका जा सके। मिज़ोरम सरकार का उनके प्रति उदार रवैया चिन शरणार्थियों और मिज़ोस के बीच संबंधों से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को शरणार्थियों को यहां लाने वाले कारक को बेअसर करने के लिए म्यांमा के सैन्य शासन के साथ अपने प्रभाव का उपयोग करने की आवश्यकता है।
अन्य न्यूज़