पृथ्वी को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए भारतीय हर प्रयास कर रहे हैं: मोदी
रोटरी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने इस संस्था की विविधता और भव्यता की सराहना की और साथ ही ग्रह को बेहतर बनाने के इसके सदस्यों की इच्छा की भी तारीफ की। उन्होंने रेखांकित किया कि लोग एक-दूसरे पर निर्भर, एक-दूसरे से संबंधित और एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।
नयी दिल्ली, पांच जून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ग्रह को और समृद्ध तथा टिकाऊ बनाने में व्यक्तियों, संस्थाओं और सरकारों के साथ मिलकर काम करने के महत्व पर जोर दिया और दावा किया कि 1.4 अरब भारतीय पृथ्वी को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
रोटरी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने इस संस्था की विविधता और भव्यता की सराहना की और साथ ही ग्रह को बेहतर बनाने के इसके सदस्यों की इच्छा की भी तारीफ की। उन्होंने रेखांकित किया कि लोग एक-दूसरे पर निर्भर, एक-दूसरे से संबंधित और एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत तौर पर, संस्थाओं के रूप में और सरकारी स्तर पर अपने ग्रह को समृद्ध और टिकाऊ बनाने के लिए सभी मिल कर काम करें। मुझे खुशी है कि रोटरी इंटरनेशनल कई स्तरों पर कड़ी मेहनत कर रहा है और इसका पृथ्वी पर सकारात्मक असर भी देखने को मिलने रहा है।’’
पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के भारत के प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का क्षेत्र तेजी से विकास कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का गठन कर इसमें प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत ‘एक सूर्य, एक विश्व और एक ग्रिड’ की दिशा में काम कर रहा है।
हाल ही में ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप26) में मैंने लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट मूवमेंट की चर्चा की थी। यह पर्यावरण को लेकर जागरूक जीवन जीने वाले सभी लोगों से संबंधित है। वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन को लेकर भारत की प्रतिबद्धता की विश्व समुदाय सराहना कर रहा है।’’
स्वच्छ पेयजल, सफाई और आरोग्यता की दिशा में काम करने के लिए रोटरी इंटरनेशनल की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि भारत ने वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी और पांच वर्षों में उसने सेनिटेशन कवरेज के लक्ष्य को हासिल कर लिया। उन्होंने कहा, ‘‘इससे भारत के गरीबों, खासकर महिलाओं को बहुत लाभ हुआ। भारत अभी वर्तमान में अंग्रेजों से मिली आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है।
पानी बचाने के लिए एक सामूहिक अभियान को स्वरूप दिया जा रहा है। यह अभियान भारत की पुरातन पद्धतियों पर आधारित है और इसमें आधुनिक समाधान के तरीके जोड़े गए हैं।
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