Iran में हिजाब का मुद्दा 90 साल पुराना, अंडरवियर पहने छात्रा को हिरासत में लिया, हर कोई पूछ रहा- क्या हुआ उसका
कुछ रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लड़की के साथ कैंपस पुलिस ने गलत बर्ताव किया जिसके विरोध में उसने यह कदम उठाया। ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने इस घटना के संबंध में लिखा, 'ईरान में, यूनिवर्सिटी मोरैलिटी पुलिस ने 'अनुचित' हिजाब के कारण एक छात्रा को परेशान किया लेकिन उसने पीछे हटने से इनकार कर दिया। ईरान की सरकारी एजेंसी आईआरएनए के मुताबिक इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क महानिदेशक आमिर महजौब ने घटना पर जवाब दिया।
ईरान में लंबे समय से महिलाएं हिजाब का विरोध कर रही हैं। हाल ही में एक महिला ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए बीच सड़क पर अपने कपड़े उतार दिए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश के सख्त इस्सलामिक ड्रेस कोड के विरोध में शनिवार को महिला ने ईरानी विश्वविद्यालय में अपने कपड़े उतार दिए। सोशल मीडिया पर पोस्ट के अनुसार आजाद यूनिवर्सिटी की एक ब्रांच के सुरक्षा गार्डों को एक अज्ञात महिला को हिरासत में लेते हुए देखा जा सकता है। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता आमिर महजोब ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि पुलिस स्टेशन में पता चला कि वो गंभीर मानसिक दबाव से पीड़िता थी और उसे कोई मनोविकार भी था। हालांकि कुछ सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि महिला ने आपत्ति दर्ज कराने के लिए जानबूझकर अपने कपड़े उतारे थे।
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कुछ रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लड़की के साथ कैंपस पुलिस ने गलत बर्ताव किया जिसके विरोध में उसने यह कदम उठाया। ईरानी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने इस घटना के संबंध में लिखा, 'ईरान में, यूनिवर्सिटी मोरैलिटी पुलिस ने 'अनुचित' हिजाब के कारण एक छात्रा को परेशान किया लेकिन उसने पीछे हटने से इनकार कर दिया। ईरान की सरकारी एजेंसी आईआरएनए के मुताबिक इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क महानिदेशक आमिर महजौब ने घटना पर जवाब दिया। उन्होंने दावा किया कि छात्रा ने अनैतिक कार्य किया था। जांच से पता चला है कि छात्रा मानसिक दबाव में थी। उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि परिसर की सुरक्षा ने लड़की के साथ यौन उत्पीड़न किया।
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हिजाब का मुद्दा वर्षों पुराना
8 जनवरी 1936 को रजा शाह ने कश्फ-ए-हिजाब लागू किया। यानी अगर कोई महिला हिजाब पहनेगी तो पुलिस उसे उतार देगी। 1941 में शाह रजा के बेटे मोहम्मद रजा ने शासन संभाला और कश्फ-ए-हिजाब पर रोक लगा दी। उन्होंने महिलाओं को अपनी पसंद की ड्रेस पहनने की अनुमति दी। 1963 में मोहम्मद रजा शाह ने महिलाओं को वोट देने और संसद के लिए चुने जाने का अधिकार दिया। 1967 में ईरान के पर्सनल लॉ में सुधार हुआ और महिलाओं को बराबरी के हक मिले।
Today, at the Islamic Azad University in Tehran, a young woman began to protest after being assaulted by regime agents for improper hijab by removing her clothing in an act of resistance.
— Tara تارا (@Tarakb0) November 2, 2024
She was later arrested, and her whereabouts are unknown. Be her voice. #IRGCterrorists pic.twitter.com/brkyOmIG2W
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