एक अध्ययन का दावा, कोरोना लॉकडाउन के बाद वैश्विक वायु गुणवता में आया काफी सुधार

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एक नये शोध में यह दावा किया गया है कि कोरोना लॉकडाउन के बाद वैश्विक वायु गुणवता में काफी सुधार आया है।जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित दो नये अध्ययन में यह पाया गया है कि उत्तरी चीन, पश्चिमी यूरोपऔरअमेरिका में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषण वर्ष 2020के शुरूआती महीनों में 2019 की इसी अवधि के तुलना में लगभग 60 प्रतिशत घटा है।

बर्लिन। कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण के लिए लॉकडाउन लागू किये जाने के बाद दो प्रमुख वायु प्रदूषकों के स्तर में वैश्विक रूप से काफी कमी आई है। हालांकि, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषण में कमी आने से चीन में ‘‘पृथ्वी की सतह के ठीक ऊपर बनने वाले ओजोन’’ के स्तर में वृद्धि हुई है। एक नये शोध में यह दावा किया गया है। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित दो नये अध्ययन में यह पाया गया है कि उत्तरी चीन, पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषण वर्ष 2020 के शुरूआती महीनों में 2019 की इसी अवधि के तुलना में लगभग 60 प्रतिशत घटा है। एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि सूक्ष्म कणों (2.5 माइक्रोन से छोटे कणों) का प्रदूषणउत्तरी चीन में 35 प्रतिशत घटा है।

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बेल्जियम स्थित रॉयल बेज्जियन इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एयरोनॉमी के वायुमंडल विषय की वैज्ञानिक जेनीस्टारवराकोउ ने कहा किप्रदूषण में इतनी अधिक गिरावट अभूतपूर्व है। वह शोधपत्र की सह-लेखक भी हैं। वैज्ञानिकों ने यह उल्लेख किया है कि वायु गुणवत्ता में सुधार आना अस्थायी होने की संभावना है लेकिन अध्ययन के नतीजे से यह उम्मीद की यह किरण भी नजर आती है कि उत्सर्जन के नियम अधिक कड़े होने के साथ भविष्य में वायु गुणवत्ता कैसी हो सकती है। जेनी ने कहा, ‘‘इस गैर इरादतन प्रयोग का उपयोग उत्सर्जन के नियमों को बेहतर तरीके से समझने में किया जा सकता है। किसी बहुत खराब स्थिति में यह कुछ सकारात्मक समाचार के जैसा है।’’ एक अध्ययन में यह पाया गया कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में कमी से चीन में पृथ्वी की सतह के ठीक ऊपर ओजोन का बनना बढ़ा है।

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जर्मनी स्थित मैक्स प्लांक मौसम विज्ञान संस्थान के वायुमंडलीय विषयों के वैज्ञानिक गाय ब्रासेउरके मुताबिक वायु गुणवत्ता में कई क्षेत्रों में सुधाार आया है लेकिन पृथ्वी की सतह के ठीक ऊपर इस ओजोन का बनना अब भी एक समस्या है। उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सूक्ष्म कणोंके घटने से आप ओजोन समस्या का हल ढूंढ सकते हैं।’’ अध्ययन दल में शामिल वैज्ञानिकों ने पाया कि ईरान के वायुमंडल में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा नहीं घटी। वैज्ञानिकों को लगता है कि चूंकि ईरान ने मार्च के अंत तक लॉकडाउन को पूरी तरह से लागू नहीं किया था और उसके पहले घरों के अंदर ही रहने के आदेश का व्यापक रूप से उल्लंघन किया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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