अफगान संकट पर दुनिया के 'सुपरपॉवर' देशों की मीटिंग, तालिबान पर लगेंगे कड़े प्रतिबंध
ब्रिटेन जी-7 ग्रुप का अध्यक्ष है और ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन पिछले एक हफ्ते से इस मीटिंग के लिए जोर डाल रहे थे। इस बैठक में यूएन सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुतारेस व संयुक्त राष्ट्र के महासचिव जेन स्टॉलटेनबर्ग के शामिल होने की भी संभावना है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पूरी दुनिया में खलबली मची है। ब्रिटेन ने आज जी-7 देशों की एक वर्चुअल बैठक बुलाई है। जी-7 में दुनिया के सबसे ताकतवर देश शामिल हैं। इसलिए अफगानिस्तान के मुद्दे पर जी-7 की बैठक पर हर किसी की निगाहें टिकी है। इस वर्चुअल मीटिंग में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, इटली, जापान जैसे देश शामिल होंगे। ब्रिटेन जी-7 ग्रुप का अध्यक्ष है और ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन पिछले एक हफ्ते से इस मीटिंग के लिए जोर डाल रहे थे। इस बैठक में यूएन सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुतारेस व संयुक्त राष्ट्र के महासचिव जेन स्टॉलटेनबर्ग के शामिल होने की भी संभावना है। सूत्रों के मुताबिक जो बाइडन, अफगानिस्तान में 31 अगस्त के बाद भी अमेरिकी व नाटो देशों की सेनाओं को कुछ वक्त के लिए रोकने पर फैसला ले सकते हैं।
क्या है जी-7 की मीटिंग का एजेंडा?
दुनिया के सबसे ताकतवर देश जब अफगानिस्तान को लेकर मीटिंग कड़ेंगे तो उनके एजेंडे में तालिबान पर और कड़े प्रतिबंध लगाने पर बात हो सकती है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन तालिबान पर प्रतिबंध का प्रस्ताव दे सकते हैं। इन प्रतिबंधों के तहत अफगानिस्तान को दी जा रही आर्थिक मदद के साथ-साथ मानवीय मदद को भी रोकने पर चर्चा हो सकती है और इसके लिए प्रस्ताव भी पास हो सकता है। अफगानिस्तान पर सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हो सकती है। इसके साथ ही जी-7 के नेता अफगान शरणार्थियों को मानवीय सहायता देने की योजनाओं पर भी चर्चा कर सकते हैं।
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तालिबान पर ब्रिटेन की दो टूक
जी-7 की बैठक से पहले तालिबान को लेकर बोरिस जॉनसन ने सीधी चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा कि तालिबान जो कहता है उस पर यकीन नहीं है। तालिबान को उसके कर्मों से आंका जाएगा।
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