किसी और मूर्ख को खोज लें...ट्रंप ने भारत समेत 9 देशों को क्या धमकी दी?
ट्रंप ने कहा कि अगर ब्रिक्स देश ऐसा करते हैं तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही उन्हें शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में प्रोडक्ट बेचने को को गुडबॉय कहने के लिए तैयार रहना चाहिए। वे किसी और मूर्ख को खोज सकते हैं। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा। जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए। ट्रंप ने आगे कहा कि अमेरिका से व्यापार करने के लिए डॉलर का इस्तेमाल करना जारी रखना होगा।
अमेरिका के नवर्विाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को खुली धमकी दे दी है। ट्रंप ने कहा कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस करने के लिए कोई नई करेंसी लॉन्च करते हैं तो उन पर 100 फीसदी टैरिफ लगा देंगे। दरअसल, 2023 के शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स देशों ने अपनी कॉमन करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा था। ट्रंप का ये बयान उसी प्रस्ताव का जवाब माना जा रहा है। ब्रिक्स में भारत के अलावा ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, यूथोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है। इसके पहले ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा पर 25 फीसदी और चीन पर 10 फीसदी एक्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को धमकाते हुए एक्स पर लिखा कि हमें इन देशों से ये कमिटमेंट चाहिए कि वो न तो नई ब्रिक्स करेंसी बनाएंगे। न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी दूसरी करेंसी का समर्थन करेंगे।
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ट्रंप ने कहा कि अगर ब्रिक्स देश ऐसा करते हैं तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही उन्हें शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में प्रोडक्ट बेचने को को गुडबॉय कहने के लिए तैयार रहना चाहिए। वे किसी और मूर्ख को खोज सकते हैं। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा। जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए। ट्रंप ने आगे कहा कि अमेरिका से व्यापार करने के लिए डॉलर का इस्तेमाल करना जारी रखना होगा।
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ट्रंप की चेतावनी को शोध संस्थान जीटीआरआई ने अवास्तविक बताया है। जीटीआरआई ने कहा कि भारत को एक व्यावहारिक स्थानीय मुद्रा व्यापार प्रणाली विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। साल 2009 में गठित ब्रिक्स एकमात्र ऐसा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसका अमेरिका हिस्सा नहीं है। इसके अन्य सदस्य दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) हैं। पिछले कुछ वर्षों में इसके कुछ सदस्य देश, विशेष रूप से रूस और चीन, अमेरिकी डॉलर का विकल्प तलाश रहे हैं या अपनी खुद की ब्रिक्स मुद्रा बना रहे हैं। भारत अभी तक इस कदम का हिस्सा नहीं रहा है।
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