Vishwakhabram: तेल ठिकानों पर इजराइली हमले की आशंका से Iran में मचा हड़कंप, पश्चिमी देशों की चिंता भी बढ़ी

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हम आपको बता दें कि ताजा खबर यह है कि आज तड़के लेबनान के उत्तरी शहर त्रिपोली पर पहली बार इजरायली हमला हुआ, इसके बाद बेरूत के उपनगरों में जोरदार बमबारी हुई और इजरायली सैनिकों ने दक्षिणी लेबनान में जमीनी अभियान भी शुरू कर दिया है।

लगभग मलबे में तब्दील हो चुके गाजा में लड़ाई के साथ-साथ इजराइली सैनिक दक्षिणी लेबनान में भी सैन्य अभियानों में लगे हुए हैं और दुश्मनों के छक्के छुड़ा रहे हैं। इसके अलावा बताया जा रहा है कि इजराइल की तैयारी ईरान के तेल ठिकानों को नष्ट करने की भी है। अगर ऐसा हुआ तो दुनिया में तेल के लिए हाहाकार भी मच सकता है। इसलिए पश्चिमी देशों के नेताओं ने इजराइल से संयम बरतने का आग्रह किया है। हम आपको बता दें कि इजराइल की ओर से ईरान पर हमले की जो तैयारियां की जा रही हैं उसमें सैन्य, आर्थिक और यहां तक कि परमाणु लक्ष्यों के खिलाफ हमले भी शामिल हैं। ईरान ने इजराइल की मंशा को भांप कर अपने तेल ठिकानों से तेल को दूसरी जगह स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। ईरान को पता है कि अगर एक भी तेल ठिकाने पर इजराइली मिसाइल गिरी तो पूरा देश लंका की तरह राख में तब्दील हो सकता है। देखा जाये तो ईरान के पास अपेक्षाकृत कमजोर हवाई सुरक्षा है इसलिए वह घबराहट में दिख रहा है। ईरान में इस समय हर ओर अफरातफरी का माहौल दिखाई दे रहा है। माना जा रहा है कि अगर परमाणु स्थलों पर हमला नहीं किया गया तो इजराइल सैन्य या आर्थिक ठिकानों पर हमले जरूर करेगा ताकि ईरान की कमर टूट जाये। दुनिया के कई देश ईरान से तेल का आयात करते हैं जिससे तेहरान को बड़ी आय होती है। यदि ईरान के तेल ठिकाने नष्ट हुए तो दुनिया में तेल की कमी होगी जिससे इस जरूरी ईंधन के भाव बढ़ेंगे और वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ेगी। 

हम आपको बता दें कि ताजा खबर यह है कि आज तड़के लेबनान के उत्तरी शहर त्रिपोली पर पहली बार इजरायली हमला हुआ इसके बाद बेरूत के उपनगरों में जोरदार बमबारी हुई और इजरायली सैनिकों ने दक्षिणी लेबनान में जमीनी अभियान भी शुरू कर दिया है। इजराइल के तेवर दर्शा रहे हैं कि वह दुश्मन को चारों ओर से घेरकर घर में घुसकर मारेगा और मारते मारते आखिरकार मार डालेगा। लेबनान के ईरान समर्थित सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के साथ लगभग एक साल तक हल्के फुल्के संघर्ष के बाद अब इज़राइल ने अपने हमलों का तेजी से विस्तार किया है। पहले लड़ाई ज्यादातर इज़राइल-लेबनान सीमा क्षेत्र तक ही सीमित थी लेकिन अब यह लेबनान के अंदर पहुँच गयी है। इजराइल ने बेरूत के घनी आबादी वाले दक्षिणी उपनगरों, जो हिजबुल्लाह का गढ़ हैं, वहां पर रात में बमबारी की। एक सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि वहां के निवासियों को जगह खाली करने के लिए तीन अलर्ट जारी किए गये और उसके बाद धमाके शुरू कर दिये गये। बताया जा रहा है कि इजराइल के ताजा हमले में हिजबुल्लाह के सैंकड़ों लड़ाके मारे गये हैं। इस बारे में इज़राइल ने कहा है कि उसने दक्षिणी उपनगरों में हिजबुल्लाह के खुफिया मुख्यालय को निशाना बनाया था।

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इस बीच, लेबनान की सरकार का कहना है कि साल भर में वहां 2,500 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकतर पिछले दो हफ्तों में मारे गए हैं। बताया जा रहा है कि लेबनानी रेड क्रॉस, लेबनानी सार्वजनिक अस्पतालों और हिज़्बुल्लाह से संबद्ध बचाव कर्मियों सहित चिकित्सा टीमों और चिकित्सा सुविधाओं में लगे हुए कर्मियों पर हमले भी बढ़ गए हैं। हम आपको बता दें कि लेबनान में हिजबुल्लाह की समानांतर सरकार है। वर्तमान में लेबनानी सेना इज़राइल के हमलों का जवाब नहीं दे रही है बल्कि हिज्बुल्ला के सदस्य हमलों का जवाब दे रहे हैं। हम आपको यह भी बता दें कि हिज्बुल्ला हमास से कहीं बड़ा समूह है और लेबनान में कहीं बड़े क्षेत्र में उसका दायरा फैला है। इसके पास हमास की तुलना में कहीं अधिक उन्नत हथियार हैं, तथा एक विशाल लड़ाकू बल है जिसमें 40,000 से 50,000 नियमित बल शामिल हैं, जो एक पारंपरिक सैन्य संरचना में संगठित हैं।

कुल मिला कर देखा जाये तो पश्चिम एशिया में हालात अब एक साल पहले से भी ज़्यादा अस्थिर हैं। यह संघर्ष मुख्य रूप से इज़राइल और हमास के बीच की लड़ाई से आगे तक फैल गया है। इजराइल और हिज्बुल्ला के बीच जो संघर्ष चल रहा है वह इजराइल-हमास संघर्ष से भी अधिक खतरनाक प्रतीत हो रहा है। इजराइल और हिज्बुल्ला के बीच आखिरी बार सीधा युद्ध 2006 में हुआ था, जो 34 दिनों तक चला था और लेबनानी नागरिकों और हिज्बुल्ला लड़ाकों समेत 1,500 से ज़्यादा लोगों की जान गई थी। तब से इजराइल और हिज्बुल्ला के बीच छद्म युद्ध जारी है- लेकिन यह इस तरह की तीव्रता वाला नहीं था जैसा कि अब देखने को मिल रहा है। चिंता की बात यह है कि अब यह संघर्ष इस क्षेत्र के बाहर, यहां तक कि विश्व स्तर पर भी फैलने की संभावना बताई जा रही है।

दरअसल ईरान के पैसों पर पलने वाले आतंकी संगठन जिनको ईरान का “एक्सिस ऑफ रिज़िस्टन्स” कहा जाता है, चाहे वह गाजा पट्टी में हमास हो, यमन में हूती विद्रोही हों, लेबनान में हिज्बुल्ला हों या इराक और सीरिया में शिया मिलिशिया हों, यह सभी सात अक्टूबर 2023 से पहले वैचारिक रूप से इजराइल के विरोधी थे। मगर वे अपने संघर्ष भी कर रहे थे और हमास का समर्थन करने के लिए एकजुट नहीं थे। लेकिन अब, ये सभी संगठन इजराइल को तबाह करने के एक साझा लक्ष्य के तहत काम कर रहे हैं। 

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