कश्मीर पर ट्रंप की टिप्पणी से प्रभावित हो सकते हैं भारत-अमेरिकी संबंध: पूर्व राजनयिक
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मुलाकात के बाद सोमवार को ट्रंप ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर उनसे मध्यस्थता करने के लिए कहा था।
वॉशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राजनयिकों का कहना है कि कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा सोमवार को की गई टिप्पणी से भारत-अमेरिका संबंधों को ‘नुकसान’ पहुंच सकता है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मुलाकात के बाद सोमवार को ट्रंप ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर उनसे मध्यस्थता करने के लिए कहा था। भारत सरकार ने हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के इस विवादास्पद दावे को स्पष्ट तौर पर खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।
भारत में रहे अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा कि राष्ट्रपति ने आज बहुत बड़ा नुकसान किया है। कश्मीर और अफगानिस्तान पर उनकी टिप्पणी समझ से परे है। अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी के अनुसार, राष्ट्रपति को जल्द ही दक्षिण एशियाई मुद्दों की जटिलता समझ आएगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प अफगानिस्तान समझौते में पाकिस्तान की मदद चाहते हैं, उनके अनुसार पाकिस्तान जो चाहता है उसने सभी संभावनाओं को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इमरान खान की प्रशंसा की जैसे उन्होंने उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन की प्रशंसा की। यह करार करने की कोशिश में उनकी मानक प्रक्रिया है।
हक्कानी ने कहा कि जिस तरह से वह कोरियाई प्रायद्वीप में कोई समझौता नहीं कर सके, उन्हें जल्द ही पता चलेगा कि दक्षिण एशिया के ऐतिहासिक मुद्दे भी रियल एस्टेट सौदा से कहीं अधिक जटिल हैं। हक्कानी और वर्मा दोनों राष्ट्रपति ट्रम्प की विवादास्पद टिप्पणी को लेकर पूछे गये सवालों का जवाब दे रहे थे। ट्रंप ने सोमवार को दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को कहा था। विदेश मंत्रालय की पूर्व राजनयिक एलिसा आयरेस, जो अब काउंसिल फॉर फॉरेन रिलेशंस थिंक टैंक के साथ हैं, ने कहा कि ट्रम्प बैठक के लिए तैयारी करके नहीं आए थे। उल्लेखनीय है कि ट्रम्प के इस विवादित बयान को खारिज करते हुये, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘हमने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा प्रेस को दिये उस बयान को देखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि भारत और पाकिस्तान अनुरोध करते हैं तो वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया है।’
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उन्होंने कहा कि भारत का लगातार यही रुख रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा होगी। पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत के लिए सीमापार आतंकवाद पर रोक जरूरी होगी। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि मोदी और उन्होंने पिछले महीने जापान के ओसाका में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की थी जहां भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की पेशकश की थी। ट्रंप ने कहा कि मैं दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था और हमने इस विषय (कश्मीर) पर बात की थी। और उन्होंने वास्तव में कहा, ‘क्या आप मध्यस्थता या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?’ मैंने कहा, ‘कहाँ?’ (मोदी ने कहा) ‘‘कश्मीर।’’ उन्होंने कहा कि क्योंकि यह कई वर्षों से चल रहा है। मुझे आश्चर्य है कि यह कितने लंबे समय से चल रहा है। ट्रंप ने कहा कि यदि दोनों देश कहेंगे तो वह मदद के लिए तैयार हैं।
#BREAKING President Trump offers to mediate Kashmir dispute between India and Pakistan pic.twitter.com/uStNTEFoqW
— AFP news agency (@AFP) July 22, 2019
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