विश्वगुरु का युग शुरू: 20 देशों के नेताओं से 20 मुद्दों पर बात, अब दिल्ली से चलेगी दुनिया
भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को G20 की अध्यक्षता संभाली थी और देश भर के 60 शहरों में जी20 से संबंधित लगभग 200 बैठकें आयोजित की गईं थीं। नई दिल्ली में 18वां जी20 शिखर सम्मेलन पूरे वर्ष मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और नागरिक समाजों के बीच आयोजित सभी जी20 प्रक्रियाओं और बैठकों का समापन है।
दुनिया के कुछ सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली नेता इस सप्ताह के अंत में जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली में एकत्रित हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और अन्य राष्ट्राध्यक्ष वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक सभाओं में से एक में भूराजनीतिक तनाव, आर्थिक मंदी और बढ़ती खाद्य और ऊर्जा की कीमतों पर चर्चा कर रहे हैं। भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को G20 की अध्यक्षता संभाली थी और देश भर के 60 शहरों में जी20 से संबंधित लगभग 200 बैठकें आयोजित की गईं थीं। नई दिल्ली में 18वां जी20 शिखर सम्मेलन पूरे वर्ष मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और नागरिक समाजों के बीच आयोजित सभी जी20 प्रक्रियाओं और बैठकों का समापन है।
20 देशों के नेताओं से किन मुद्दों पर बात
1. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ बैठक में भारत और अमेरिका के बीच अहम समझौते हुए। साथ ही, जी20 समिट की बैठकों से पहले सहमति बनाने की दिशा में अहम पहल हुई।
2. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ ऐसे समय बैठक हुई, जब रोहिंग्या सहित कई मुद्दों पर भारत और बांग्लादेश आपसी सहमति बनाने की कोशिश में हैं।
3. फ्रांस के प्रेजिडेंट मैक्रों के साथ मीटिंग ऐसे समय हो रही है, जब दोनों देशों के रक्षा संबंध सर्वोच्च शिखर पर हैं।
4. कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रुडो के साथ मोदी की मीटिंग तब हो रही है, जब वहां अलगाववादियों को तरजीह के मुद्दे पर दोनों देशों में तल्खी रही है।
5. तुर्की के राट्रपति एर्दोआन के साथ बैठक इसलिए अहम है कि एक बार निर्वाचित होने के बाद वह मुस्लिम देशों के बीच अगुआ बनने की कोशिश कर रहे हैं।
6 .साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल के साथ बैठक ऐसे समय हो रही है जब चीन के समानांतर भारत इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नॉलजी हब बनने की कोशिश कर रहा है।
7.यूरोपीय यूनियन के प्रमुख चार्ल्स मिशेल के साथ मोदी की बातचीत इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसके साथ भारत के रिश्ते नरम-गरम से रहे हैं। बैठक में संबंधों को स्थिरता लाने की कोशिश होगी।
8. नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबू के साथ मोदी की मीटिंग ऐसे समय में होगी, जब भारत अफ्रीकी देशों की सबसे मुखर आवाज बनकर सामने आया है और इसे G20 सदस्यता दिलाने की पहल की है।
9. मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंदनाथ के साथ मोदी के आत्मीय रिश्ते रहे हैं। रणनीतिक रूप से यह भारत का अहम साझीदार है। शुक्रवार को हुई बैठक रिश्तों को मजबूत करने वाली मानी गई।
10. ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा के साथ मीटिंग इसलिए अहम है कि भारत अब G20 अध्यक्षता की कमान इस लैटिन अमेरिकी देश को सौंपेगा।
11. ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक के साथ मोदी की मीटिंग मौजूदा ग्लोबल ऑर्डर में अहम है, क्योंकि दोनो देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर गतिरोध बना हुआ है।
12. इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी के साथ हाल- फिलहाल में मोदी की यह दूसरी द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है। पिछली बार मेलोनी ने मोदी को दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं में एक बताया था।
13. यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद के साथ बैठक में मोदी खाड़ी देशों के साथ रिश्ते को मजबूत करने की मुहिम को और बढ़ा सकते हैं।
14. जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ मोदी की बैठक इसलिए अहम है कि दोनों ही देश चीन की विस्तारवादी नीतियों से प्रभावित रहे हैं। ये दोनों मिलकर चीन को संदेश दे सकते हैं।
15. सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस के साथ पीएम की द्विपक्षीय बातचीत होगी। ऐसे समय जब सरी भवन में कटनीत में बदलाव का संकेत दिया, यह मुलाकात बेहद अहम होगी।
16. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ के साथ मोदी की मीटिंग में तकनीक और शिक्षा के मोर्चे पर कई अहम समझौते हो सकते हैं। इस लिहाज से बैठक बेहद महत्वपूर्ण है।
17. G20 समिट से इतर G7 देशों की मीटिंग भी हो सकती है। इस समूह में फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा शामिल हैं। ये देश रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की तैयारी में हैं।
18. अफ्रीकी यूनियन के साथ मोदी की मीटिंग इसलिए अहम है कि इसे G20 समूह में शामिल करने के लिए भारत ने सबसे अहम भूमिका निभाई है।
19. क्वॉड की मीटिंग भी इस दौरान हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका और भारत का यह समूह अगली क्वॉड मीटिंग की घोषणा कर सकता । इसके 25 जनवरी को होने के आसार हैं।
20. भारत, अमेरिका, सऊदी अरब और यूएई के साथ रेलवे कोरिडोर बनाने की दिशा में बड़ी घोषणा हो सकती है। इसे चीन को काउंटर करने का कदम माना जा रहा है।
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