हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नहीं चलेगी ड्रैगन की मनमानी, भारत और अमेरिका मिलकर रोकेंगे चीन का विस्तार
इंडो-पैसिफिक में खतरे को ध्यान में रखते हुए, अमेरिका और भारत ने सैन्य संबंधों को बढ़ाया है। अमेरिकी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के साथ मिलकर काम करेगा ताकि एक स्वतंत्र और खुला हिंद-प्रशांत सुनिश्चित किया जा सके।
चीन की विस्तारवाद नीति से हर कोई वाकिफ है। लेकिन अब चीन की विस्तारवादी नीति को रोकने के लिए दो बड़े देश एक साथ समुद्री मोर्चे पर लामबंद होने जा रहे हैं। चीन की नौसैनिक गतिविधियों को बढ़ाने के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ मिलकर काम करेगा। अमेरिकी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ संबंध 'सबसे महत्वपूर्ण' हैं और भारत-अमेरिका संबंध 'दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक' हैं। अमेरिकी सरकार के अधिकारी ने कहा है कि भारत और अमेरिका हिंद महासागर क्षेत्र में साथ मिलकर काम करेंगे जिससे हिंद महासागर में चीन की विस्तारवादी नौसेना पर लगाम लगाई जा सके।
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इंडो-पैसिफिक में खतरे को ध्यान में रखते हुए, अमेरिका और भारत ने सैन्य संबंधों को बढ़ाया है। अमेरिकी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के साथ मिलकर काम करेगा ताकि एक स्वतंत्र और खुला हिंद-प्रशांत सुनिश्चित किया जा सके और चीनी नौसेना द्वारा बढ़ती गतिविधि के कारण भारतीय क्षमताओं को प्रोजेक्ट करने के लिए भारतीय क्षमताओं को बढ़ाया जा सके। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लेकर दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर तक के क्षेत्रों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियां यथास्थिति को बदलने की कोशिश में रहती है।
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अधिकारी ने कहा कि साथ ही, अमेरिका भारत को अपनी सेना के आधुनिकीकरण में मदद करने और देश के रक्षा स्वदेशीकरण एजेंडे का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है क्योंकि यह भारत के सशस्त्र बलों को रूसी मूल के उपकरणों और प्लेटफार्मों पर निर्भरता से दूर करने में मदद करने की अमेरिकी योजनाओं के साथ फिट बैठता है। इन प्रयासों से दोनों पक्षों के रक्षा उद्योगों का और एकीकरण भी होगा। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, 'हिंद महासागरीय क्षेत्र में ऑपरेशनल इन्वायरमेंट बदल रहा है। यह सब केवल पीएलए की गतिविधियों की वजह से हो रहा है। इस क्षेत्र में अगर आपसी सहयोग के जरिए भारत का समर्थन किया जाए तो चीन के मनसूबे नाकाम किए जा सकते हैं।'
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