Russia में भारत-चीन के बीच तगड़ी डील, मुलाकात में मोदी का दिखा BOSS वाला अंदाज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सीमा पार पिछले 4 वर्षों में उत्पन्न हुए मुद्दों पर बनी सहमति का हम स्वागत करते हैं। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता रहनी चाहिए।
रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर भारत के प्रधानमंत्री माफी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सीमा पार पिछले 4 वर्षों में उत्पन्न हुए मुद्दों पर बनी सहमति का हम स्वागत करते हैं। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता रहनी चाहिए। आपसी विश्वास, परस्पर आदर और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार बने आज सभी विषयों पर बात करने का अवसर मिला। आपसे मिलकर खुशी हुई..हमारा मानना है कि भारत और चीन के संबंधों का महत्व केवल हमारे लोगों के लिए ही नहीं है लेकिन वैश्विक शांति-स्थिरता और प्रगृति के लिए भी हमारे संबंध बहुत अहम हैं।
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विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। लगभग 5 वर्षों में प्रतिनिधिमंडल स्तर पर यह उनकी पहली उचित द्विपक्षीय बैठक थी, आखिरी बैठक 2019 में ब्रासीलिया में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर हुई थी। यह बैठक सैनिकों की वापसी और गश्त समझौते और मुद्दों के समाधान के तुरंत बाद हुई। 2020 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में तनाव उत्पन्न हुआ था। दोनों नेताओं ने पिछले कई हफ्तों से राजनयिक और सैन्य चैनलों पर निरंतर बातचीत के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति का स्वागत किया। पीएम मोदी ने सीमा संबंधी मामलों पर मतभेदों को हमारी सीमाओं पर शांति भंग न करने देने के महत्व को रेखांकित किया। दोनों नेताओं ने कहा कि भारत-चीन सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधियों को सीमा प्रश्न के समाधान और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय बैठक पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों नेताओं ने रणनीतिक और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की भी समीक्षा की। उनका विचार था कि पृथ्वी के दो सबसे बड़े राष्ट्रों भारत और चीन के बीच स्थिर द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि परिपक्वता और बुद्धिमत्ता के साथ, और एक-दूसरे की संवेदनशीलता, हितों, चिंताओं और आकांक्षाओं के लिए पारस्परिक सम्मान दिखाकर, दोनों देश शांतिपूर्ण, स्थिर और लाभकारी द्विपक्षीय संबंध बना सकते हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन-चैन की बहाली हमारे द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की राह पर लौटने के लिए जगह बनाएगी। अधिकारी अब हमारे संबंधित विदेश मंत्रियों के स्तर सहित प्रासंगिक आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता तंत्र का उपयोग करके रणनीतिक संचार बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने पर चर्चा करने के लिए अगला कदम उठाएंगे। ब्रिक्स और इस विशेष मंच पर भारत और चीन के बीच सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर भी उनके बीच बहुत सार्थक बातचीत हुई। अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने अगले वर्ष चीन की एससीओ अध्यक्षता के लिए भारत के पूर्ण समर्थन का आश्वासन भी दिया।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों पक्षों के लिए अधिक संचार और सहयोग करना, हमारे मतभेदों और असहमतियों को उचित रूप से संभालना और एक-दूसरे की विकास आकांक्षाओं को पूरा करने में सुविधा प्रदान करना महत्वपूर्ण है। दोनों पक्षों के लिए हमारी अंतर्राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी निभाना, विकासशील देशों की ताकत और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक उदाहरण स्थापित करना और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बहु-ध्रुवीकरण और लोकतंत्र को बढ़ावा देने में योगदान देना भी महत्वपूर्ण है।
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