America के साथ चीन ने कर दिया बड़ा कांड, उड़ा लाया कौन सा सीक्रेट पेपर, बवाल होना तय है!
आपको बता दें कि ये सेंधमारी आठ दिसंबर को हुई थी और इसके बारे में विभाग ने अब जानकारी दी है। अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा है कि उन्हें आठ दिसंबर को इस सेंधमारी का पता चला। एफबीआई और अन्य एजेंसियां मिलकर इसकी जांच कर रही हैं।
चीन और अमेरिका के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन ने अमेरिका के गोपनीय दस्तावेज चोरी कर लिए हैं। आरोप है कि चीन समर्थित हैकर्स ने अमेरिकी वित्त विभाग के कंप्यूटर्स में सेंधमारी की है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी सांसदों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि वित्त विभाग के थर्ड पार्टी प्रोवाइडर के सिस्टम में सेंधमारी की गई। इस हैकिंग के जरिए गोपनीय दस्तावेजों से लेकर कई कर्मचारियों के वर्क स्टेशन तक में सेंधमारी हुई है। हालांकि ये सेंधमारी नहीं दी गई कि कितने वर्क स्टेशन पर रिमोट तौर पर एक्सेस किया गया या हैकर्स ने किस तरीके के डॉक्यूमेंट्स हासिल किए हैं। विभाग ने कहा कि हम अपने सिस्टम के खिलाफ सभी खतरों को बहुत गंभीरता से लेते हैं। पिछले चार साल में वित्त विभाग ने अपने साइबर डिफेंस को बेहतर बनाया है। हम अपने फाइनेंशियल सिस्टम को ऐसे हैक से बचाने के लिए प्राइवेट और पब्लिक दोनों सेक्टर के पार्टनर्स के साथ मिलकर काम करेंगे।
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आपको बता दें कि ये सेंधमारी आठ दिसंबर को हुई थी और इसके बारे में विभाग ने अब जानकारी दी है। अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा है कि उन्हें आठ दिसंबर को इस सेंधमारी का पता चला। एफबीआई और अन्य एजेंसियां मिलकर इसकी जांच कर रही हैं। वहीं चीन की तरफ से अमेरिकी दूरसंचार कंपनियों को भी लगातार निशाना बनाए जाने की खबरें सामने आ रही हैं। बाइडन प्रशासन के अधिकारियों ने इस महीने कहा था कि कम से कम आठ दूरसंचार कंपनियां और दर्जनों देश ‘साल्ट टाइफून’ के नाम से जाने जाने वाले चीनी हैकिंग हमले से प्रभावित हुए हैं। इस बीच, उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ऐनी न्यूबर्गर ने को बताया कि चीनी हमले की शिकार नौवीं दूरसंचार कंपनी की पहचान हुई है। अधिकारियों ने कहा है कि हैकरों ने दूरसंचार कंपनियों के नेटवर्क में सेंध लगाकर ग्राहकों के कॉल रिकॉर्ड हासिल किए और सीमित संख्या में व्यक्तियों के निजी संचार तक पहुंच बनाई है।
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उधर वाशिंगटन से चीनी दूतावास ने हैकिंग के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि चीन के खिलाफ बिना किसी तथ्य के इस तरह के आरोप लगाने का हम विरोध करते हैं। चीन की इस हरकत से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है क्योंकि चीन ऐसी हरकत पहले भी कर चुका है। चीन के ऊपर कई बार ये आरोप लगे हैं कि वो ऐप्स के जरिए भी दूसरे देशों के दस्तावेज चोरी करने की कोशिश करता है। भारत ने भी चीन के कई ऐप्स को बैन करके रखा है।
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