China Border पर भारतीय सैनिकों ने मचाया तहलका, वीडियो देख हो जाएंगे हैरान

Indian soldiers
ANI
अभिनय आकाश । Dec 30 2024 1:09PM

सेना की लेह स्थित 14 कोर ने कहा कि प्रतिमा के उद्घाटन ने भारतीय शासक की अटूट भावना का जश्न मनाया क्योंकि उनकी विरासत प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। प्रतिमा का अनावरण गुरुवार को 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया, जिसे फायर एंड फ्यूरी कोर के नाम से जाना जाता है। 14 कोर ने कहा कि वीरता, दूरदर्शिता और अटूट न्याय के विशाल प्रतीक का उद्घाटन लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया। यह आयोजन भारतीय शासक की अटूट भावना का जश्न मनाता है, जिनकी विरासत पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

दुनियाभर में बसे भारतीय लोग भारतीय सेना का एक वीडियो देख हैरान और भावुक भी हो जाएंगे। भारतीय सेना ने 14300 फुट की ऊंचाई पर पैंगोंग झील के तट पर मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित कर दी है। ये इलाका पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के पास है। चीन की सीमा पर अब छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा है। मुगलों की धज्जियां उड़ाने वाले शिवाजी महाराज से पूरा भारत प्रेरणा लेता है। शिवाजी महाराज की वीरता और शौर्य भारतीय जवानों में जोश भरती है। आपको बता दें कि लद्दाख में शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण भारतीय सेना के फायर एंड फ्यूरी कोर ने किया है। भारतीय सेना की मराठा लाइट इंफेंट्री का युद्धघोष भी शिवाजी महाराज पर है। मराठा लाइट इंफेंट्री का युद्धघोष बोल छत्रपति शिवाजी महाराज की जय। 

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सेना की लेह स्थित 14 कोर ने कहा कि प्रतिमा के उद्घाटन ने भारतीय शासक की अटूट भावना का जश्न मनाया क्योंकि उनकी विरासत प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। प्रतिमा का अनावरण गुरुवार को 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया, जिसे फायर एंड फ्यूरी कोर के नाम से जाना जाता है। 14 कोर ने कहा कि वीरता, दूरदर्शिता और अटूट न्याय के विशाल प्रतीक का उद्घाटन लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया। यह आयोजन भारतीय शासक की अटूट भावना का जश्न मनाता है, जिनकी विरासत पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

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सेना भारत के प्राचीन रणनीतिक कौशल को समकालीन सैन्य क्षेत्र में एकीकृत करने का प्रयास कर रही है। शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण भारत और चीन द्वारा डेमचोक और देपसांग के अंतिम दो घर्षण बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के कुछ सप्ताह बाद हुआ, जिससे लगभग साढ़े चार साल से जारी सीमा गतिरोध समाप्त हो गया। 21 अक्टूबर को बनी सहमति के बाद, दोनों पक्षों ने शेष दो घर्षण बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया। सैन्य और राजनयिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण तट पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की। 

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