उत्तर कोरिया का साथ दे रहा चीन और रूस, कड़े प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव के पक्ष में नहीं दो देश
चीन और रूस ने संयुक्त राष्ट्र में उ.कोरिया के पक्ष में वीटो करने का बचाव किया।दोनों देशों ने कोरियाई प्रायद्वीप पर तनाव बढ़ाने के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हुए अधिक प्रतिबंधों के खिलाफ अपने विरोध को दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि अब उत्तर कोरिया और बाइडन प्रशासन के बीच संवाद की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र। चीन और रूस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली बैठक में उत्तर कोरिया पर नए कड़े प्रतिबंध लगाने वाले अमेरिकी प्रस्ताव के विरोध में वीटो करने का बचाव किया है। दोनों देशों ने कोरियाई प्रायद्वीप पर तनाव बढ़ाने के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हुए अधिक प्रतिबंधों के खिलाफ अपने विरोध को दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि अब उत्तर कोरिया और बाइडन प्रशासन के बीच संवाद की आवश्यकता है। करीब 70 देशों ने महासभा की खुली बैठक में अपनी बात रखने के लिए हस्ताक्षर किए हैं, जिसकी महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे संयुक्त राष्ट्र अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनेगा।
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संयुक्त राष्ट्र में डेनमार्क के राजदूत मार्टिन बिले हर्मन ने 193 सदस्यीय विश्व निकाय में कहा, ‘‘आज इतिहास रचा जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद को अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने का जिम्मा सौंपा गया है तथा परिषद को अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल करना ‘‘चिंता का विषय” है। महासभा में 26 अप्रैल को पारित एक प्रस्ताव से अब किसी देश या देशों को वीटो के पीछे का कारण बताने की आवश्यकता है और साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को ‘‘उस मामले में तत्काल अपने विचार साझा करने का अवसर भी मिला है।’’ सुरक्षा परिषद ने 2006 में उत्तर कोरिया के पहले परमाणु परीक्षण के बाद उस पर प्रतिबंध लगाए थे और उसके बाद से प्रतिबंधों को कड़ा किया।
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उत्तर कोरिया ने रविवार को कम दूरी की आठ मिसाइलें दागी थीं जो देश के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में एक दिन में रिकॉर्ड संख्या में दागी गई मिसाइलें हैं। अमेरिका के उपराजदूत जेफ्रे डीलॉरेंटिस ने महासभा को बताया कि रिकॉर्ड संख्या में मिसाइलें दागी गयी हैं क्योंकि उत्तर केारिया ‘‘संभावित सातवें परमाणु परीक्षण के लिए तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है।’’ उसने उत्तर कोरिया के इस कदम को ‘‘बिना उकसावे’’ की कार्रवाई बताया है। डीलॉरेंटिस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बार-बार और सार्वजनिक रूप से कहा है कि हम प्योंगयांग के साथ बिना पूर्व शर्तों के बातचीत चाहते हैं और चीन समेत निजी माध्यमों से यह संदेश पहुंचाया गया है। महासभा के प्रस्ताव के अनुसार स्थायी सदस्य या वीटो का अधिकार रखने वाले सदस्यों को वक्ताओं की सूची में प्राथमिकता दी जाएगी। संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने अमेरिका पर उत्तर कोरिया द्वारा उठाए सकारात्मक कदमों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। वहीं, संयुक्त राष्ट्र में रूस के उपराजदूत एना इव्स्टीग्नीवा ने कहा कि उत्तर कोरिया के खिलाफ नए प्रतिबंध ‘‘अंतिम गतिरोध होगा’’।
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