सिकंदर के देश से 'विश्व मित्र' को बुलावा, 1983 के बाद पहली बार होगा ऐसा, कांप उठेंगे तुर्की-पाकिस्तान
15वें ब्रिक्स सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री सीधा ग्रीस पहुंचेंगे। यानी एक ऐसा देश जहां 40 साल में भारत का कोई प्रधानमंत्री नहीं गया है। लेकिन पीएम मोदी वहां जाएंगे जिससे भारत और ग्रीस के कूटनीतिक रिश्तें मजबूत होंगे।
दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। भारत ने अब इसी कहावत को आत्म सात कर लिया है। पाकिस्तान परस्त तुर्की को सबक सिखाने के लिए भारत ने अब उसके बड़े दुश्मन के साथ हाथ मिला लिया है। ग्रीक शासक सिकंदर के देश से पीएम मोदी को बुलावा आया है। पांच देशों के संगठन ब्रिक्स के 15वें शिखर सम्मेलन के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रीस के दौरे पर जाएंगे। 1983 के बाद ये पहला मौका होगा जब भारत का कोई प्रधानमंत्री ग्रीस पहुंचेगा। इसे प्रधानमंत्री की विदेश नीति का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है। दुनिया इस समय भारत को विश्व मित्र की भूमिका में देख रही है। 15वें ब्रिक्स सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री सीधा ग्रीस पहुंचेंगे। यानी एक ऐसा देश जहां 40 साल में भारत का कोई प्रधानमंत्री नहीं गया है। लेकिन पीएम मोदी वहां जाएंगे जिससे भारत और ग्रीस के कूटनीतिक रिश्तें मजबूत होंगे। यही नहीं जानकार मानते हैं कि प्रधानमंत्री के ग्रीस दौरे से दुनिया को संदेश जाएगा कि भारत को अलग अलग देशों से तालमेल बिठाना आता है और वो केवल कुछ गिने-चुने देशों से नहीं बल्कि हर छोटे बड़े देशों से रिश्ते मजबूत कर रहा है।
इसे भी पढ़ें: G20 Summit: दिल्ली में 8 से 10 सितंबर तक बंद रहेंगे केंद्र सरकार के कार्यालय
इंदिरा गांधी के बाद अब मोदी
पीएम मोदी 25 अगस्त को देश की यात्रा करेंगे। भारत और ग्रीस के बीच सभ्यतागत संबंध हैं, जो हाल के वर्षों में समुद्री परिवहन, रक्षा, व्यापार और निवेश और लोगों से लोगों के संबंधों जैसे क्षेत्रों में सहयोग के माध्यम से मजबूत हुए हैं। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी संबंधों को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री मित्सोटाकिस के साथ बातचीत करेंगे। मोदी के ग्रीस में व्यापारिक नेताओं और भारतीय प्रवासियों से भी मिलने की उम्मीद है। उनकी यात्रा 1983 में इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है।
2021 में लिखी गई दौरे की पटकथा
2021 में भारत के शीर्ष राजनयिक एस जयशंकर ने देश का दौरा किया, जो 18 वर्षों में किसी भारतीय विदेश मंत्री की पहली यात्रा थी। एस जयशंकर ने 2021 में ग्रीस यात्रा के दौरान एथेंस में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया था। उन्होंने इस प्रतिमा को भारत ग्रीस संबंधों में मील का पत्थर बताया था। विदेश मंत्री जयशंकर की 2021 की यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन पर एक फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किया था। अब ऐसे में मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देश अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। बातचीत में श्रमिकों के प्रवाह में सुधार के लिए प्रवासन समझौते की संभावना पर भी चर्चा होने की संभावना है।
इसे भी पढ़ें: BRICS: ब्रीफिंग के लिए जा रहे थे सभी, तभी PM मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई संक्षिप्त बातचीत
लंबे समय से भारत का मित्र देश रहा है ग्रीस
ग्रीस लंबे समय से भारत का मित्रवत रहा है। भारत ने 1998 में परमाणु परीक्षण किया और ग्रीस के रक्षा मंत्री ने उस वर्ष के अंत में भारत का दौरा किया, और ऐसा करने वाले नाटो देश के पहले रक्षा मंत्री बने। ग्रीस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में प्रवेश के उसके प्रयासों का भी समर्थन किया है। यह अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे भारत के नेतृत्व वाले समूहों में भी शामिल हो गया है। इसने कश्मीर और नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे मुद्दों सहित भारत की आंतरिक राजनीति पर रुख अपनाने से भी परहेज किया है। दोनों देशों ने जुलाई में एजियन सागर में द्विपक्षीय रक्षा अभ्यास किया था। ग्रीस में भारत के दूतावास के अनुसार, "भारतीय नौसेना के आईएनएस चेन्नई नौसैनिक जहाज ने 27-29 जुलाई, 2023 तक सौदा खाड़ी, क्रेते का दौरा किया और एजियन सागर में हेलेनिक नौसेना जहाज निकिफोरोस फोकस के साथ एक मार्ग अभ्यास किया।
तुर्की और ग्रीस की अदावत
ग्रीस और तुर्की के बीच की अदावत पुरानी है। तुर्की भूमध्य सागर में मौजूद ग्रीस के कई द्वीपों पर अपना दावा करता है। हालांकि ग्रीस इन दावों को सिरे से खारिज करता है। इन द्वीपों को लेकर तुर्की और ग्रीस में युद्ध जैसे हालात भी बन चुके हैं, हालांकि फ्रांस ने इसमें बीच बचाव किया है। तुर्की और पाकिस्तान की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। इस्लामिक खलीफा बनने की चाहत रखने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन कर चुके हैं। उनके कार्यकाल के दौरान तुर्की ने यूएन में कई बार कश्मीर मुद्दे को उठाया है, वो और बात है कि हर बार भारत ने उसकी बोलती बंद करवा दी।
अन्य न्यूज़