बिहार: बीएमएसआईसीएल कर्मचारियों का चिकित्सा उपकरण खरीद के लिए निविदा प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप

Bihar Medical Services and Infrastructure Corporation Limited
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कर्मचारियों ने कहा, ‘‘बीएमएसआईसीएल इन उत्पादों को खरीदने के लिए 4 करोड़ रुपये खर्च करना चाहती थी, लेकिन जिस कंपनी ने निविदा हासिल की है, उसने 13 करोड़ रुपये प्लस जीएसटी उद्धरित किया। यह इस बोली की अनुमानित लागत से तीन गुना अधिक है।’’ कर्मचारी ने कहा कि दूसरी कंपनी ने 16.57 करोड़ रुपये और जीएसटी की बोली लगाई थी। कर्मचारियों का आरोप है कि पिछले पांच साल में ठेका हासिल करने वाली इस खास कंपनी को बीएमएसआईसीएल से 170 करोड़ रुपये से ज्यादा का ऑर्डर दिया गया है। बीएमएसआईसीएल बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के तहत सभी प्रतिष्ठानों के लिए दवाओं और उपकरणों की एकमात्र खरीद और वितरण एजेंसी है।

बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल) के कर्मचारियों ने पटना स्थित औषधिपरीक्षण प्रयोगशाला के वास्ते चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए जारी की गई निविदा प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि बीएमएसआईसीएल ने अज्ञात कारणों के चलते एक विशेष कंपनी को अनुबंध देने के लिए अपने स्वयं के मानदंडों की अनदेखी की। आरोपों पर प्रतिक्रिया के लिए बीएमएसआईसीएल के प्रबंध निदेशक दिनेश कुमार को ईमेल और व्हाट्सऐप पर संदेश भेजे गए लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इस साल 24 मई को, बीएमएसआईसीएल ने एक निविदा जारी की थी और इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार, बोली लगाने वालों को केवल ऑनलाइन तरीके से तकनीकी बोलियां जमा करने के लिए कहा गया था।

निविदा दस्तावेज में यह भी कहा गया था कि तकनीकी मूल्यांकन केवल ई-निविदा पोर्टल पर बोलीदाताओं द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों या कागजात के आधार पर किया जाएगा। बीएमएसआईसीएल के एक कर्मचारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, “चार कंपनियों ने बोली में हिस्सा लिया। हालांकि, उनमें से एक ने नियत तारीख से पहले अनिवार्य दस्तावेज, तकनीकी विनिर्देश और डेटा शीट आदि को ऑनलाइन अपलोड नहीं किया।’’ कर्मचारी ने बताया कि उक्त कंपनी ने एक भौतिक बोली जमा की और एक पत्र ऑनलाइन अपलोड किया जिसमें कहा गया कि वह फाइल का आकार बड़ा होने के कारण अपनी तकनीकी बोली अपलोड नहीं कर सकी। पत्र में कहा गया है, हम घोषणा करते हैं कि फाइल का आकार बड़ा होने के कारण, हम तकनीकी डेटा शीट अपलोड करने में असमर्थ हैं और इसलिए हम अन्य मूल दस्तावेजों के साथ इसकी हार्ड कॉपी जमा कर रहे हैं।’’

उक्त पत्र की एक प्रति पीटीआई के पास भी उपलब्ध है। बोली जमा करने की तारीख समाप्त होने के बाद, बीएमएसआईसीएल ने 4 अगस्त को कंपनियों को उनकी बोली में कमियों के बारे में सूचित किया और उन्हें सात दिनों के भीतर आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा। एक अन्य कर्मचारी ने कहा, ‘‘अगले चरण में, बीएमएसआईसीएल को अपनी वेबसाइट पर तकनीकी मूल्यांकन रिपोर्ट अपलोड करनी चाहिए थी। हालांकि, उसने अन्य दो कंपनियों की वित्तीय बोली 15 सितंबर को खोली और उनकी बोलियों की अयोग्यता के बारे में सूचित नहीं किया।’’ कर्मचारी ने कहा, “एक घोर उल्लंघन में, बीएमएसआईसीएल ने 27 अक्टूबर को दो कंपनियों में से एक को अनुबंध दे दिया, लेकिन अनुबंध देने के चार दिन बाद 31 अक्टूबर को तकनीकी बोली बैठक के विवरण अपलोड किए।

निगम को पारदर्शिता और अपने मानदंडों के अनुपालन के लिए ऐसा 15 सितंबर से पहले करना चाहिए था, जब उसने वित्तीय बोली खोली थी।’’ कर्मचारियों के अनुसार, बैठक के विवरण को उचित तर्क के साथ वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए था कि वे (बीएमएसआईसीएल) दो कंपनियों की बोलियों को क्यों खारिज कर रहे हैं और दो अन्य को स्वीकार कर रहे हैं। कर्मचारियों ने अन्य उल्लंघनों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि बीएमएसआईसीएल ने दो कंपनियों की बोलियों का चयन किया और आंतरिक दस्तावेजों से पता चलता है कि दोनों कंपनियों में से एक ने दूसरे के लिए ‘‘प्रॉक्सी के रूप में काम किया।’’ ऊपर उद्धृत कर्मचारी ने कथित कदाचार की जांच की मांग करते हुए कहा, दोनों कंपनियों ने जो 31 ब्रांड और मॉडल प्रस्तुत किए हैं, उनमें से 29 दोनों बोलियों में बिल्कुल समान हैं।’’

उन्होंने कहा, “भले ही हम मान लें कि यह महज संयोग है, दोनों कंपनियों के अन्य दस्तावेज भी हैं, जो शब्दशः एक जैसे हैं। कोई भी इसे राज्य सरकार के ई-टेंडर पोर्टल पर सत्यापित कर सकता है।’’ कर्मचारियों ने गुटबंदी का आरोप लगाया है जिसे या तो निगम पता लगाने में विफल रहा या उसने जानबूझकर अनदेखी की।’’ चिकित्सा लापरवाही के मामलों में पैरवी करने वाले और विषय के जानकार दिल्ली उच्च न्यायालय के वकील सचिन जैन ने कहा, “इस तरह की निविदा को अनुचित, गैर-पारदर्शी और सार्वजनिक नीति के खिलाफ होने के कारण रद्द कर दिया जाना चाहिए। इससे राज्य के खजाने को सीधा नुकसान होता है।’’ कर्मचारियों ने बीएमएसआईसीएल द्वारा बोली के लिए दर्शाई गई अनुमानित लागत और सफल (योग्य) कंपनियों द्वारा बताई गई कीमत पर भी सवाल उठाया।

कर्मचारियों ने कहा, ‘‘बीएमएसआईसीएल इन उत्पादों को खरीदने के लिए 4 करोड़ रुपये खर्च करना चाहती थी, लेकिन जिस कंपनी ने निविदा हासिल की है, उसने 13 करोड़ रुपये प्लस जीएसटी उद्धरित किया। यह इस बोली की अनुमानित लागत से तीन गुना अधिक है।’’ कर्मचारी ने कहा कि दूसरी कंपनी ने 16.57 करोड़ रुपये और जीएसटी की बोली लगाई थी। कर्मचारियों का आरोप है कि पिछले पांच साल में ठेका हासिल करने वाली इस खास कंपनी को बीएमएसआईसीएल से 170 करोड़ रुपये से ज्यादा का ऑर्डर दिया गया है। बीएमएसआईसीएल बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के तहत सभी प्रतिष्ठानों के लिए दवाओं और उपकरणों की एकमात्र खरीद और वितरण एजेंसी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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