अमरुल्लाह सालेह ने पाक के मंसूबों को किया बेनकाब, US की मदद वाली रकम का इस्तेमाल तालिबान के पालन-पोषण में किया
अफगानिस्तान पर तालिबान के इस तरह कब्जे को लेकर सालेह ने साफ शब्दों में कहा कि तालिबान कभी दवाब में नहीं था। उन्होंने पाकिस्तान का इस्तेमाल किया क्योंकि उन्हें (तालिबान) पता था कि पाकिस्तान हरदम उनके साथ है।
अफगानिस्तान में अभी भी एक इलाका है जहां तक तालिबान नहीं पहुंच पाया है। वो इलाका है पांच शेरों की घाटी कहे जाने वाले पंजशीर जहां से तालिबान को चुनौती मिल रही है। इस चुनौती की कमान संभालने वालों में एक नाम अमरुल्ला साहेल का है। खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित करने वाले सालेह पंजशीर इलाके से तालिबान को चुनौती दे रहे हैं। सीएनएन-न्यूज 18 से बात करते हुए अमरुल्ला सालेह ने खुलकर अपने विचार रखें।
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अफगान के ऐसे पतन होने और अशरफ गनी के देश छोड़ने के सवाल पर सालेह ने कहा कि इस भीषण त्रासदी पर चिंतन करने का ये सही समय है। अफगानिस्तान पर तालिबान के इस तरह कब्जे को लेकर सालेह ने साफ शब्दों में कहा कि तालिबान कभी दवाब में नहीं था। उन्होंने पाकिस्तान का इस्तेमाल किया क्योंकि उन्हें (तालिबान) पता था कि पाकिस्तान हरदम उनके साथ है। अमरुल्ला सालेह ने कहा कि पूरा पाकिस्तान तालिबान की खिदमत में लगा हुआ था। अमेरिका ने पाकिस्तान को उसकी मदद करने के लिए जो रकम मुहैया करवाई थी। उसका खुलकर इस्तेमाल पाकिस्तान ने तालिबान को पालने और पोसने में किया। सालेब ने कहा कि सबसे चौंकाने वाला पहलू ये है कि एक न्यूक्लियर पॉवर देश आतंकवाद और उग्रवाद को बढ़ावा दे रहा था। वो भी अफगान और उसके पश्चिमी सहयोगी देशों के खिलाफ जिसकी तरफ शायद किसी का ध्यान नहीं गया।
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सालेह ने कहा कि इसका दूसरा सबसे अहम कारण है दोहा वार्ता के जरिए तालिबान को मान्यता दी गई। तालिबान अपनी बातों के प्रति वफादार नहीं रहे। उन्होंने अपने किए गए वायदों का कभी सम्मान नहीं किया और पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मूर्ख बनाया। अमेरिका को लेकर अमरुल्लाह ने कहा कि उन्होंने क्या किया वो देख रहे हैं। वो देख रहे हैं कि किस तरह दुनिया भर की मीडिया उनके बारे में नकारात्मक लिख रही है। अमेरिका वैश्विक शक्ति है, उनके पास सबसे ताकतवर सेना है और हमने कभी भी उनके बारे में बुरा नहीं सोचा लेकिन ये बताता है कि एक गलत राजनीतिक फैसला किस तरह सुपर पॉवर को भी नीचा दिखा सकता है।
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