भारत के खिलाफ अब कौन सी नई चाल चल रहा चीन, हिंदुओं पर हमलों के बीच बांग्लादेश के इस्लामिक नेताओं का बीजिंग में लगा जमावड़ा
बांग्लादेश में जिस वक्त हिंदुओं के साथ इस तरह का व्यवहार हो रहा था ठीक उसी दिन, ढाका में चीनी दूतावास ने इस्लामी राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी, हिफाज़त-ए-इस्लाम बांग्लादेश, खिलाफत मजलिस, बांग्लादेश खिलाफत आंदोलन और निज़ाम-ए-इस्लाम पार्टी के प्रतिनिधि, जमात-ए-इस्लामी प्रमुख शफीकुर रहमान इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण थे।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले थामे नहीं थम रहे। राजधानी ढाका में एक बहुत बड़ी कट्टरपंथी यात्रा निकली है जिसमें एस्कॉन और हिंदुओं को अल्लाह-हू-अकबर के नाम के साथ काटने के नारे लग गए। वैध यात्रा दस्तावेजों के साथ भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के दर्जनों सदस्यों को बांग्लादेश की आव्रजन पुलिस ने बेनापोल सीमा पर वापस भेज दिया। वहीं उनके वकील पर जानलेवा हमला भी किया गया। बांग्लादेश में जिस वक्त हिंदुओं के साथ इस तरह का व्यवहार हो रहा था ठीक उसी दिन, ढाका में चीनी दूतावास ने इस्लामी राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी, हिफाज़त-ए-इस्लाम बांग्लादेश, खिलाफत मजलिस, बांग्लादेश खिलाफत आंदोलन और निज़ाम-ए-इस्लाम पार्टी के प्रतिनिधि, जमात-ए-इस्लामी प्रमुख शफीकुर रहमान इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण थे।
इसे भी पढ़ें: बेहद खेदजनक...त्रिपुरा में बांग्लादेश दूतावास के परिसर में घुसपैठ, आई विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश की इस्लामी पार्टियों के नेता वर्तमान में बीजिंग के निमंत्रण पर चीन का दौरा कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह हसीना सरकार के पतन के बाद दक्षिण एशियाई देश में सत्ता केंद्रों के साथ जुड़ने की चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की रणनीति का हिस्सा है। 14 सदस्यीय टीम का नेतृत्व जमात-ए-इस्लामी के केंद्रीय नेता नायब-ए-अमीर और पूर्व संसद सदस्य सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहेर कर रहे हैं। कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी भारत विरोधी रुख रखने के लिए जाना जाता है। चीन, 2009 से अवामी लीग के साथ जुड़ा हुआ है, जबकि बीएनपी और जमात सहित उसके सहयोगियों के साथ उसके पुराने संबंध हैं, जिनके शासन के दौरान 1970 के दशक में और फिर 1991 और 1996 और 2001-06 के बीच सैन्य अनुबंध जीते गए थे। दिलचस्प बात यह है कि जमात ने कभी भी उइगरों के प्रति चीन के व्यवहार की आलोचना नहीं की है।
इसे भी पढ़ें: Bangladesh में चिन्मय कृष्ण दास के वकील पर हमला, ICU में भर्ती
जानकारों का मानना है कि अफगानिस्तान और ईरान जैसे देशों को अपने पाले में लाने की कोशिश में जुटे चीन की नजर बांग्लादेश पर भी है। इसी कोशिश के नतीजे में उसने बांग्लादेश की राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को आमंत्रित किया है। चीन की मंशा भारत के साथ तनावपूर्ण स्थिति का फायदा उठाने की है। शेख हसीना की सरकार को भारत का करीबी माना जाता था। लेकिन बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शासन का मिजाज भी पटलता नजर आ रहा है।
अन्य न्यूज़