बच्चों को बनाना है फिजिकली एक्टिव, काम आएंगे यह महत्वपूर्ण टिप्स

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मिताली जैन । Apr 19 2019 2:06PM

बच्चों को फिजिकली एक्टिव बनाने का अर्थ यह कतई नहीं है कि उनसे टीवी, मोबाइल या लैपटॉप बिल्कुल ही छीन लिए जाएं। बल्कि जरूरत है कि आप उनका स्क्रीन टाइम सुनिश्चित करें। इससे उन्हें खेलने के लिए भी समय मिल जाएगा और उन्हें ऐसा भी नहीं लगेगा कि आप उनके साथ बहुत अधिक स्टिक्ट हो रहे हैं।

आज के टेक्नोलॉजी के युग में अधिकतर बच्चे शारीरिक रूप से निष्क्रिय ही होते हैं। पहले जहां बच्चे मैदान में जाकर खेलते थे व कई तरह की फिजिकल एक्टिवटिी करते थे, वहीं आज के समय में बच्चे अपनी हर खुशी मोबाइल, लैपटॉप व इंटरनेट में ही ढूंढ लेते है। फिजिकली इनएक्टिव होने और बर्गर पिज्जा के चलन के कारण बच्चों में मोटापा, शारीरिक कमजोरी, विभिन्न हिस्सों में दर्द आदि जैसी कई शारीरिक समस्याएं पैदा होने लगती है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि बच्चों को फिजिकली एक्टिव बनाया जाए। तो चलिए जानते हैं ऐसे कुछ टिप्स, जिनकी मदद से आप बच्चों को फिजिकली एक्टिव बना सकते हैं−

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खुद भी हों इन्वॉल्व

अगर आप सच में चाहते हैं कि बच्चा किसी तरह की फिजिकल एक्टिविटी करे तो इसके लिए जरूरी है कि आप खुद भी उसके साथ उसमें शामिल हों। अक्सर माता−पिता फोन या लैपटॉप में लगे रहते हैं और उन्हें देखकर बच्चे भी ऐसा ही करने लगते हैं। इसलिए संभव हो तो शाम के समय उनके साथ पार्क जाएं, एक्सरसाइज करें, कोई एक्टिविटी करें या फिर किसी भी तरह का कोई गेम खेलें। आपके साथ के कारण उन्हें खेलना अच्छा लगने लगेगा।

न बनाएं दबाव

कभी भी बच्चे पर फिजिकली एक्टिव होने के लिए दबाव न बनाएं, इससे बच्चे की रूचि उसमें कभी भी पैदा नहीं होगी। बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए पहले उन्हें खेलने के कुछ लाभ बताएं। साथ ही जब वह कोई नई फिजिकल एक्टिविटी करें तो उनसे इस बारे में बात करें। इस तरह उन्हें काफी अच्छा लगेगा।

तय करें सीमा

बच्चों को फिजिकली एक्टिव बनाने का अर्थ यह कतई नहीं है कि उनसे टीवी, मोबाइल या लैपटॉप बिल्कुल ही छीन लिए जाएं। बल्कि जरूरत है कि आप उनका स्क्रीन टाइम सुनिश्चित करें। इससे उन्हें खेलने के लिए भी समय मिल जाएगा और उन्हें ऐसा भी नहीं लगेगा कि आप उनके साथ बहुत अधिक स्टिक्ट हो रहे हैं। 

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क्लास का सहारा

आज के समय में कई तरह के सेंटर्स मौजूद हैं, जहां पर बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार एक्टिविटी करवाई जाती है जैसे डांसिंग, गेम खेलना, जूडो आदि। आप उनमें भी बच्चों का एडमिशन करवा सकते हैं। अगर आपके पास समय की कमी है तो इस तरह की क्लासेज एक अच्छा ऑप्शन है। इस तरह बच्चा नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी तो करेगा ही, साथ ही उसे कुछ नया भी सीखने को मिलेगा। इसे कहते हैं सोने पर सुहागा।

मिताली जैन

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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