सही मात्रा में कैलोरी ना लेने से शुरू हो जाती हैं यह समस्याएं
नियमित रूप से आपके शरीर की ज़रूरत से कम कैलोरी खाने से आपका चयापचय धीमा हो सकता है। कई अध्ययन बताते हैं कि लो कैलोरी डाइट लेने से शरीर में जलने वाली कैलोरी की संख्या में 23 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है।
शरीर को सही तरह से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में कैलोरी की जरूरत होती है। लेकिन जब लोग अपना वजन कम करना शुरू करते हैं, तो सबसे पहले कैलोरी इनटेक कम करते हैं। कई बार तो तेजी से वजन कम करने के लिए लोग बेहद लिमिटेड कैलोरी लेते हैं। लेकिन कैलोरी का सेवन कम करने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। तो चलिए जानते हैं इन समस्याओं के बारे में−
लो मेटाबॉलिज्म
नियमित रूप से आपके शरीर की ज़रूरत से कम कैलोरी खाने से आपका चयापचय धीमा हो सकता है। कई अध्ययन बताते हैं कि लो कैलोरी डाइट लेने से शरीर में जलने वाली कैलोरी की संख्या में 23 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। इसके कारण आपको मसल मास के लॉस होने की समस्या हो सकती है और लंबे समय में आपके लिए वेट लॉस को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
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थकान व पोषक तत्वों की कमी
नियमित रूप से आपके शरीर की आवश्यकता से कम कैलोरी खाने से आपको थकान का अनुभव हो सकता है। इतना ही नहीं, यह थकान की समस्या हमेशा बनी रह सकती है। दरअसल, कम कैलोरी का सेवन करने से आपके लिए शरीर की दैनिक पोषक जरूरतों को पूरा करना काफी कठिन हो जाता है। कैलोरी−प्रतिबंधित आहार पर्याप्त मात्रा में आयरन, फोलेट या विटामिन बी 12 प्रदान नहीं कर सकता है। इससे एनीमिया और अत्यधिक थकान हो सकती है।
प्रभावित प्रजनन क्षमता
आपको शायद पता ना हो लेकिन कैलोरी प्रतिबंधित आहार लेने से व्यक्ति की प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। खासतौर से, महिलाओं की प्रजनन क्षमता विशेष रूप से प्रभावित होती है। दरअसल, ऑव्यूलेट करने की क्षमता हार्मोन के स्तर पर निर्भर करती है और यह हार्मोन स्तर आहार में उपलब्ध कैलोरी की संख्या पर निर्भर है।
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हडि्डयों के लिए नुकसानदायक
बहुत कम मात्रा में कैलोरी का सेवन करने से आपकी हडि्डयां भी कमजोर होने लगती हैं। दरअसल, कम मात्रा में कैलोरी लेने से एस्टोजन व टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो जाता है। इन दो प्रजनन हार्मोनों के निम्न स्तर के कारण बोन फोरमेशन और हड्डी के टूटने की संभावना बढ़ जाती है। कम कैलोरी हडि्डयों के कमजोर होने की वजह बनता है।
मिताली जैन
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