Health Tips: सर्दियों में इन 8 कॉमन बीमारियां का होता है अधिक खतरा, जानिए लक्षण, बचाव और इलाज का तरीका
ठंड के मौसम में सीजनल बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। सर्दियों में कॉमन कोल्ड, बुखार और पेट दर्द जैसी समस्याएं आम बात हैं। ऐसे में आप इन तरीकों से मौसमी बीमारियों के लक्षण और बचाव के बारे में जान सकते हैं।
बदलते मौसम में बढ़ता बीमारियों का खतरा
बता दें कि मौसम में बदलाव होने पर वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। वहीं जिन लोगों की इम्यूनिटी पहले से कमजोर होती है, उनको सीजनल डिजीज का खतरा अधिक होता है। वहीं घरों में रहने से वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है।
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सर्दियों में इन बीमारियों का रहता है खतरा
ठंड के मौसम में बीमारियां आम हैं, क्योंकि जब कोई पीड़ित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो बैक्टीरिया हवा में आसानी से फैल सकते हैं। हालांकि इन बीमारियों के लक्षण तुरंत सामने नहीं आते हैं। अक्सर कुछ दिन या फिर एक सप्ताह में इसके लक्षण सामने आते हैं। वहीं इस मौसम में पहले से मौजूद कई बीमारियां आपको ट्रिगर कर सकती हैं।
कॉमन कोल्ड
राइनोवायरस की वजह से कॉमन कोल्ड की समस्या होती है, यह सर्दी-जुकाम और बुखार की वजह बन सकती है। इसकी एक बड़ी वजह सर्दियों में कम धूप का निकलना है। जिसकी वजह से शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है और आपका इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है।
कॉमन कोल्ड के लक्षण
बार-बार छींक आना
हल्का बुखार रहना
गले में खराश होना
नाक से पानी बहना
शरीर में दर्द होना
सिरदर्द
बचाव
कॉमन कोल्ड से बचाव के लिए नियमित रूप से हाथों को धोते रहें।
वहीं सर्दी-खांसी या बुखार से पीड़ित लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
खांसने या छींकने से भी आपको कॉमन कोल्ड अपनी चपेट में ले सकता है।
आमतौर पर इसका असर 2-3 दिन तक रहता है। इसमें आपको पर्याप्त आराम करने की सलाह दी जाती है। वहीं अगर तीन दिन से ज्यादा लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
जोड़ों में दर्द
ठंड के मौसम में हाथ व पैरों की ब्लड वेसल्ड सिकुड़ जाती हैं, जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द बढ़ सकता है। सर्दियों में कम एक्सरसाइज करने के कारण मसल्स में जकड़न, सूजन और दर्द की समस्या बढ़ जाती है। वहीं जिन लोगों को पहले से गठिया या फिर अर्थराइटिस की समस्या है, सर्दियों में उनकी परेशानी अधिक बढ़ जाती है।
जोड़ों में दर्द के लक्षण
चलते समय घुटनों में दर्द होना
घुटनों में सूजन
जल्दी थकान होना
बचाव
जोड़ों में होने वाले दर्द से बचाव के लिए खुद को और पैरों को गर्म रखें।
वहीं नियमित एक्सरसाइज करने से जोड़ों और मसल्स की जकड़न से राहत पाई जा सकती है।
सर्दियों में गठिया के रोगियों के लिए जोड़ों का दर्द गंभीर हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि डॉक्टर की सलाह लेकर जांच कराएं।
नोरोवायरस
बता दें कि नोरोवायरस एक संक्रामक वायरस है। इसके कारण गैस्ट्रोएंटेराइटिस की समस्या हो सकती है। सर्दियों के मौसम में हवी में नमी अधिक होती है, जिस कारण वायरस अधिक समय तक एक्टिव रहते हैं।
नोरोवायरस के लक्षण
मसल्स में दर्द
पेट में ऐंठन
हल्का बुखार
ठंड लगना
जी मचलाना
उल्टी-दस्त
सिरदर्द
बचाव
नोरोवायरस से बचाव के लिए आपको अपना इम्यून सिस्टम मजबूत रखना होता है।
वहीं अपने आसपास हाइजीन रखना बेहद जरूरी है।
हाथों को नियमित रूप से धोएं और आसपास सफाई बनाए रखें।
हालांकि यह बीमारी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है और यदि इसके लक्षण ज्यादा दिनों तक बने रहते हैं, तो परेशानी बढ़ सकती है।
ऐसे में आपको टेस्ट करवाना चाहिए और ट्रीटमेंट लेना चाहिए।
निमोनिया
निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया या फंगस की वजह से फेफड़ों में होने वाला इंफेक्शन है। आमतौर पर यह काफी गंभीर होता है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। निमोनिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। आमतौर पर इसके लक्षण कई सप्ताह कर रह सकते हैं, जोकि धीरे-धीरे सीवियर होते हैं।
निमोनिया के लक्षण
सांस लेने में तकलीफ
सीने में दर्द
पसीना आना
सिरदर्द
खांसी
बुखार
थकान
उल्टी
बचाव
गर्म कपड़े पहनें और सिर, कान व पैरों को ढककर रखें।
बिना वजह बाहर बर्फीली हवा में जाना बंद करें।
ठंडी चीजों का सेवन न करें।
अधिक समय तक सर्दी–जुकाम और खांसी की समस्या होने पर फौरन टेस्ट करवाना चाहिए।
ठंड में शरीर को अंदर से गर्म रखने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करें।
निमोनिया होने पर डॉक्टर एंटी-वायरल, एंटीबायोटिक या एंटीफंगल दवाएं देते हैं।
कान में इन्फेक्शन
सर्दी-जुकाम की समस्या होने पर कान में संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। बर्फीली हवा और ठंड में कान का बचाव न करने से संक्रमण का खतरा हो सकता है। इसका इलाज करना बेहद जरूरी होता है, वरना यह गंभीर रूप ले सकता है।
कान में इन्फेक्शन के लक्षण
कान में टेंडरनेस होना
असामान्य ब्लीडिंग
कान में खुजली
सिरदर्द होना
कान में सूजन
चक्कर आना
कान में दर्द
बचाव
सर्दियों में कान को हमेशा ढंककर रखें।
बाहर जाते हुए मफलर या टोपी जरूर पहनें।
कान में पानी न जाने दें। नहाते हुए विशेष सावधानी बरतें।
अपने हाथों को साबुन से धोएं। कीटाणुओं से बचें।
कान में इंफेक्शन होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। इसे न इग्नोर करें और न ही कोई घरेलू इलाज करें। समय पर ट्रीटमेंट न मिलने पर यह गंभीर हो सकता है।
थ्रोट (गले में) इन्फेक्शन
ठंड के मौसम में प्रदूषित हवा के कारण हमारे श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। इससे गले में इंफेक्शन का खतरा रहता है। क्योंकि ड्राई और ठंडी हवा में वायरस और बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं, जो गले में इंफेक्शन की वजह बन सकती है।
थ्रोट इन्फेक्शन के लक्षण
कुछ भी निगलने में परेशानी
सांस लेने में परेशानी
गले में दर्द और जलन
आवाज बदलना
गले में सूजन
बचाव
गले को साफ रखने के लिए गुनगुने नमक वाले पानी से गरारा कर सकते हैं।
आप अपनी डाइट में विटामिन C और एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर फल-सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
वहीं गले के इंफेक्शन से बचाव के लिए खुद को हाइड्रेटेड रखना चाहिए।
गले में इंफेक्शन के लिए आपको एंटीबायोटिक दवाएं लेनी पड़ सकती है। इस तरह की समस्या होने पर किसी ENT डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
हार्ट अटैक
सर्दियों के मौसम में धमनियां सिकुड़ जाती हैं और ब्लड फ्लो धीमा हो जाता है। इसलिए सर्दियों के मौसम में हार्ट को पूरे शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई करने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है।
वहीं अगर किसी को पहले से हार्ट डिजीज है, तो ठंड में उन लोगों में हार्ट अटैक का खतरा 30 फीसदी तक बढ़ जाता है।
हार्ट अटैक के लक्षण
दिल की धड़कन रुकना
छाती में तेज दर्द
पसीना या चक्कर आना
सांस लेने में परेशानी
बेहोशी
बचाव
रोजाना एक्सरसाइज करें और हेल्दी डाइट लें।
अगर पहले से दिल संबंधी समस्या है, तो ठंड में हैवी काम न करें और शरीर को आराम दें।
वहीं स्मोकिंग और शराब से तौबा करें।
बता दें कि हार्ट अटैक आने पर फौरन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। वरना यह जानलेवा साबित हो सकता है।
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