इस वजह से टूट सकती हैं शरीर की हड्डियां, रखें सावधानी
ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों को कमज़ोर बनाने वाली बीमारी है जिसमें बोन मास डेंसिटी कम हो जाती है, और इसी वजह से हड्डियों के टूटने का जोखिम बढ़ जाता है। यदि शुरुआती अवस्था में ही इस समस्या का इलाज न करवाया जाए तो आगे चलकर बीमारी बहुत बढ़ जाती है।
उम्र बढ़ने के साथ आमतौर पर हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं, लेकिन जिन लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी होती है उन्हें हड्डियां टूटने का खतरा अधिक होता है। मामूली चोट या गिरने से भी हड्डियां फ्रैक्चर हो सकती हैं। ऐसे लोगों को अपनी लाइफस्टाइल और फिजिकल एक्टिविटी पर खास ध्यान देने की ज़रूरत है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बढ़ती उम्र में हड्डियों को टूटने से बचाने के लिए डायट और एक्सरसाइज़ के साथ ही सावधानी बरतना भी ज़रूरी है।
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क्या है ऑस्टियोपोरोसिस?
यह हड्डियों को कमज़ोर बनाने वाली बीमारी है जिसमें बोन मास डेंसिटी कम हो जाती है, और इसी वजह से हड्डियों के टूटने का जोखिम बढ़ जाता है। यदि शुरुआती अवस्था में ही इस समस्या का इलाज न करवाया जाए तो आगे चलकर बीमारी बहुत बढ़ जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में ज़्यादा होता है, लेकिन अब यह समस्या कम उम्र की महिलाओं और पुरुषों में भी देखी जा रही। कुछ लोगों को लगता है कि कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमज़ोर होती हैं, लेकिन ऑस्टियोपोरोसिस का एकमात्र कारण यही नहीं है दरअसल, गलत खानपान, जेनेटिक कारण, फिजिकली एक्टिव न रहना और मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल घटना भी ऑस्टियोपोरोसिस के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम कारक
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, इन लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है जो-
- फिजिकल एक्टिव नहीं रहते
- डायट में कैल्शियम की कमी होती है
- विटामिन डी की कमी
- सिगरेट और शराब का सेवन करने वाले
- मोटापे का शिकार हो
- रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित व्यक्ति
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ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो कुछ बातों का ध्यान रखकर ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- नियमित रूप से कसरत करें
- डायट में भरपूर कैल्शियम युक्त चीज़ों को शामिल करें। डेयरी प्रोडक्ट्स कैल्शियम का बेहतरीन स्रोत हैं। कैल्शियम हड्डियों को बनाने और मज़बूती देने में अहम भूमिका निभाता है।
- विटामिन डी की कमी दूर करने के लिए रोज़ाना कुछ देर धूप सेकें। इसके अलावा मशरूम, फैटी फिश और अंडे के पीले भाग में भी विटामिन डी पाया जाता है।
- डायट में प्रोटीन का होना भी ज़रूरी है, यह टिशू और मांसपेशियों को मज़बूती देता है। इसके लिए दाल, बीन्स, अंडा, मछली, पनीर आदि को डायट में शामिल करें।
- कैल्शियम को अवशोषित करने के लिए विटामिन सी ज़रूरी है। इसलिए नियमित रूप से खट्टे फल जैसे संतरा, मौसमी, कीवी, नींबू, आंवला आदि खाएं।
- वज़न नियंत्रित रखें।
- सिगरेट और शराब से परहेज़ करें।
- तनाव से दूर रहने की कोशिश करें।
- हाथ और पैरों की तेल से मालिश करें।
- डायट में तिल का ज़रूर शामिल करें या हड्डियों को मज़बूत बनाती है।
- नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं ताकि बीमारी होने पर शुरुआती अवस्था में ही पता चल सके।
- बढ़ती उम्र में कई तरह के रोगों से बचने के लिए पर्याप्त नींद, हेल्दी डायट और एक्सरसाइज़ बहुत ज़रूरी है।
- कंचन सिंह
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