Health Tips: फ़्लूइड रिटेंशन की वजह से महिलाओं में हो सकता है साइक्लिक एडिमा, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

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फ्ल्यूड रिटेंशन, यह एक सिंड्रोम है। प्रेग्नेंसी के दौरान यह मेंस्ट्रुएशन महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है। इस सिंड्रोम के होने पर डायबिटीज, मानिसक सेहत खराब होना और मोटापा आदि शामिल है।

फ्ल्यूड रिटेंशन महिलाओं में देखी जाने वाली एक स्थिति है। खासतौर पर यह सिंड्रोम जवान महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसी स्थिति में आपको सोडियम और वाटर रिटेंशन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इसका इलाज संभव है, लेकिन आसान नहीं। इस सिंड्रोम को ठीक करने के लिए आपको दवाओं के साथ अपनी लाइफस्टाइल और डाइट में भी बदलाव करने होते हैं। इसको पीरियॉडिक स्वेलिंग के नाम से भी जाना जाता है। इस सिंड्रोम के होने पर हाथ-पैर और मुंह पर सूजन आ जाती है।

यह एक सिंड्रोम है, जो फ्ल्यूड रिटेंशन की वजह से होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान यह मेंस्ट्रुएशन महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है। इस सिंड्रोम के होने पर डायबिटीज, मानिसक सेहत खराब होना और मोटापा आदि शामिल है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में बताने जा रहे हैं।

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जानिए कैसे होते हैं लक्षण

इस सिंड्रोम के होने पर आपको अपने शरीर के कई हिस्सों में सूजन की समस्या देखने को मिल सकती है। जैसे हाथ-पैर या मुंह पर सूजन आना। वहीं इस सिंड्रोम के लक्षण में पेट फूलने की स्थिति भी हो सकती है या फिर अचानक से आपका वेट बढ़ सकता है। वहीं पीरियड्स आने से पहले पूरी बॉडी में सूजन जैसी समस्या महसूस हो सकती हैं।

कारण

शायद आप कुछ ऐसी दवाओं का सेवन कर रहे हों, जिनमें लेक्सेटिव और डाइयूरेटिक आदि शामिल हों। इसकी वजह से भी आपको यह सिंड्रोम हो सकता है। इसमें उन लिंफ का विकास विफल हो जाता है, जो फ्ल्यूड को आपकी बॉडी से बाहर निकालते हैं। जिसकी वजह से फ्ल्यूड शरीर में अधिक मात्रा में एकत्र होने लगते हैं और आप को सोडियम या फिर वाटर रिटेंशन का सामना करना पड़ सकता है।

जानिए किसमें सबसे ज्यादा रिस्क

प्रेग्नेंट महिलाओं में

बता दें कि प्रेग्नेंट महिलाएं फ्ल्यूड रिटेन अधिक कर पाती हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौराम महिलाओं में अधिक सूजन देखने को मिलती है।

पीरियड्स के समय

इसके अलावा जो महिलाएं मासिक साइकिल में होती हैं, उनमें भी इस संड्रोम के दिखने का चांस ज्यादा होता है। इस दौरान पेट फूलने जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

दवाइयां खाने वाले लोगों में

जो लोग डायबिटीज की दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, उनमें भी इस सिंड्रोम के होने का खतरा थोड़ा ज्यादा होता है।

किडनी के पेशेंट में

इसके साथ ही जो लोग किडनी के पेशेंट हैं, उनमें भी यह सिंड्रोम होने का रिस्क अधिक होता है।

इलाज

इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए आपको अपनी डाइट में कुछ बदलाव करने चाहिए। आपको अपनी डाइट में नमक की मात्र कम करनी चाहिए और ड्यूरेटिक जैसी दवाओं का सेवन बंद कर देना चाहिए। इस दौरान आपको बहुत टाइट कपड़े पहनने से बचना चाहिए। हालांकि सभी लोगों को हर तरह का इलाज सूट नहीं करता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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