Vaishnav Kamada Ekadashi: 2 अप्रैल को मनाई जा रही वैष्णव कामदा एकादशी, जानिए किन लोगों को रखना चाहिए यह व्रत
इस साल कामदा एकादशी 2 दिन मनाई जा रही है। दूसरे दिन पड़ने वाली एकादशी को वैष्णव एकादशी कहते हैं। इस दिन संन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं और वैष्णव संप्रदाय के लोग व्रत करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और एकादशी का व्रत किया जाता है।
हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी यानि की चैत्र शुक्ल की पहली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। इस साल एक अप्रैल को जहां कामदा एकादशी मनाई गई तो वहीं 2 अप्रैल को वेष्णव कामदा एकादशी मनाई जा रही है। मान्यता के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है और तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति होती है। इस साल यह एकादशी 2 दिन मनाई जा रही है।
एकादशी व्रत तिथि की शुरूआत- 1 अप्रैल 2023, 01:58
एकादशी व्रत तिथि का समापन- 2 अप्रैल 2023, 04:19
वैष्णव कामदा एकादशी व्रत की डेट- 2 अप्रैल
वैष्णव कामदा एकादशी पारण का समय- 3 अप्रैल, 06:11-06:24
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किसे करना चाहिए वैष्णव एकादशी का व्रत
कई बार एकादशी का व्रत 2 दिन के लिए हो जाता है। ऐसे में जब एकादशी का व्रत 2 दिन पड़े तो गृहस्थ जीवन में आने वाले लोगों को पहले दिन पड़ने वाली एकादशी का व्रत करना चाहिए। वहीं दूसरे दिन की एकादशी यानी की वैष्णव एकादशी का व्रत संन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं और वैष्णव संप्रदाय के लोगों को व्रत करना चाहिए।
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद मंदिर में लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें।
फिर जल, तिल, रोली, अक्षत लेकर भगवान का अभिषेक करें।
फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल अर्पित कर भगवान श्रहरि को धूप-दीप दिखाएं।
शुद्ध घी का दिया जलाकर विष्णुजी की आरती करें और फिर एकादशी व्रत कथा करें।
शाम को फिर से पूजा-अर्चना कर फलाहार करें।
रात्रि के समय विष्णु सह्स्त्रनाम, और विष्णु चालीसा का पाठ करना चाहिए।
व्रत के अगले दिन ब्राह्णण और गरीबों को भोजन कराएं और दक्षिणा के साथ कंबल, गर्म कपड़े, तिल और अन्न का दान करें।
फिर व्रत का पारण कर लें।
भगवान विष्णु के मंत्र
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
ऊँ नमो नारायणाय नमः
ऊँ विष्णवे नमः
ऊँ हूं विष्णवे नमः
ऊँ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
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