विवाद संबंधी दोष भी दूर होते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से
हिन्दू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। यह दिन भगवान गणेश जी को समर्पित होता है। गणेश जी को देवताओं में प्रथम देव का दर्जा है। इसलिए हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी का स्मरण किया जाता है।
आज संकष्टी चतुर्थी है, हिन्दू धर्म में इस व्रत को बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करते हैं। मार्गशीर्ष माह की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से गणपति की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के कष्टों का नाश होता है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं तो आइए हम आपको संकष्टी व्रत का महत्व तथा पूजा की विधि के बारे में बताते हैं।
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संकष्टी चतुर्थी व्रत के बारे में जानकारी
हिन्दू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का अर्थ संकट को दूर करने वाली चतुर्थी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। संकष्टी चतुर्थी की खास बात यह है कि यह पूजा सुबह और शाम दोनों समय में की जाती है। जहां सुबह व्रत का संकल्प लिया जाता है, वहीं शाम को आरती की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से संकट से मुक्ति मिलती है। गणेश चतुर्थी का व्रत भगवान गणेशजी को समर्पित है तथा यह व्रत हर महीने की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार यह संकष्टी चतुर्थी व्रत इस बार 23 नवम्बर 2021 दिन मंगलवार को रखा जाएगा।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
हिन्दू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। यह दिन भगवान गणेश जी को समर्पित होता है। गणेश जी को देवताओं में प्रथम देव का दर्जा है। इसलिए हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी का स्मरण किया जाता है। गणेश जी की उपासना करने से शिक्षा, धन, सेहत और मान सम्मान प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन जो लोग सच्चे मन से व्रत रखते हैं तथा भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से उपासना करते हैं उसके ऊपर प्रभु की कृपा बरसती है। पंडितों का मानना है कि इस संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वाले जातक को गणेश भगवान सभी मुसीबतों से बाहर निकालते हैं तथा मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से विवाद संबंधी दोष भी दूर होते हैं।
संकष्टी चतुर्थी के दिन ऐसे करें पूजा
संकष्टी चतुर्थी का अवसर बहुत खास होता है। इसलिए इस दिन जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र पहनें। इसके बाद चौकी साफ आसन बिछाएं और उस पर गंगाजल का छिड़कें। अब चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र विराजित करें। गणेश जी को फूल माला चढ़ाएं।
अब दीपक, अगरबत्ती और धूपबत्ती जलाएं। उसके बाद गणेश चालीसा पढ़ें तथा गणेश मंत्रों का जाप करें। भगवान गणेश की आरती करें। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को पूरा करें।
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी को शुभ माना जाता है। इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। अगर कोई व्यक्ति संकष्टी व्रत की शुरुआत करना चाहता है तो कहते हैं कि अंगारकी संकष्टी चतुर्थी से शुरुआत कर सकते हैं। मार्गशीर्ष माह की संकष्टी चतुर्थी तिथि 22 नवंबर 2021, सोमवार की रात 10:26 बजे से शुरू होकर 23 नवंबर 2021, मंगलवार रात 12:55 मिनट बजे समाप्त होगी।
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अगर आप राहु-केतु जैसे ग्रहों से परेशान हैं तो गणेश जी की पूजा करने से राहु-केतु से यह दोष दूर हो जाता है। पंडितों के अनुसार राहु तथा केतु को प्रसन्न करने हेतु इस दिन भगवान गणेश जी को दूर्वा घास अर्पित करनी चाहिए। ऐसी पूजा से इन दोनों ग्रहों की अशुभता में कम होती है।
- प्रज्ञा पाण्डेय
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