Makar Sankranti festival 2024: 15 जनवरी को रवि योग में मनाया जाएगा मकर संक्रांति पर्व

Makar Sankranti festival
Prabhasakshi

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 15 जनवरी को रवि योग, शतभिषा नक्षत्र में मनाई जाएगी। इस दिन वारियांन योग पूरे दिन रहेगा। रवि योग सुबह 7:15 से 8:07 बजे तक रहेगा।

अंग्रेजी वर्ष 2024 में इस बार लीप वर्ष का संयोग बन रहा है। यह वर्ष 365 दिनों के बजाय 366 दिनों का होगा। फरवरी 28 दिनों का होता है, लेकिन लीप वर्ष में फरवरी 29 दिनों का रहेगा। इस महीने सप्ताह के सात वारों में से छह वार चार-चार बार पड़ रहे हैं। केवल गुरुवार पांच बार पड़ेगा। प्रत्येक वर्ष के पहले महीने में मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस साल लीप वर्ष के संयोग में सूर्य 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश कर रहा है, इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाएंगे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी 2024 की अर्धरात्रि 02:42 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे। उदया तिथि 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है। ऐसे में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी। ऐसे में सूर्यास्त के बाद राशि परिवर्तन करने से इस साल मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को रहेगा। इस वर्ष मकर संक्रांति अश्व पर बैठकर आएगी यानी उनका वाहन अश्व और उपवाहन सिंह होगा। मकर संक्रांति के आगमन के साथ ही एक माह का खरमास भी समाप्त हो जाएगा

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात्रि 2.42 बजे हो रहा है। उदया काल को महत्व दिए जाने से 15 जनवरी को सूर्य के उदय होने पर मकर संक्रांति मनाना शुभ होगा। पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, शतभिषा नक्षत्र होने से सुबह से ही पुण्यकाल प्रारंभ हो जाएगा।

इसे भी पढ़ें: Ayodhya Ram Mandir: देश के सबसे लंबे केस में शामिल है श्रीराम जन्मभूमि, जानिए विवाद, विध्वंस से लेकर निर्माण तक की कहानी

रवि योग 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 15 जनवरी को रवि योग, शतभिषा नक्षत्र में मनाई जाएगी। इस दिन वारियांन योग पूरे दिन रहेगा। रवि योग सुबह 7:15 से 8:07 बजे तक रहेगा।

मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति का महा पुण्य काल सुबह 07:15 मिनट से सुबह 09:00 बजे तक है। इस समय में आपको मकर संक्रांति का स्नान और दान करना चाहिए। उस दिन महा पुण्य काल 1 घंटा 45 मिनट तक है। हालांकि पुण्य काल में भी मकर संक्रांति का स्नान दान होगा।

मकर संक्रांति का वाहन अश्व, उपवाहन शेर

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति का वाहन इस बार अश्व है और उपवाहन शेर है। दोनों ही तेज दौड़ते हैं और गति के प्रतीक हैं। संक्रांति के प्रभाव से गेहूं, अनाज दूध और दूध से निर्मित पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि होगी। वहीं, भारत देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पराक्रम बढ़ेगा। अन्य देशों से संबंध मजबूत होंगे।

देश के लिए मकर संक्रांति शुभ

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा, नदियों में स्नान, देव दर्शन और दान से विशेष पुण्य फल मिलेगा। इस संक्रांति का वाहन अश्व और उपवाहन सिंह होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का पराक्रम बढ़ेगा। दूसरे देशों से संबंध मजबूत होंगे। विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए ये संक्रांति शुभ रहेगी। लेकिन अन्य कुछ लोगों में डर बढ़ सकता है। अनाज बढ़ेगा और महंगाई पर नियंत्रण भी रहेगा। चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी।

नदी में स्नान, दान का महत्व

भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति पर सूर्य, धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके तिल, गुड़, वस्त्र का दान करने से पुण्य में वृद्धि होती है।

भीष्म ने किया था उत्तरायण काल का इंतजार

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता है कि संक्रांति के दिन सूर्य, उत्तरायण में प्रवेश करता है। उत्तरायण को शुभ काल मानते हैं। इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त करने वाले तीरों की शैया पर लेटे भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए उत्तरायण काल का इंतजार किया था।

पतंग उड़ाने की परंपरा

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मकर संक्रांति पर्व को उत्तर भारत में स्नान पर्व के रूप में मनाया जाता है। पवित्र नदियों में स्नान करके खिचड़ी खिलाने, तिल, गुड़ का दान करने की मान्यता है। जीवन में खुशियां, उत्साह, उमंग के लिए आकाश में पतंग उड़ाने की परंपरा निभाई जाती है। इसी तरह दक्षिण भारत में पोंगल पर्व के रूप में मनाते हैं। गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाते हैं।

संक्रांति का वाहन- अश्व

उपवाहन- शेर

आगमन दिशा- दक्षिण दिशा से संक्रांति का आगमन

प्रस्थान दिशा- उत्तर दिशा में संक्रांति का प्रस्थान

प्रभाव- गेहूं, दूध के उत्पादों में वृद्धि, भारत का पराक्रम बढ़ेगा

- डा. अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़