Simha Sankranti 2023: सिंह संक्रांति पर सूर्य देव को अर्घ्य देने से बरसेगी कृपा, सूर्य के तेज सी रोशन होगी आपकी किस्मत
ग्रहों के राजा सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे संक्रांति कहते हैं। 17 अगस्त को सूर्य देव अपनी स्वराशि सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, सिंह संक्रांति के दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना महत्व होता है।
ग्रहों के राजा सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे संक्रांति कहते हैं। आज यानी की 17 अगस्त को सूर्य देव अपनी स्वराशि सिंह राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। इस संक्रांति को सिम्हा या सिंह संक्रांति कहा जाता है। ज्योतिष में इस संक्रांति की बेहद अहम महत्व बताया गया है। आज सूर्य देव कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, सिंह संक्रांति के दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना महत्व होता है। इसके अलावा भगवान विष्णु और नरसिंह देव की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। बता दें कि ग्रहों के देवता सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको सिंह संक्रांति की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
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तिथि और शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है। सूर्य देव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं आज यानी की 17 अगस्त 2023 को सिंह संक्रांति है। आज यानी की 17 अगस्त की सुबह 06:44 मिनट से सिंह संक्रांति शुरू होगी। वहीं 18 अगस्त को दोपहर 01:44 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी। आज सूर्य देव कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेंगे। सिंह संक्रांति के मौके पर सुबह स्नान आदि कर सूर्यदेव को अर्घ्य देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में इस दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
पूजा विधि और मंत्र
सिंह संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। अगर नदी में स्नान करना संभव नहीं हो, तो नहाने के पानी में थोड़ा से गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
सुबह स्नान आदि कर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। आज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल, रोली, अक्षत और कुमकुम मिलाकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
सूर्य देव को अर्घ्य देते समय ओम् आदित्याय विद्महे सहस्र किरणाय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् मंत्र का जाप करना चाहिए।
सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के बाद अपने स्थान की तीन बार परिक्रमा करें। फिर सूर्य देव को प्रणाम कर अपने जीवन में आने वाले दुखों को दूर करने की प्रार्थना करें। मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से तमाम दुखों का अंत हो जाता है।
सूर्य नारायण की पूजा के बाद जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु व नरसिंह भगवान की पूजा करें। सिंह संक्रांति के मौके पर श्रीहरि विष्णु को तुलसी दल अर्पित करना फलदाय़ी होता है।
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