अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए आप भी बनाइए मोबाइल एप्प, कुछ खास तकनीकी पहलुओं का रखिए ख्याल

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कमलेश पांडे । Oct 19 2024 4:28PM

इस बात में कोई दो राय नहीं कि मोबाइल ऐप्लिकेशन्स हमलोगों का बहुत सारा काम आसान कर देती हैं। इसके अनुप्रयोग से अब बैंक के काम के लिए लोगों को बैंक में घंटों लाइन में खड़ा नहीं रहना पड़ता है। इसके अलावा, आप ऐप्स के जरिए शॉपिंग, बैंकिंग, पढ़ाई जैसे और न जाने कितने काम कर सकते हैं।

समकालीन दुनिया में प्रायः हर अग्रणी क्षेत्र में डिजिटल तकनीक हावी हो चुकी है। इसका दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। लिहाजा, आप यदि अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहते हैं तो आपको भी खुद अपनी ऐप बनाने की पहल करनी चाहिए। क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के दौर में ऐप बनाना बहुत आसान हो चुका है। बस आपको नीचे बताई हुई बातों पर फोकस करते जाना है।

इस बात में कोई दो राय नहीं कि मोबाइल ऐप्लिकेशन्स हमलोगों का बहुत सारा काम आसान कर देती हैं। इसके अनुप्रयोग से अब बैंक के काम के लिए लोगों को बैंक में घंटों लाइन में खड़ा नहीं रहना पड़ता है। इसके अलावा, आप ऐप्स के जरिए शॉपिंग, बैंकिंग, पढ़ाई जैसे और न जाने कितने काम कर सकते हैं। क्योंकि बदलते दौर में यह एक तरह की लग्जरी हो चुकी है। इसके माध्यम से व्यवसायों को अपने ग्राहकों से जुड़ने का भी मौका मिलता है। यदि आप भी एक व्यापारी पुरूष या महिला हैं और यह सोच रहे हैं कि अपने कार्य व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए अपना ऐप कैसे बनाएं, तो आप यहां बताए चरणबद्ध निर्देशों का अनुशरण करके अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए ऐप डिजाइन कर सकते हैं-

पहला, अपने लक्ष्य को तय करें और उसके हर पहलुओं पर विचार करें। क्योंकि किसी भी टेक्निकल विषय वस्तु (ऐस्पेक्ट) में जाने से पहले आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आपके व्यापार को किसी ऐप की जरूरत क्यों है? इसका स्पष्ट जवाब होगा कि आपके ऐप का लक्ष्य आपके बिजनेस को उसके उद्देश्य से एलाइन करना है। यदि अनुभव के आधार पर स्पष्ट करूँ तो आपको अपने ग्राहक जुड़ाव में सुधार के लिए, अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए, अपने ग्राहकों को सुविधाजनक सेवाएं प्रदान करने के लिए, अपने ब्रांड की विजिबिलिटी बढ़ाने के लिए आपको ऐप की आवश्यकता पड़ेगी। इसलिए आपके ऐप के लक्ष्य जितने स्पष्ट होंगे, उसे प्रभावी ढंग से डिजाइन करना उतना ही आसान हो जाएगा। अतः आप खुद से यह विचार करें कि आपके उपयोगकर्ताओं के लिए कौन-सी सुविधाएं सबसे अधिक लाभकारी होंगी। इसके लिए आप अपने क्षेत्र के अनुभवी लोगों से परिचर्चा भी करके अपनी दुविधा को समाप्त कर सकते हैं और सही व उपयोगी निर्णय ले सकते हैं।

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दूसरा, अपने दर्शकों को लक्षित करें। उनको बखूबी पहचानें। ऐसा करके आप अपनी ऑडियंस को जानकर एक बेहतर ऐप बनाने का खाका खींच सकते हैं और उसपर ईमानदारी पूर्वक अमल कर सकते हैं। दरअसल, ऐसा करने से आपको उनकी जनसांख्यिकी, वरीयताओं और व्यवहार को समझने के साथ साथ उसकी के अनुरूप एप्प की डिजाइन बनाने और उस पर आधारित कार्यक्षमता विकल्प बनाने में मदद मिलती है। बस, यहां पर आपको तय करना है कि क्या आपका ऐप आईओएस (iOS), एंड्रॉयड (Android) या फिर दोनों के लिए होगा? इसके अलावा, आपको यह भी तय करना होगा कि क्या आपकी टार्गेट ऑडियंस सरल, उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस या अधिक रिफाइन्ड फंक्शनैलिटी पसंद करते हैं? वहीं, आप यह भी तय कर लें कि आपका ऐप उनकी कौन-सी समस्याएं और जरूरतें हल करेगा? इसके बारे में प्रतिस्पर्धी विश्लेषक के नजरिए से अपने निष्कर्ष पुख्ता कर लीजिए।

तीसरा, अपने प्रतिस्पर्धियों पर शोध करें। क्योंकि जब आप अपने प्रतिस्पर्धियों के बारे में रिसर्च करते हैं तो आपको यह पता चलता है कि आपके लिए क्या कारगर है और क्या नहीं। इसके अलावा, आप यह भी देखें कि आपके कारोबारी प्रतिस्पर्धी अपने ग्राहकों को एप्प के जरिए क्या सुविधाएं प्रदान करते हैं? उनके ऐप कैसे स्ट्रक्चर हुए हैं? उनके उपयोगकर्ता आंतरिक समीक्षाओं में क्या कह रहे हैं?

यदि आप इन बातों का सटीक आकलन करेंगे तो यह शोध आपको बाजार के रुझानों को समझने और अपने ऐप को दूसरों से अलग करने के अवसर खोजने में काफी मदद करेगा। इसलिए ऐसा अवश्य करें।

चतुर्थ, सही प्लेटफॉर्म का चुनाव करें। यानी कि आईओएस (iOS), एंड्रॉयड (Android) या क्रॉस-प्लेटफॉर्म ऐप विकसित करने के बीच का चुनाव आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि सबकी अपनी अपनी खासियत है। आईओएस (iOS) के जरिए आईफोन (iPhone) और आईपैड (iPad) जैसे एप्पल (Apple) डिवाइस के उपयोगकर्ताओं को टार्गेट करें। वहीं, एंड्रॉयड (Android) के जरिए ग्लोबल ऑडियसं तक पहुंचें, विशेष रूप से उन बाजारों में जहां एंड्रॉयड (Android) का बोलबाला है। वहीं, क्रॉस-प्लेटफॉर्म के जरिए फ्लटर या रिएक्ट नेटिव जैसे फ्रेमवर्क का उपयोग करके आप दोनों प्लेटफॉर्म के लिए एक ऐप बनाएं, जिससे समय और लागत दोनों की बचत होगी। इस लिहाज से बेहतर होगा कि आप अपने दर्शकों की डिवाइस वरीयताओं, बाजार पहुंच और बजट के आधार पर अपनी पसंद तय करें। यही सब तरह से अच्छा होगा।

पांचवां, इन-हाउस डेवलपमेंट और आउटसोर्सिंग के बीच सटीक निर्णय लें। क्योंकि ऐप बनाना एक तकनीकी चुनौती हो सकती है। इसलिए आपको यह तय करना होगा कि इसे इन-हाउस बनाना है या फिर आउटसोर्स करना है। मेरी राय में यदि आप इन-हाउस डेवलपमेंट करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा, बशर्ते कि आपके पास एक कुशल डेवलपमेंट टीम है। क्योंकि यह विकल्प आपको सभी प्रक्रिया पर पूरा नियंत्रण देता है। वहीं, आउटसोर्सिंग के जरिए तकनीकी विशेषज्ञता की कमी वाले व्यवसायों के लिए, ऐप डेवलपमेंट एजेंसियों को आउटसोर्सिंग करने से प्रोजेक्ट में अनुभव और दक्षता आ सकती है। बस सिर्फ इतना ध्यान रखें कि आप एक मजबूत पोर्टफोलियो वाली प्रतिष्ठित एजेंसी का चयन करें।

छठा, उपयोगकर्ता अनुभव (UX) और उपयोगकर्ता इंटरफेस (UI) डिजाइन करें। क्योंकि एक बढ़िया ऐप सिर्फ कार्यात्मक नहीं होता, बल्कि यह उपयोगकर्ता के अनुकूल भी होता है। एक ओर UX/UI डिजाइन यह सुनिश्चित करता है कि आपका ऐप नेविगेट करने में आसान और दिखने में आकर्षक होगा। वहीं, UX डिजाइन इस बात पर ध्यान देता है कि उपयोगकर्ता ऐप के साथ कैसे इंटरैक्ट करेंगे। इसलिए आप अपने एप्प में सहज नेविगेशन, इंस्टेंट लोडिंग समय और प्रमुख सुविधाओं तक आसान पहुंच को प्राथमिकता दें। वहीं, UI डिजाइन में रंग, फॉन्ट और ब्रांडिंग तत्व जैसे एस्थेटिक पहलू शामिल हैं, जो आपके लक्षित दर्शकों को आकर्षित करते हुए आपके व्यवसाय की पहचान को दर्शाएंगे। इसलिए इन सभी पहलुओं पर आपको गौर करना चाहिए। वहीं, एप्प डेवलप करने से पहले आप अपने ऐप के फ्लो का परीक्षण करने के लिए वायरफ्रेम या प्रोटोटाइप बनाने पर विचार करें।

सातवां, ऐप विकसित (डेवलप) करें। क्योंकि एक बार जब आपके डिजाइन अंतिम रूप से तैयार हो जाते हैं, तो फिर एप्प डेवलपमेंट शुरू होती है। इस फेज में कोडिंग और ऐप के बैक-एंड और फ्रंट-एंड कार्यक्षमताओं को बनाना शामिल है। वहीं, कॉम्प्लेक्सिटी के आधार पर, इसमें हफ्तों से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है। इसलिए यह ध्यान रखें कि आपकी डेवलपमेंट टीम कुछ निम्नलिखित बातों का पालन करें- (i) एजाइल कार्यप्रणाली: इटेरेटिव प्रोसेस और फीडबैक के लिए। (ii) सिक्योरिटी बेस्ट प्रैक्टिस: उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा करें और गोपनीयता बनाए रखें। इस पॉइंट पर आप इन फीचर को भी ध्यान रखते हैं- पुश सूचनाएं, इन-ऐप खरीदारी, सोशल मीडिया एकीकरण और एनालिटिक्स टूल।

अष्टम, अपने ऐप का परीक्षण करें। आप अपना ऐप लॉन्च करने से पहले, उसका परीक्षण करना न भूलें, क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह परीक्षण ही सुनिश्चित करता है कि आपका ऐप विभिन्न डिवाइस और स्थितियों में सुचारू रूप से काम करता है या नहीं। इसलिए इस पर पूरा ध्यान दें। एक ओर कार्यात्मक परीक्षण के माध्यम से यह सुनिश्चित करें कि सभी सुविधाएं सही तरीके से काम कर रही हैं। तो वहीं दूसरी ओर यूजेबिलिटी परीक्षण के सहारे यह जांचें कि उपयोगकर्ता ऐप को आसानी से नेविगेट कर सकते हैं या फिर नहीं। वहीं, कम्पेटिबिलिटी परीक्षण के माध्यम से यह सुनिश्चित करें कि आपका ऐप कई डिवाइस और ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है। जबकि परफॉर्मेंस परीक्षण के मार्फ़त यह सुनिश्चित करें कि ऐप तेज, विश्वसनीय है और क्रैश नहीं होता है। वहीं, सुरक्षा परीक्षण के सहारे  उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा के लिए कमजोरियों की पहचान करें और उन्हें ठीक करें। इसलिए बेहतर होगा कि आधिकारिक रूप से अपना एप्प लॉन्च करने से पहले किसी भी समस्या की पहचान करने और उसे हल करने के लिए बीटा परीक्षकों से फीडबैक लें।

नवम, ऐप लॉन्च करें। कहने का तातपर्य यह कि जब सब कुछ टेस्ट हो जाए और तैयार हो, तो आप इसे लॉन्च कर सकते हैं। बस, इसके लिए आपको ये करना होगा कि आप अपने ऐप को Apple App Store और Google Play Store पर सबमिट करें। अगर दोनों प्लैटफॉर्म पर लॉन्च किया जा रहा है तो, क्योंकि इस प्रक्रिया में स्वीकृति मिलने में कुछ दिन लग सकते हैं। वहीं, सोशल मीडिया, ईमेल मार्केटिंग और अपनी वेबसाइट का इस्तेमाल करके अपने ऐप का प्रचार करें। इस दौरान उपयोगकर्ता के फीडबैक भी इकट्ठा करें और किसी भी अंतिम सुधार पर इटिरेट करने के लिए सीमित संस्करण के साथ लॉन्च करने पर विचार करें।

दशम, अपने ऐप को मेंटेन रखें और अपडेट करें। कहने का आशय यह कि ऐप लॉन्च करना तो बस एक शुरुआत है। उसके बाद आपको उपयोगकर्ता फीडबैक और ऐप के प्रदर्शन पर लगातार नजर रखने की जरूरत है। खासकर बग और एरर ठीक करें। उपयोगकर्ता अनुरोधों के आधार पर नई सुविधाएं जोड़ें। नई तकनीकों या प्लेटफॉर्म आवश्यकताओं के साथ बने रहने के लिए नियमित रूप से ऐप को अपडेट करें। यह कदम दीर्घकालिक (लॉन्ग टर्म) सफलता और उपयोगकर्ता रिटेंशन के लिए महत्वपूर्ण है।

अंत में यह स्पष्ट कर दें कि एक ऐप बनाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यदि आपको पता है कि आपको आगे क्या करना है, तो आपको बेहतर ऐप बनाने से कोई नहीं रोक सकता है। इसलिए सही स्ट्रैटेजी के साथ अपने अपने ऐप को बिजनेस बढ़ाने के लिए एक बढ़िया एक्स्टेंशन के रूप में तैयार कर सकते हैं। तो फिर देर क्यों? अविलंब निर्णय लीजिए और ठोस पहल कीजिए। बुलंदियां आपके कदम चूमेंगी।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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