प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना क्या है? इससे किस स्तर के छात्रों को लाभ मिलेगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम पोषण योजना के शुभारंभ के लिए आधिकारिक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि कुपोषण के खतरे से निपटने के लिए हम हर संभव काम कर सकते हैं। प्रधानमंत्री पोषण योजना से छात्रों के साथ-साथ महिला स्वयं सहायता समूहों को भी लाभ होगा।
केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार ने शिक्षा में ‘सोशल और जेंडर गैप’ को समाप्त करने के लिए 'प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना' शुरू करने की घोषणा की है। गत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस योजना के तहत सरकार बाल बाटिका (प्री स्कूल), प्राथमिक विद्यालय और मध्य विद्यालय में कक्षा 8 तक के सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्रों को पका भोजन उपलब्ध कराएगी।
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इस प्रकार अगले 5 वर्ष (2021-22 से 2025-26 वित्त वर्ष) तक करोड़ों बच्चों को मुफ्त में भोजन दिया जाएगा। जिससे स्कूलों में गरीब छात्रों की उपस्थिति तो बढ़ेगी ही, साथ ही उनके शिक्षा और पोषण का भी विकास होगा। इस योजना पर 1 लाख 71 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें केंद्र सरकार 99,061 करोड़ रूपये का खर्च वहन करेगी, जिसमें खाद्यान्न की लागत भी शामिल है। शेष धनराशि सम्बन्धित राज्य सरकारों द्वारा वहन की जाएगी। इस योजना से 11.20 लाख स्कूलों के 11.80 करोड़ बच्चों को लाभ दिया जाएगा। केंद्र की इस योजना के तहत दोपहर का भी भोजन दिया जाएगा, जो पहले से चला आ रहा है। सरकार ने पहले से चल रही मध्याह्न भोजन योजना यानी एमडीएम योजना का नाम बदलकर पीएम पोषण शक्ति निर्माण योजना कर दिया है।
यह योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना होगी जो संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से चलेगी। एक अनुमान के अनुसार, केंद्र सरकार 54061.73 करोड़ रुपये का योगदान देगी, जबकि केंद्र शासित प्रदेश व राज्य सरकारें 31,733.17 करोड़ रुपये का योगदान देंगी। इसके अलावा, केंद्र सरकार खाद्यान्न के लिए 45000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च भी वहन करेगी। यह योजना शिक्षा विभाग से जुड़ी है और इसके तहत देश के वैसे करोड़ों बच्चों, जो निर्धन परिवारों से आते हैं, को पोषण योजना का लाभ दिया जाएगा। सरकारी स्कूलों में जाने वाले विद्यार्थियों के साथ सरकार से फंडेड स्कूलों में भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
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सरकार की कोशिश है कि बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनका पोषण भी सुनिश्चित किया जाए। बता दें कि अभी तक देश में मध्याह्न भोजन योजना चल रही थी। लेकिन हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे नया स्वरूप दिया है। सीसीईए ने इसे पीएम पोषण योजना के रूप में मंजूरी दी है। जिसके दायरे में अब बाल बाटिका (प्री स्कूल) के बच्चे भी आयेंगे। वहीं, हर तरह की पारदर्शिता के मद्देनजर केंद्र ने राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि रसोईयों, खाना पकाने वाले सहायकों का मानदेय प्रत्यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से दिया जाए। इसके अलावा, स्कूलों को भी डीबीटी के माध्यम से राशि उपलब्ध करायी जाए। इससे इस योजना में किसी भी प्रकार की अनियमितता की गुंजाइश नहीं बचेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम पोषण योजना के शुभारंभ के लिए आधिकारिक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि कुपोषण के खतरे से निपटने के लिए हम हर संभव काम कर सकते हैं। प्रधानमंत्री पोषण योजना से छात्रों के साथ-साथ महिला स्वयं सहायता समूहों को भी लाभ होगा। इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में खाद्य उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और महिला एसएचजी की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी।
बता दें कि प्राथमिक विद्यालयों में स्कूली छात्रों के पोषण स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 1995 में मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य छात्रों को दिन में कम से कम 1 बार पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। एमडीएम योजना बाद में बच्चों में पोषण में सुधार लाने के साथ-साथ स्कूलों में प्रवेश दर बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। बता दें कि मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएम) को वर्ष 1995 में तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव ने लागू किया था, जिसकी महत्ता को देखते हुए परवर्ती सरकारों ने कुछेक व्यवहारिक संशोधनों के पश्चात उसे लागू रखा। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा (संयुक्त मोर्चा सरकार), पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल (संयुक्त मोर्चा सरकार), पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी (एनडीए सरकार) और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (यूपीए सरकार) के नाम शामिल हैं। मौजूदा 'भाजपा सुप्रीमो' और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम बदलकर इसे और प्रभावी बनाने की एक सार्थक पहल की है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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