हॉलमार्किंग योजना क्या है? अबतक कितनी रही सफल? जानिए इसके बारे में
हॉलमार्किंग सोने के उन आभूषणों पर अनिवार्य किया जा रहा है, जो अब बेचे जाएंगे। अभी इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। अभी यह देश के 256 जिलों में लागू है। यहां पर यह ध्यान देने के जरूरत है कि यह केवल ज्वैलर्स के लिए नियम बनाया गया है।
स्वर्णाभूषण को अधिकांश भारतीयों की पहली पसंद समझा जाता है, फैशन के लिहाज से भी और निवेश के हिसाब से भी। लेकिन, इसकी खरीद-बिक्री में होने वाली धांधली किसी से छिपी हुई नहीं है। इसके मूल्य, नापतौल के तौर-तरीकों और इसमें होने वाली मिलावट यानी 24 कैरेट के बिस्कुट की बजाय 22 कैरेट, 20 कैरेट, 18 कैरेट और 16 कैरेट के बनने वाले आभूषणों यानी गहनों और उनके वास्तविक मूल्यों में होने वाले गड़बड़झालों की बात सरकार से छिपी हुई नहीं थी। इसलिए उसने हॉलमार्किंग योजना शुरू की। इससे इस धंधे की आड़ में होने वाली लेन-देन सम्बन्धी गड़बड़ियों और कालाबाजारी को भी रोकने में मदद मिलेगी।
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वस्तुतः, सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की अनिवार्य हॉलमार्किंग 16 जून 2021 से चरणबद्ध तरीके से लागू होगी और शुरुआत में इसे 256 जिलों में लागू किया गया है। दरअसल, गोल्ड हॉलमार्किंग कीमती धातु की शुद्धता का प्रमाणीकरण है और वर्तमान में यह स्वैच्छिक है। फिर भी गत 1 जून से ज्वैलर्स को केवल 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण को ही बेचने की अनुमति होगी।
उल्लेखनीय है कि भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है, जो मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करता है। मात्रा के लिहाज से देश सालाना 700-800 टन सोने का आयात करता है। इसलिए इस धंधे में नियमन होना बहुत जरूरी था, जिसे अंतिम रूप देने में केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार सफल रही है।
बता दें कि सोने के आभूषणों पर अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू हो गई है। केंद्र सरकार ने नवंबर 2019 में ही घोषणा की थी कि 15 जनवरी, 2021 से पूरे देश में सोने के गहनों और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी जाएगी। लेकिन समय सीमा को चार महीने के लिए बढ़ाकर 1 जून कर दिया गया, जिसे फिर से बढ़ाकर 16 जून कर दिया गया। ज्वैलर्स ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लागू करने के लिए और समय मांगा। वास्तव में, गोल्ड हॉलमार्किंग कीमती धातु की शुद्धता का प्रमाणीकरण है, जो वर्तमान में स्वैच्छिक है। गत 1 जून से ज्वैलर्स को केवल 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण बेचने की अनुमति है। बीआईएस अप्रैल 2000 से पहले से ही सोने के आभूषणों के लिए एक हॉलमार्किंग योजना चला रहा है, और वर्तमान में लगभग 40 प्रतिशत सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की जा रही है।
बीआईएस के अनुसार, अनिवार्य हॉलमार्किंग कम कैरेट के खिलाफ जनता की रक्षा करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि उपभोक्ता सोने के गहने खरीदते समय धोखा न खाएं और गहनों पर अंकित शुद्धता प्राप्त करें। वर्ष 2020 में, सरकार ने ज्वैलर्स के पंजीकरण और नवीनीकरण की ऑनलाइन प्रणाली और परख के साथ साथ हॉलमार्किंग केंद्रों की मान्यता और नवीनीकरण की ऑनलाइन प्रणाली शुरू की थी। जिसको भारतीय मानक ब्यूरो के वेब पोर्टल www.manakonline.in के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
इस ऑनलाइन प्रणाली के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि आवेदनों को संसाधित करने में कोई मानव इंटरफेस नहीं होगा। बल्कि इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए जौहरी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और आवश्यक दस्तावेज और शुल्क जमा कर सकते हैं। फिर, पंजीकरण संख्या की सूचना देते हुए एक मेल और एसएमएस अलर्ट उसके पास जाएगा, और फिर वह पंजीकरण संख्या का उपयोग करके पंजीकरण प्रमाणपत्र डाउनलोड और प्रिंट कर सकता है।
गौरतलब है कि यह हॉलमार्किंग सोने के उन आभूषणों पर अनिवार्य किया जा रहा है, जो अब बेचे जाएंगे। अभी इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। अभी यह देश के 256 जिलों में लागू है। यहां पर यह ध्यान देने के जरूरत है कि यह केवल ज्वैलर्स के लिए नियम बनाया गया है। अगर आप अपने घर में रखे सोने को मार्केट में बेचने जाते हैं तो उसके लिए यह जरूरी नहीं है। हालांकि, उसको लेकर ज्वैलर्स अपने तरीके से मोलभाव कर सकता है। जैसा कि पहले भी होता रहा है। इससे इसमें ऐसी कोई बात नहीं है कि किसी के घर में रखे आभूषण पर अगर हॉलमार्किंग नहीं की गई है तो वह बेकार हो जाएगा।
इस बात में कोई दो राय नहीं कि केंद्र सरकार आभूषण उद्योग की मांग के प्रति सदैव सुलभ और संवेदनशील रही है। साथ ही उनकी वास्तविक मांगों के प्रति सराहना और समायोजन की अनुकरणीय भावना भी दिखाई है। हाल के वर्षों में भारत में आभूषणों पर हॉलमार्क अंकित करने के कार्य में हो रही प्रगति सबके लिए प्रसन्नता का विषय है। ऐसा इसलिए कि एचयूआईडी-आधारित हॉलमार्किंग सभी के लिए लाभदायक है, क्योंकि यह इस उद्योग के कामकाज में पारदर्शिता लाता है, उपभोक्ताओं को उनके पैसे के बदले में सही सामान प्राप्त करने के अधिकार को सुनिश्चित करता है और इंस्पेक्टर राज की संभावना को कम करता है। इसलिए इस उद्योग जगत के लोगों को इस योजना के क्रियान्वयन में अपना पूरा सहयोग देना चाहिए और हड़ताल एवं इस तरह की किसी भी किस्म की गतिविधियों से दूर रहने की पहल करनी चाहिए, क्योंकि सरकार उनकी वास्तविक मांगों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
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गत दिनों बीआईएस के महानिदेशक ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि हॉलमार्किंग योजना को बड़ी सफलता मिल रही है और अल्प अवधि में ही 1 करोड़ से अधिक आभूषणों पर हॉलमार्क अंकित करने का कार्य पूरा कर लिया गया है। खास बात यह भी कि इसी अवधि के दौरान, 90,000 से अधिक आभूषण-निर्माताओं ने पंजीकरण भी कराया है।
वास्तव में, आभूषण-निर्माताओं के समर्थन और सहयोग के कारण इस योजना को बड़ी सफलता मिली है, जो इस तथ्य से परिलक्षित होती है कि पंजीकृत आभूषण-निर्माताओं की संख्या बढ़कर 91,603 हो गई है। गत 1 जुलाई, 2021 से 20 अगस्त तक हॉलमार्क के लिए प्राप्त एवं हॉलमार्क अंकित किए गए आभूषणों की संख्या क्रमशः एक करोड़ सत्रह लाख और एक करोड़ दो लाख हो गयी है। वहीं, हॉलमार्क के लिए अपने आभूषण भेजने वाले आभूषण-निर्माताओं की संख्या 1 जुलाई से 15 जुलाई के दौरान 5,145 से बढ़कर 1 अगस्त से 15 अगस्त, 2021 के दौरान 14,349 हो गई है और 861 एएचसी ने एचयूआईडी-आधारित प्रणाली के तहत हॉलमार्क अंकित करने का कार्य शुरू कर दिया है।
जहां तक हॉलमार्क अंकित करने की गति का सवाल है तो बीआईएस के महानिदेशक ने दो टूक बताया है कि हॉलमार्क अंकित करने की गति में धीरे-धीरे और संतोषजनक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। 1 जुलाई से 15 जुलाई, 2021 तक के पखवाड़े के दौरान 14.28 आभूषणों का हॉलमार्क किया गया, लेकिन 1 अगस्त से 15 अगस्त के दौरान यह आंकड़ा बढ़कर 41.81 लाख हो गया। वहीं, 20 अगस्त 2021 को किसी एक दिन में 3 लाख 90 हजार आभूषणों का हॉलमार्क किया गया। उन्होंने साफ कहा कि एक साल में 10 करोड़ आभूषणों की हॉलमार्किंग में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। यदि देश में हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाए तो यह आभूषणों की संख्या का एक अनुमानित आंकड़ा है।
बीआईएस के महानिदेशक ने ऐसे दावों को खारिज कर दिया कि मांग पूरी करने के लिए 256 जिलों में एएचसी की क्षमता पर्याप्त नहीं है। उन्होंने डाटा साझा करते हुए कहा कि 1 अगस्त से 15 अगस्त, 2021 तक आभूषण प्राप्त करने वाले 853 एएचसी में से सिर्फ 161 एएचसी ऐसे थे, जिन्हें प्रति दिन 500 से ज्यादा आभूषण प्राप्त हुए और 300 से एएचसी को प्रति दिन 100 से कम आभूषण प्राप्त हुए। इस प्रकार, देश में बहुत कम क्षमता का उपयोग हुआ है। इसलिए एएचसी के कामकाज की नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है और उन्हें एफआईएफओ के सिद्धांत के पालन के निर्देश दिए गए हैं। एएचसी की पहुंच में सुधार के लिए डीओसीए को एक प्रस्ताव भी सौंपा गया है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने बताया कि अनिवार्य हॉलमार्किंग की योजना शुरू करने से पहले एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसकी तीन बैठक हो चुकी हैं। अनिवार्य हॉलमार्किंग की शुरुआत के बाद, अनिवार्य हॉलमार्किंग के सुगम कार्यान्वयन के उद्देश्य से उपाय सुझाने के लिए एक परामर्श समिति का गठन किया गया था, जिसकी छह बैठक हो चुकी हैं और कुछ दिन पहले उसने अपनी रिपोर्ट जमा कर दी थी। वहीं, हितधारकों के साथ पिछली बैठक 19 अगस्त, 2021 को हुई थी, जिसमें विनिर्माताओं, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, उपभोक्ता समूहों, एएचसी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि आभूषण उद्योग के कुछ वर्गों द्वारा हड़ताल का आह्वान बेवजह था। गत 19 अगस्त, 2021 को हुई हितधारकों की बैठक में, कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों ने कुछ लोगों द्वारा हड़ताल की योजना की निंदा की थी और एचयूआईडी आधारित हॉलमार्किंग योजना को पूरा समर्थन दिया था। यही वजह है कि आभूषण उद्योग की वास्तविक मांगों को समायोजित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण साझा करते हुए बीआईएस के महानिदेशक ने कतिपय महत्वपूर्ण तथ्यों को रेखांकित किया है।
पहला, केवल एएचसी वाले 256 जिलों में हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया गया है। दूसरा, शुरुआत में, एचयूआईडी एएचसी स्तर तक सीमित था और नई प्रणाली के पूरी तरह से व्यवस्थित हो जाने के बाद इसे ज्वैलर्स और उपभोक्ता के स्तर पर लागू किया जाना था। तीसरा, पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाया गया और पंजीकरण शुल्क को माफ किया गया। चौथा, 20, 23 और 24 कैरेट के सोने के आभूषणों के हॉलमार्किंग की अनुमति दी गई।
पांचवां, समान शुद्धता वाले छोटे मिश्रित लॉट की हॉलमार्किंग की अनुमति देने के लिए भारतीय मानक में संशोधन किया गया। छठा, एएचसी स्तर पर भी आभूषणों को सौंपने की अनुमति देने के लिए सॉफ्टवेयर को उन्नत किया गया। सातवां, मुख्यालय और शाखा कार्यालयों में हेल्प डेस्क बनाया गया और अब तक 300 जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया। आठवां, सलाहकार समिति ने हॉलमार्किंग से जुड़ी समस्याओं की गहन समीक्षा की और अपनी रिपोर्ट डीओसीए को सौंपी।
वहीं, पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए बीआईएस के महानिदेशक ने स्पष्ट किया कि यह सूचना पूरी तरह से गलत है कि बीआईएस आभूषणों के बी-टू-बी आवाजाही की निगरानी कर रहा है और ज्वैलर्स को बीआईएस पोर्टल पर अपनी बिक्री का विवरण अपलोड करना आवश्यक है। ज्वैलर्स की ओर से ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह योजना पूरी तरह से सफल रही है और एक करोड़ से अधिक आभूषणों की हॉलमार्किंग के बाद इस योजना को स्थगित करने या वापस लेने के बारे में बात करना बेमानी है। हॉलमार्किंग योजना को बड़ी सफलता मिल रही है, क्योंकि पेशेवर कारोबारियों और उपभोक्ताओं ने इस योजना पर अपना भरोसा जताया है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने तभी यह स्पष्ट कर दिया था कि हमारी सरकार का ग्राहकों की बेहतर सुरक्षा और संतुष्टि का निरंतर प्रयास रहा है। इसी कड़ी में गत 16 जून, 2021 से 256 जिलों में हॉलमार्किंग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू की गई है। अगस्त 2021 तक इस मामले में कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। वहीं, अनिवार्य रूप से हॉलमार्किंग की व्यवस्था शुरू हो जाने के बाद बिना हॉलमार्क वाला जेवर बेचने वाले सुनारों पर जुर्माने का प्रावधान है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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