राष्ट्रहित में संकल्पित युवा शक्ति का मतदान

Voting of youth power
ANI
डॉ. निशा शर्मा । Apr 27 2024 11:58AM

किसी भी राष्ट्र की विकास यात्रा में अनेक उतार चढ़ाव आते है और आज भारत विश्व में जिस गति से आगे बढ़ रहा है उसमे युवाओं की महती भूमिका है। अर्थव्यस्था, विज्ञान, अनुसंधान, खेल, राजनीति, रणनीति, सुरक्षा कोई भी क्षेत्र आज युवाओं से अछूता नहीं है।

भारत इन दिनों अपना सबसे बड़े और पावन पर्व का आयोजन बड़े धूमधाम से कर रहा है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में भारत के नागरिक अपने राष्ट्र को अपने राष्ट्र को सशक्त और मजबूत सरकार देने के प्रयास में लगे हैं। सात चरणों में पूर्ण होने वाले इस वर्ष के लोकसभा के ये चुनाव देश के इतिहास के सबसे बड़े चुनाव होंगे। जिसमे से पहले चरण का मतदान पूर्ण हो चुका है, शेष अभी बाकी हैं। बैसे तो 18 वर्ष के ऊपर के सभी मतदाता अपने मत का प्रयोग करते ही हैं, परन्तु हम सभी जानते हैं कि भारत युवाओं का देश है, यंगिस्तान कहे जाने वाले अपने भारत में आज लगभग 66% युवा मतदाता हैं। मतदाताओं का ये प्रतिशत किसी भी राष्ट्र की दशा और दिशा बदलने के लिए पर्याप्त है। आज भारत का युवा पहले के मुकाबले अपने राष्ट्र के प्रति और अधिक जागरूक और सक्रिय हो गया है। इसका अंदाजा अपने इर्द गिर्द हो रही कुछ घटनाओं को देखकर लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए जैसे गतवर्ष महिला समन्वय की तरफ से ब्रज प्रान्त में महिला सम्मलेन और इस वर्ष उसी क्रम में तरुणी और युवा सम्मेलनों का आयोजन कई स्थानों पर कराया गया था। सम्मेलनों में संख्या विशेषकर युवा तरुणियों की बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा तो कर रही थी कि कहीं न कहीं हमारा युवा मतदाता अपने राष्ट्र की उन्नति को लेकर बेहद संवेदनशील रवैया अपना रहा है। फैशन, कैरियर, टेक्नोलॉजी के साथ अब भारत का युवा अपनी संस्कृति और राष्ट्र के हित को लेकर भी जागरूक है। इस बात पर पक्की मुहर तब लग गयी जब चुनाव आयोग ने इस वर्ष के आकडे ज़ारी किये और उसमे मतदाता सूची के पुनरीक्षण में स्पष्ट किया गया कि 18 से 29 साल के आयु वर्ग में 2.63 करोड़ नये मतदाताओं ने पंजीकरण कराया है इसमें भी महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक रही। ये बड़े ही हर्ष का विषय है कि युवाओं विशेषकर महिलाओं में अपने राष्ट्र के प्रति ये विजन देखने को मिल रहा है।

समाज में आज युवा-वर्ग भारत की हर राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्थिति, परिस्थिति और इसके साथ ही इन सभी में भारत की भूमिका को देखते हुए बहुत गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है। अब वह समय नहीं जब युवा अपने सिलेबस से बाहर की बात कहकर अनदेखा कर दिया करता था बल्कि इसके उलट अब वह समाज में सामाजिक कार्यों से जुड़कर किस प्रकार की भूमिका हमारी होनी चाहिए ? इस बात पर विचार करता है। किसी भी राष्ट्र को तभी पूरी दुनिया सम्मान से देखती है और सम्मान देती है जब वह अपनी संस्कृति, विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढता है। यह बात अब भारत का युवा जान चुका है और इसमें कोई संदेह भी नहीं कि युवा ही हमारे राष्ट्र का भविष्य हैं। आज भारत युवा शक्ति समपन्न राष्ट्र है, इतनी युवा शक्ति तो भारत के पास तब भी नहीं थी जब हमने आज़ादी पायी थी। ज़रा विचार कीजिये इतनी विशाल युवा-शक्ति यदि कुछ करने की ठान ले तो वह भारत को किस ऊंचाई पर ले जा सकती है। आज का युवा देश की तरक्की देख रहा है, सम्पूर्ण विश्व में भारत की साख पर गर्व भी महसूस कर रहा है। इसके साथ ही एक और शक्ति को भी अपने अन्तेमन में महसूस कर रहा है वो है भारत की आध्यात्मिक शक्ति। यह स्पष्ट है कि युवा शक्ति, आध्यात्मिक शक्ति को महसूस कर पूर्ण सम्मान के साथ उसका समर्थन भी कर रही है। ये दोनों विश्व की महानतम शक्तियां हैं और इतिहास साक्षी है कि जब जब दो पावन शक्तियों का संयोग हुआ है तब तब इतिहास रच गया है। यह हमारा सौभाग्य ही है कि ये दो महान शक्तियां केवल भारत के पास ही हैं।

विवेकानंद द्वारा रचित कर्मयोग में कर्म के रहस्य का ज्ञान का वर्णन किया गया है जिसमें सत्व, रजो और तम इन तीनों गुणों का सम्बन्ध मुख्यतः कर्मयोग से बताया गया है। कर्मयोग ही हमें यह शिक्षा देता है कि तीनो गुणों का उचित उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है, हम अपना कार्य अच्छी प्रकार कैसे करें साथ ही यदि हम लोग सुसंस्कृत, सुशिक्षित हैं तो हमें चिंतन, दर्शन, कला और विज्ञान में आनंद मिलता है इसके साथ ही धार्मिक चिंतन के अभ्यास में भी अलग ही आनंद है बल्कि स्वामी विवेकानंद जी ने तो अध्ययन के रूप में भी धर्म को अत्यंत आवश्यक माना है। क्योंकि यह सर्वविदित है कि युवा सहज ही चिंता, तनाव, अवसाद से घिर जाता है तब आध्यात्म ही सबसे उपयुक्त मार्ग है जिसके माध्यम से सकारत्मक सोच और रचनात्मक द्रष्टिकोण प्राप्त किया जा सकता है। आध्यात्मिक होने का मतलब ये कदापि नहीं कि आपको संन्यास की ओर ले जाया जा रहा है बल्कि आध्यात्म के माध्यम से जीवन को बेहतर बनाने का तरीका हमारे शास्त्रों में बताया गया है। आज का युवा भी इन्ही सब आध्यात्मिक बातों का निरंतर चिंतन करते हुए आगे बढ़ रहा है।

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किसी भी राष्ट्र की विकास यात्रा में अनेक उतार चढ़ाव आते है और आज भारत विश्व में जिस गति से आगे बढ़ रहा है उसमे युवाओं की महती भूमिका है। अर्थव्यस्था, विज्ञान, अनुसंधान, खेल, राजनीति, रणनीति, सुरक्षा कोई भी क्षेत्र आज युवाओं से अछूता नहीं है। इसी महती भूमिका का निर्वहन हमें मतदान वाले दिन भी करना है। राष्ट्र हित में दिया गया हमारा एक वोट एक शक्तिशाली राष्ट्र की गारंटी है। 66% जैसे बड़े प्रतिशत के साथ आध्यात्मिक शक्ति को साथ लेकर हम जो भी संकल्प ले लेंगे उसे रोकने की किसी में हिम्मत नहीं है। आज हमारे राष्ट्र को हमारे मत के रूप में हमारी आवश्यकता है। एक स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत को एक शक्तिसंपन्न सरकार देना भी हम युवाओं का ही उत्तरदायित्व है। आइये हम सभी संकल्प लें की लोकतंत्र के इस महान पर्व को उत्सव के रूप में मनाते हुए, राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करते हुए हम सभी मतदान करेगे और करवाएगें।

- डॉ. निशा शर्मा

हरिगढ़ विभाग (ब्रज प्रान्त)

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