गुजरात विधानसभा चुनावों में इस बार पाटीदार किसके प्रति होंगे वफादार?

Bhupendra Patel
ANI

हम आपको याद दिला दें कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन की वजह से साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। भाजपा चुनाव तो जीत गयी थी लेकिन उसकी सीटों की संख्या अर्से बाद 100 से नीचे आ गयी थी।

गुजरात में विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार का काम खत्म हो चुका है। पहले चरण का मतदान भी संपन्न हो चुका है। चुनाव प्रचार के दौरान जिस पार्टी के जिस नेता ने जनता तक अपनी जो बात पहुँचानी थी, वह पहुँचा दी। अब बारी जनता की है जिसने गुजरात के लिए अगले पाँच साल का भविष्य तय करने का फैसला कर लिया है। गुजरात में पिछले 27 सालों से राज कर रही भाजपा इस बार अब तक की सबसे बड़ी जीत मिलने के प्रति आश्वस्त है तो वहीं कांग्रेस को लगता है कि जनता उसका हाथ थामेगी। आम आदमी पार्टी ने इस बार चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है और उसका दावा है कि गुजरात में जनता झाड़ू चलायेगी। किसका दावा सही साबित होता है यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे लेकिन अगर हम चुनाव के पूरे प्रचार पर नजर डालें तो एक बात साफतौर पर उभर कर आती है कि इस बार पाटीदार समुदाय पर डोरे डालने का काम हर पार्टी ने किया।

हम आपको याद दिला दें कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन की वजह से साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। भाजपा चुनाव तो जीत गयी थी लेकिन उसकी सीटों की संख्या अर्से बाद 100 से नीचे आ गयी थी। इसलिए इस बार पाटीदार यानि पटेल समुदाय को साधने के लिए भाजपा ने लगभग एक वर्ष पहले विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी थी। इसके बाद पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े हार्दिक पटेल और अन्य कई पाटीदार नेताओं ने जब भाजपा का दामन थाम लिया तो माना गया कि पाटीदार समुदाय की नाराजगी दूर हो गयी है। इसके अलावा, भाजपा ने चूंकि घोषणा की है कि पार्टी के सत्ता में आने के बाद भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे इसलिए, कई पाटीदार यह सोच रहे हैं कि यदि वे अगला मुख्यमंत्री अपने समुदाय के एक नेता को देखना चाहते हैं तो उन्हें भाजपा का ही समर्थन करना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: Kaun Banega Gujaratna Sardar: Gujarat में पाटीदारों के हाथ में है सत्ता की चाबी, योगी का कांग्रेस पर निशाना

गुजरात चुनावों के बारे में राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि पाटीदार समुदाय के ज्यादातर मतदाता इस बार भाजपा को ही वोट देंगे। दूसरी ओर पाटीदार आरक्षण की मांग को लेकर चलाए गए आंदोलन के पूर्व नेताओं का मानना है कि पाटीदार समुदाय के कई युवा मतदाता भाजपा की बजाय आम आदमी पार्टी जैसे अन्य राजनीतिक विकल्पों की ओर भी रुख कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि गुजरात में लगभग 40 से 50 सीटें ऐसी हैं जहां पाटीदार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। गुजरात की आबादी में पटेल समुदाय की हिस्सेदारी को देखा जाये तो यह लगभग 18 प्रतिशत है। साल 2017 में 44 पाटीदार विधायक चुने गए थे जोकि दर्शाता है कि गुजरात की राजनीति में उनका कितना प्रभाव है।

पाटीदार समुदाय की सर्वाधिक आबादी वाले क्षेत्र की बात करें तो सौराष्ट्र क्षेत्र में पाटीदार मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। इस क्षेत्र में मोरबी, टंकारा, गोंडल, धोरजी, अमरेली, सावरकुंडला, जेतपुर, राजकोट पूर्व, राजकोट पश्चिम और राजकोट दक्षिण सीट शामिल हैं। इसके अलावा, उत्तरी गुजरात में वीजापुर, विसनगर, मेहसाणा और उंझा विधानसभा क्षेत्रों में भी पाटीदार मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है। साथ ही, अहमदाबाद शहर में पांच सीटों- घाटलोडिया, साबरमती, मणिनगर, निकोल और नरोदा में भी पाटीदार समुदाय की अच्छी खासी तादाद है। इसके अलावा, दक्षिण गुजरात में सूरत शहर की कई सीटें भी पाटीदार समुदाय की गढ़ मानी जाती हैं। खासकर वराछा, कामरेज और कटारगाम में पाटीदार बहुतायत में हैं।

बहरहाल, हम आपको बता दें कि इस बार के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 41 पाटीदारों को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने 40 पाटीदारों को चुनाव मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी ने भी बड़ी संख्या में पाटीदारों को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा का दावा है कि पाटीदार समुदाय अतीत को भुला देगा और इस बार उसका समर्थन करेगा तो वहीं कांग्रेस को लगता है कि उसे ना सिर्फ पाटीदार का, बल्कि सभी समुदायों से समर्थन मिल रहा है। देखना होगा कि आखिर पाटीदार आखिर किस ओर रुख करते हैं।

गौतम मोरारका

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़