साक्षात्कारः अभिनेता धनुष ने कहा- बदलता रहता है सिनेमाई दर्शकों का टेस्ट

dhanush
ANI

फिल्म अभिनेता धनुष का कहना है कि दर्शकों को जो अच्छा लगेगा, देखेगा। कोई रोक नहीं सकता। हां, इतना जरूर है, मौजूदा समय में जो फिल्में साउथ इंडस्ट्री में एवरेज रहती हैं, उनके हिंदी संस्करण को बॉलीवुड में रिकॉर्डतोड़ सफलता मिलने लगी हैं।

प्रतिभाएं तरक्की की मोहताज नहीं होतीं। बस उन्हें मौकों की तलाश होती है। कुछ प्रतिभाएं तो ऐसी भी होती हैं जो उनके मैच के क्षेत्र में नहीं होने के बावजूद भी डंका बजाती है। तमिल के सफल अभिनेता वेंकटेश प्रभू कस्तुरी राजा यानी धनुष उनमें से एक हैं। कहा जाता है कि फिल्मों के लिए सौन्दर्यता और बॉडी का होना पहली शर्त होती है जिनमें धनुष ने पिछड़ने के बावजूद भी अपनी अलहदा पहचान स्थापित की। बीते कुछ समय से साउथ की फिल्में हिंदी फिल्मों पर भारी पड़ी हैं। क्यों बढ़ रही है हिंदी के दर्शकों की साउथ में रूचि, इस विषय को लेकर तमिल अभिनेता, पार्श्वगायक, गीतकार व निर्माता धनुष से डॉ. रमेश ठाकुर ने विस्तृत बातचीत की। बातचीत के मुख्य हिस्से प्रस्तुत हैं-

प्रश्नः साउथ के हिंदी वर्जन को दर्शकों द्वारा पसंद करने की मुख्य वजह क्या है?

उत्तर- सिनेमाई दर्शकों का टेस्ट परमानेंट नहीं होता, फिर चाहे साउथ के दर्शक हों, या हिंदी के, उन्हें फर्क नहीं पड़ता। दर्शकों को जो अच्छा लगेगा, देखेगा। कोई रोक नहीं सकता। हां, इतना जरूर है, मौजूदा समय में जो फिल्में साउथ इंडस्ट्री में एवरेज रहती हैं, उनके हिंदी संस्करण को बॉलीवुड में रिकॉर्डतोड़ सफलता मिलने लगी हैं। बाहुबली, पुष्पा व केजीएफ जैसी फिल्मों ने लोगों का नजरिया ही बदल दिया। हिंदी के दर्शक साउथ की फिल्मों की तरफ आकर्षित होते जा रहे हैं, इसमें कोई दो राय नहीं।

इसे भी पढ़ें: साक्षात्कारः किसान नेता डॉ. राजाराम त्रिपाठी से समझिये कृषि क्षेत्र के समक्ष क्या बड़ी समस्याएं खड़ी हैं?

प्रश्नः नुकसान भी हो सकता है हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को?

उत्तर- नहीं? इसमें नुकसान वाली तो कोई बात नहीं। दोनों फिल्म इंडस्ट्री सामूहिक रूप से मिलकर काम करेंगी। कर भी रही हैं इस वक्त। साउथ की डबिंग जब हिंदी में होती है तो वहीं के लोग होते हैं। रही बात व्यापार की तो दोनों तरफ बराबर होगा। राउड़ी राठौर जब हिंदी में बनी तो उसमें सभी कलाकार बॉलीवुड से थे, फिल्म ने अच्छा कलेक्शन किया था। ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्मों का साउथ वर्जन में भी इस्तेमाल होता है।

प्रश्नः आपने 2013 में हिंदी फिल्म रांझणा करने के बाद बॉलीवुड में ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाई?

उत्तर- ऑफर तब भी थे, अब भी हैं। लेकिन तमिल में ही काम इतना है जहां से वक्त निकालना बड़ा मुश्किल होता है। लेकिन पूरी तरह से बॉलीवुड से कटा नहीं हूं, कुछ अनाम प्रोजेक्ट हैं जिनमें काम कर रहा हूं। अगले एकाध वर्षों में आपको कुछ हिंदी फिल्मों में दिखाई दूंगा। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सीखने के लिए बहुत कुछ है। पुराने कलाकार तो सिनेमा के स्कूल जैसे हैं जिनसे जितना सीखो, उतना कम है।

प्रश्नः क्या आप मानते हैं ‘व्हाई दिस कोलावेरी डी’ गाने ने आपको बॉलीवुड में बड़ी पहचान दिलवाई थी?

उत्तर- सिर्फ बॉलीवुड में ही नहीं, बल्कि समूचे हिंदी जगत में। हिंदी के दर्शकों ने मुझे जानना ही तब से शुरू किया। रांझणा के बाद मेरा काम लोगों को पसंद आया। तमिल और हिंदी दोनों जगह के दर्शक प्यार लुटाते हैं। उनकी सराहना ही हम आर्टिस्टों को आगे बढ़ने को प्रेरित करती है। यही हमारे लिए अवार्ड और सम्मान होते हैं।

इसे भी पढ़ें: साक्षात्कारः इरफान पठान ने कहा- अन्यों के मुकाबले भारतीय टीम मजबूत स्थिति में है

प्रश्नः सिंगिंग और एक्टिंग में सबसे ज्यादा क्या पसंद है आपको?

उत्तर- ईमानदारी से बताऊं तो गाने गाना मुझे पसंद है। क्योंकि बचपन से सिंगर ही बनना चाहता था। पारिवारिक माहौल सिनेमाई क्षेत्र रहा इसलिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। प्रबंध, व्यवस्थाएं विरासत में नसीब हुई हैं। महान संगीतकार एआर रहमान के संगीत निर्देशन में जब मैंने तमिल फिल्म ‘मरयां’ में ‘कडल राया नान’ गाना रिकॉर्ड किया तो उन्होंने मेरी जमकर तारीफें कीं, तब मुझे और लगा कि एक्टिंग से और अच्छा सिंगिंग में कर सकता हूं।

-दिल्ली आगमन पर जैसा डॉ. रमेश ठाकुर के साथ बातचीत में तमिल अभिनेता धनुष ने कहा।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़