योगी रहे सतर्क, नागरिकता विधेयक पर नहीं होने दिया माहौल खराब
संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति ने भी बिल पर हस्ताक्षर कर दिए थे। यूपी के जिन जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। उसमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और अलीगढ़ शामिल हैं। इन जिलों में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में भी लिया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में एक आम धारणा बनी हुई है कि वह केन्द्र की मोदी सरकार के हर फैसले को सबसे पहले अंगीकार करते हैं। चाहे इसको लेकर जितना भी विवाद और विरोध क्यों न हो, योगी कभी कदम पीछे नहीं खींचते हैं। योगी सरकार ने जो तेजी भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर दिखाई थी, वही तेजी अब वह कैब पर दिखा रही है। योगी की इसी सोच के कारण प्रदेश में नागरिकता संशोधन बिल (कैब) को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी तो चाहते हैं कि जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी प्रदेश में नागरिकता मिलने का काम शुरू हो जाए, ताकि वह भी गर्व से कह सकें कि हम भारतीय हैं।
बात लखनऊ की कि जाए तो यहां भी यही स्थिति है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से पलायन कर राजधानी के अलग−अलग इलाकों में रह रहे शरणार्थियों के नुमांइदे कहते हैं कि हम लोगों में से 72 लोगों को देश की नागरिकता मिल चुकी है। नागरिकता संशोधन बिल पारित होने से अब छूटे लोगों को देश की नागरिकता मिलना आसान होना बताया जा रहा है। बताया जाता है कि 23 दिसंबर 2016 के बाद से जिलाधिकारी स्तर से सीधे 72 लोगों को देश की नागरिकता का सर्टिफिकेट सौंपा जा चुका है।
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लखनऊ के अलग−अलग इलाकों में करीब एक हजार शरणार्थी कई दशकों से रह रहे हैं। इनमें से 285 लोगों की लिस्ट शासन, प्रशासन और केंद्र सरकार के पास उपलब्ध है। प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक जिले में अब तक 152 लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया था, जिसमें से 72 लोगों को देश की नागरिकता दी जा चुकी है। 30 फाइलें गृह विभाग के पास लंबित हैं। सात आवेदन अपूर्ण पाए गए हैं। अपात्र आवेदनकर्ताओं की संख्या 16 बताई गई है। 23 दिसंबर 2016 में एक निर्देश में गृह मंत्रालय ने कहा कि संबंधित जिलों के डीएम को दो साल की ही नागरिकता देने का अधिकार दिया था, इससे पहले नागरिकता देने का अधिकार सिर्फ गृह विभाग के पास था। 23 अक्टूबर 2018 के आदेश में डीएम को नागरिकता की सीमा अनिश्चितकालीन कर देने का अधिकार दे दिया गया।
आलमबाग निवासी नरेश बत्रा ने बताया कि वह सिंध से लखनऊ आए थे। बीते नौ साल से वह भारतीय नागरिकता के लिए प्रयास कर रहे थे। नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि लंबे इंतजार के बाद उन जैसे सैंकड़ों लोगों को अब भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।
हालांकि कैब को लेकर कुछ जिलों में प्रदर्शन के अलावा तनाव भी व्याप्त है। इसी के मद्देनजर राज्य के गृह विभाग और पुलिस महानिदेशक ने प्रदेश में अलर्ट जारी किया है। गृह विभाग की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि सभी जिलों में जोन और सेक्टर व्यवस्था तीन दिन के लिए बहाल की जाए। गौरतलब है कि यह व्यवस्था अयोध्या प्रकरण के समय कारगर साबित हुई थी। जारी अलर्ट में निर्देश दिए गए हैं कि अराजक तत्व और माहौल खराब करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। कुछ संगठनों ने नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान भी किया है, जिससे पुलिस महकमा और भी चौकन्ना हो गया है।
संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति ने भी बिल पर हस्ताक्षर कर दिए थे। यूपी के जिन जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। उसमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और अलीगढ़ शामिल हैं। इन जिलों में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में भी लिया है। देवबंद (सहारनपुर) में कैब के खिलाफ विरोध−प्रदर्शन करने और मुजफ्फनरगर हाईवे जाम करने के मामले में पुलिस ने एक नामजद सहित करीब 250 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। वहीं दारूल उलूम देवबंद का कहना था कि प्रदर्शन और जाम लगाने वालों से उनके संस्थान का कोई ताल्लुक नहीं था।
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बात अलीगढ़ की कि जाए तो कैब के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विवि छात्र संघ के निवर्तमान अध्यक्ष मो0 सलमान इम्तियाज ने विरोध−प्रदर्शन की बात कही तो प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं ही बंद कर दीं। उधर, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव और गोरखपुर के सोशल एक्टिवस्टि व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान जिनके खिलाफ एक मामले में गोरखपुर मेडिकल कालेज में जांच भी चल रही है और सस्पेंड हैं, ने अलीगढ़ पहुँच कर बिल को रद्द कराने के लिए बड़ा आंदोलन चलाए जाने की बात कही। आधी−अधूरी जानकारी के सहारे कफील ने लोगों को भड़काया कि यह पहली बार हो रहा है, जब सिटीजन को रिलीजन के साथ जोड़ दिया गया है। वहीं बरेली में कैब के विरोध में इत्तेहाद मिल्लत काउंसिल माहौल गरमाने में लगी है। वह 'संविधान बचाओ−देश बचाओ' की अपील कर रही है।
इन आंदोलनों के चलते ही डीजीपी ने जिन जिलों में प्रदर्शन हुए हैं, वहां की रिपोर्ट भी तलब की है। सोशल मीडिया सेल भी सतर्क निगरानी कर रहा है। टि्वटर और फेसबुक पर माहौल खराब करने वाले कमेंट और पोस्ट पर यूजर से सीधे संपर्क कर पोस्ट हटाने के लिए कहा जा रहा है और चेतावनी भी दी जा रही है कि अगर विवादित या आपत्तिजनक पोस्ट तत्काल नहीं हटाया तो मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
बहरहाल, विरोध−प्रदर्शन के बीच उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करते हुए इसे आतंकवाद पर करारा प्रहार करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह बिल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के पक्ष में जरूर है पर भारत के मुसलमानों के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं है। रिजवी ने हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि ओवैसी कट्टरवादी विचारधारा से संबंध रखते हैं इसलिए कभी बिल फाड़ते हैं तो कभी राम मंदिर का नक्शा फाड़ने वालों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने आतंकवाद को हिंदुस्तान में जन्म दिया है। अब जब आतंकवाद को रोकने की कोशिश की जा रही है तो इसका विरोध किया जाना गलत है।
-अजय कुमार
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