अपने ही जाल में फंस गई टीम इंडिया, न्यूजीलैंड ने पहली बार भारत में जीती टेस्ट सीरीज

Nz vs Ind Test Match
ANI

न्यूजीलैंड ने भारत में कभी टेस्ट सीरीज नहीं जीती थी। मगर, भारत की कमजोर बल्लेबाजी के कारण कीवी टीम का यह सपना पूरा हो गया। न्यूजीलैंड की टीम पहली बार 1955−56 में भारत में टेस्ट सीरीज खेलने आई थी।

भारत ने अपनी ही धरती पर शर्मनाक प्रदर्शन किया है। न्यूजीलैंड के साथ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 2−0 से पिछड़ने का मतलब है कि भारत यह श्रृंखला हार चुका है क्योंकि आखिरी और तीसरा टेस्ट यदि भारत जीत भी जाए तो स्कोर लाइन 2−1 ही रहेगा। अपने घरेलू मैदान पर 12 साल बाद भारत ने कोई टेस्ट सीरीज गंवाई है। भारतीय टीम को आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए अभी चार टेस्ट मैच जीतने होंगे। अगले साल जून में यह फाइनल मैच इंग्लैंड के लाड्रर्स मैदान पर खेला जाएगा। भारत अभी अंक तालिका में चोटी पर है लेकिन लगातार दो टेस्ट मैच हारने से उसके अंक प्रतिशत में गिरावट आई है।

न्यूजीलैंड ने भारत में कभी टेस्ट सीरीज नहीं जीती थी। मगर, भारत की कमजोर बल्लेबाजी के कारण कीवी टीम का यह सपना पूरा हो गया। न्यूजीलैंड की टीम पहली बार 1955−56 में भारत में टेस्ट सीरीज खेलने आई थी। तबसे उसने कुछ मैच तो जीते लेकिन पूरी सीरीज नहीं जीत पाई थी। लगता है, भारत अपने ही बुने जाल में फंस गया। बेंगलूर में पहला टेस्ट आठ विकेट से हारने के बाद पुणे टेस्ट के लिए स्पिन के अनुकूल पिंच तैयार कराई गई ताकि हमारे स्पिनर विपक्षी टीम को धराशाई कर सकें। मगर, दांव उल्टा पड़ गया। न्यूजीलैंड के स्पिनर मिचेल सेंटनर ने भारत के बल्लेबाजों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। दोनों पारियों में उसने 13 विकेट चटका कर भारत की कमर तोड़ दी। इस तरह दूसरा टेस्ट मैच भी भारत 113 रनों से हार गया।

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यह शर्मनाक प्रदर्शन उस टीम का है जिसके पास कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे दो अनुभवी बैटर हैं। इन दोनों का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा है। सीनियर बल्लेबाज यदि जिम्मेदारी नहीं उठाएंगे तो फिर किससे उम्मीद की जाए? रोहित ने पहली पारी में शून्य और दूसरी पारी में 8 रन बनाए। विराट कोहली ने पहली पारी में एक और दूसरी पारी में 17 रन का योगदान दिया। इतना लचर प्रदर्शन जब नामी खिलाडि़यों का रहेगा तब परिणाम वही होगा जो सामने है। इन दोनों क्रिकेटरों से देश को बड़ी उम्मीद रहती है। टीम संकट में हो तो इनसे अपेक्षा की जाती है कि ये कठिन हालात से टीम को निकाल लेंगे। पर, पूरी टीम ने न्यूजीलैंड के समक्ष घुटने टेक दिए। बेंगलुरू में तो गजब ही हो गया था। पहली पारी में पूरी भारतीय टीम 46 रन पर आउट हो गई थी। विराट कोहली समेत 5 बल्लेबाज तो शून्य पर चलते बने थे। इसके बाद मैच जीतने की कल्पना करना बेकार ही है।

न्यूजीलैंड की टीम श्रीलंका से सीरीज हार कर यहां आई है। भारत के मुकाबले उसकी टीम बहुत अच्छी नहीं है। केन विलियमसन और बोल्ट उनके दो प्रमुख खिलाड़ी टीम में नहीं हैं। तेज गेंदबाज बोल्ट संन्यास ले चुके हैं और विलियमसन भी उसी रास्ते पर हैं। फिटनेस की समस्या के कारण वह टीम से बाहर हैं। लेकिन कीवी टीम भारत में पूरी तैयारी से आई है। उसके प्रदर्शन से यह साफ दिख रहा है।

वहीं, भारत की टीम बांग्लादेश को 2−0 से हराने के बाद आत्मविश्वास से लबरेज थी। उसे लग रहा था कि न्यूजीलैंड को भी हम आसानी से पराजित कर देंगे। मगर, क्रिकेट का खेल ही ऐसा है कि इसमें विश्वास के साथ कुछ भी नहीं कहा जा सकता। टीम इंडिया को बुजुर्ग खिलाडि़यों से छुटकारा पाना होगा। रोहित और विराट इसी श्रेणी में आते हैं। युवाओं को मौका देने का समय आ गया है। टेस्ट मैच को ही असली क्रिकेट माना जाता है क्योंकि इसमें खिलाड़ी की तकनीकी दक्षता और धैर्य की परीक्षा होती है। क्रिकेट का यह लंबा प्रारूप है। पांच दिन तक मैच चलता है इसलिए खिलाड़ी को हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होता है। मानसिक मजबूती एक अहम पहलू है जो इस प्रारूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विपक्षी टीम को कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। चूंकि, भारतीय टीम अपने घर में लगातार 18 टेस्ट सीरीज जीत चुकी थी। इसलिए लग रहा था कि हमें हमारी धरती पर भला कौन हरा पाएगा। स्पिन हमारी मुख्य ताकत रही है। अश्विन और जडेजा ने कई मैच जिताए हैं। भारत में स्पिन के अनुकूल पिचों पर आमतौर पर तीन दिन में मैच समाप्त हो जाता रहा है। पुणे में भी ऐसा ही हो गया लेकिन बाजी न्यूजीलैंड के हाथ रही।

तीसरा टेस्ट एक नवंबर से मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला जाएगा। अब भारत को इसे हर हाल में जीतना होगा वर्ना क्लीन स्वीप का खतरा मंडरा रहा है। इसलिए आखिरी टेस्ट जीत कर थोड़ी इज्जत बचा लेनी चाहिए। गेंदबाज तो अपना काम कर रहे हैं लेकिन बल्लेबाज रन नहीं बना पा रहे। कोच गौतम गंभीर को इस समस्या का तोड़ निकालना होगा। अपने घर में कहीं 3−0 से हार गए तो इससे बड़ा शर्म कुछ नहीं होगा।

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