साल 2020: नव उमंग, नव तरंग, जीवन का नव प्रसंग
नववर्ष ऐसे समय में दस्तक देता है जहां शीतलहर व समुंद्र के ठंडे होते जल के कारण कई जीव-जंतु बेमौत मर रहे होते हैं। लेकिन इसी विषम व दुःख की घड़ी से निकलकर हर परिस्थितियों से लड़ने का साहस बांधने के लिए विश्व के हर कोने में नववर्ष मनाया जाता है।
बेंजामिन फ्रैंकलिन का कथन है- बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। जीवन पल-पल के सौम्य धागों से बुना हुआ है। इसलिए समय हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। सूक्ष्म दृष्टि से देखा जाए तो ऐसा अहसास होता है कि समयबद्ध जीवनशैली ही हमारे जीवन का निर्माण करती है। अतएव समय से संघर्ष करने वाला ही महान बनता है। कहा जाता है कि एक बार नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने सेना नायक को भोजन के लिए निमंत्रित किया। समय पर पहुंचने में उन्हें कुछ विलंब हो गया। नेपोलियन भोजन करने लगा। वह खाना समाप्त करके उठ ही रहा था कि वे आ गए। उन्हें देखकर नेपोलियन ने कहा- 'भोजन का समय बीत चुका है, आइए अब अपना काम शुरू करें।' अतः समय की महत्ता और सोच से ही उन्होंने उच्च पद और लोकप्रियता अर्जित की। ऐसी अनेकानेक घटनाओं से इतिहास भरा पड़ा है।
ग्लेडस्टन सरीखा प्रतिभाशाली व्यक्ति अपने जेब में एक छोटी-सी पुस्तक लेकर हमेशा निकलता था। उन्हें चिंता रहती थी कि कहीं कोई घड़ी व्यर्थ न चली जाए। उनके लिए समय अमूल्य धन था। वैसा देखा जाए तो धन मनुष्य कृत संचय होने के कारण इसे चोर चुराकर तो शक्तिशाली छीनकर ले जा सकता है, परंतु समय ईश्वर प्रदत्त सम्पत्ति होने के कारण ऐसी वारदात नहीं हो सकती। इसलिए हमें भी प्रत्येक पल का सदुपयोग करते हुए जीवन को ऊंचा उठाने का प्रयास करना चाहिए। अतीत की चिंता नहीं करनी चाहिए। किसी विद्वान ने इस संदर्भ में उचित ही कहा है कि- 'अतीत भविष्य की प्रयोगशाला है।' अतीत में हुई अपनी कमियों व गलतियों से सबक लेने और भविष्य में उसे न दोहराने का प्लेटफार्म वर्तमान है। इसी को लक्षित करते हुए खलील जिब्रान ने कहा है- 'बीता हुआ कल आज की स्मृति है और आने वाला कल आज का स्वप्न है।'
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अतः वर्तमान हमारे पास है। इसलिए प्रत्येक पल का सदुपयोग जीवन की सतह पर इस तरह आनंद से व्यतीत करना चाहिए, जिस प्रकार हरित पर्ण पर ओस की बूंदें नृत्य कर रही हो। जो समय चिंता में गया समझो कूड़ेदान में गया। जो समय चिंतन में गया समझो तिजोरी में जमा हो गया। अतः समय ही सम्पत्ति है, श्रृंगार व अमृततुल्य है। इसी के द्वारा हम जीवन को ऊंचा उठा सकते हैं। मार्क ट्वेन का कहना है कि- 'हमें जो सबसे बहुमूल्य वस्तु मिली है, वह है समय। अतः उसे किफायत से खर्च करना चाहिए।' समय का इंतजार इंसान तो कर सकता है लेकिन समय इंसान का इंतजार नहीं करता। समय का प्रवाह अविरल है। यह न रुकता है और न थकता है, यह सतत चलता है। इंसान के पास सीमित समय है। ये इंसान के विवेक और बुद्धि पर निर्भर करता है कि वो इस समय का सदुपयोग करे है या दुरुपयोग। समय मुट्ठी में बंद रेत की तरह फिसलता जाता है। दरअसल, वक्त को जाते वक्त नहीं लगता। बहरहाल, साल 2019 हमसे अलविदा हो रहा है और नववर्ष 2020 हर्षोल्लास के साथ दस्तक दे रहा है। किन्ही के लिए साल 2019 जल्दी-जल्दी गुजरा होगा तो किन्ही के लिए विलंब से बीता होगा।
जिनके लिए बुरा रहा है। उन्हें अपना यह अतीत भूलकर आने वाले कल के बारे सोचना होगा। क्योंकि यह नववर्ष नये उत्साह, उमंग, हर्ष, नव निर्माण व नूतन संकल्पों का पावन प्रसंग है। यह हमें बीते साल की गलतियों व भूलों को सुधारकर जीने का एक नया अवसर प्रदान करता है। बेशक, नववर्ष खूब से कई बेहतर की तलाश करने का माध्यम है। नववर्ष अपने आलिंगन में हरेक के लिए कुछ न कुछ नयी सौगातें, सपने एवं अवसर समेटकर लाता है। जिन्हें पूरा करने का हमें इस दिन संकल्प लेना होता है। नववर्ष महज महंगी-महंगी होटलों में शराब के नाम पर बेशुमार पैसों का अपव्यय करने का दिन मात्र नही हैं अपितु ये तो पुराने साल का विश्लेषण व आने वाले साल के इस्तक़बाल का अहम समय है। जहां इंसान को सोच-समझकर नववर्ष में अपने को बेहतर तरीके से दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करना है। या यूं कहे तो नववर्ष सपनों व आशाओं का आशियाना है। जहां गरीब से लेकर अमीर तक नये सपने और नयी आशाओं को अपने उर में पालते हैं।
नववर्ष में आशा की जानी चाहिए कि देश से गरीबी का कीचड़ साफ हो जाए, भ्रष्टाचार का भूत शिष्टाचारियों को सताना बंद कर दे, महंगाई डायन सरकार के काबू में आ जाए, आतंकवादियों का हृदय परिवर्तन हो जाएं और वे आतंक का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण कर दे, नेता वायदों की कबड्डी खेलना बंद करें और देश के उत्थान का संकल्प लें, युवापीढ़ी फैशन और व्यसन से हाय-तौबा करके आदर्श नागरिक बनकर देश के नव निर्माण में अपनी किंचित मात्र ही सही आहुति प्रदान करें, घरेलू हिंसा का दौर थमे, कोई फुटपाथ पर सोने को मजबूर न हो और किसी का आत्मगौरव व आत्मविश्वास शर्मिंदा न हो, सबके भुजबलों में इतनी शक्ति व सामर्थ्य जगे कि वे जीवन कि हर परिस्थिति का पूरे जोश के साथ मुकाबला कर सकें, बुजुर्गों का हर घर में सम्मान हो और बहुओं को दहेज के नाम पर नहीं जलाया जाएं। हर समस्या का समाधान हो और हर कोई जीवन के प्रति बेहद ही सकारात्मक व आशावादी दृष्टिकोण से सोचना-देखना शुरू कर दें।
नववर्ष ऐसे समय में दस्तक देता है जहां शीतलहर व समुंद्र के ठंडे होते जल के कारण कई जीव-जंतु बेमौत मर रहे होते हैं। लेकिन इसी विषम व दुःख की घड़ी से निकलकर हर परिस्थितियों से लड़ने का साहस बांधने के लिए विश्व के हर कोने में नववर्ष मनाया जाता है। जहां संयुक्त राज्य अमेरिका में लोग 31 दिसंबर की पूर्व संध्या पर देर रात तक पार्टियां करके नववर्ष के आगमन का उत्सव मनाते हैं तो वहीं चीन के लोग 17 जनवरी और 19 फरवरी के बीच में नया चांद देखकर नववर्ष का स्वागत करते हैं। चीन में समारोह के रूप में मनाए जाने वाले इस नववर्ष को 'युआन टैन' कहा जाता है। इस दौरान वे सड़कों पर लालटेन की रोशनी करते हैं ताकि मार्ग को प्रकाशित किया जा सके। स्कॉटलैंड में नया साल 'होगमनी' कहलाता है। स्कॉटलैंड के गांवों में तारकोल के बैरल में आग लगा कर सड़कों पर नीचे लुढ़का दिया जाता है। इस अनुष्ठान के प्रतीक का अर्थ है कि पुराने साल को जलाकर नए साल को प्रवेश करने की अनुमति दी गई है। नए साल के दिन को ग्रीस में सेंट बासिल के महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। बच्चे इस आशा से अपने जूते छोड़ देते है ताकि संत बासिल, जो अपनी दया के लिए प्रसिद्ध थे आएंगे और उनके जूतों को तोहफों से भर देंगे। यहूदी नववर्ष को 'रोश हशानाह' कहा जाता है। यह एक पवित्र समय है जब यहूदी अतीत में किए गए गलत कार्यों को याद करते हैं, और फिर भविष्य में बेहतर करने का वादा करते हैं। विशेष सेवा सभाओं आयोजित की जाती हैं, बच्चों को नए कपड़े दिए जाते हैं और फसल के समय को लोगों को याद दिलाने के लिए नववर्ष की रोटियां पकाई जाती हैं। ईरान का नया वर्ष मार्च में मनाया जाता है। ये न केवल सौर कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरूआत है, वरन, बसंत की शुरूआत भी होती है।
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जापान में नए साल के दिन सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं और घरों को पाइन की शाखाओं और बांस के साथ सजाया जाता है जो लंबे जीवन का प्रतीक है। यूरोपियन देशों जैसे इटली, पुर्तगाल और नीदरलैण्ड में परिवारों पहले चर्च सेवाओं में भाग लेने के साथ नये साल की शुरूआत करते हैं। बाद में वे अपने मित्रों और रिश्तेदारों के यहां जाते हैं। इटली में लड़कों और लड़कियों को नववर्ष दिवस पर पैसे का उपहार दिया जाता हैं। इस तरह पूरे विश्व में अलग-अलग तरीको और तारीखों के साथ नववर्ष का स्वागत किया जाता है। ज़िंदगी का मतलब दुःखों का घर है। यहां महज गरीब ही नहीं अमीर भी अपने-अपने दुःखों से परेशान है। ऐसे में हालातों और जीवन की विषमता से घबराकर नहीं अपितु साहस और हिम्मत से लड़कर-भिड़कर हाथों की तकदीर और माथे के मुकद्दर को परिवर्तित करने का संकल्प लेना होगा। कुछ छ्द्म राष्ट्रवादी और कट्टरपंथी यह भी कहते और सुने जा सकते हैं कि यह नववर्ष अंग्रेजों का दिन है। इसे भारतीयों को मनाने से बचना चाहिए। हाँ, यह सच है कि यह नववर्ष अंग्रेजों का ही है। क्योंकि यह ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। लेकिन यहां विरोधाभास यह भी है कि अंग्रेजों का तो हमारे पास बहुत कुछ है हम उसको त्यागने की कभी जरूरत महसूस नहीं करते। और वैसे भी इंसान को जहां कई से भी अच्छी व सच्ची बातें सिखने को मिलें उसे अपने व्यावहारिक जीवन में अंगीकार करते जाना चाहिए।
जहां एक दिन पूरी दुनिया नववर्ष को लेकर खुशियां का उत्सव मना रही हो तो वहां हमें भी पीछे नहीं रहना चाहिए। नववर्ष को लेकर साहित्य जगत के कवियों व लेखकों ने भी नये साल को नये उत्सव के विशेषणों से सुशोभित किया है। और इसी तरह हालावादी कवि हरिवंश राय बच्चन की यह पंक्तियां आज भी नववर्ष को सारगर्भित रुप से हर किसी के समक्ष प्रस्तुत करती प्रतीत होती है- नव वर्ष, हर्ष नव, जीवन उत्कर्ष नव। नव उमंग, नव तरंग, जीवन का नव प्रसंग। नवल चाह, नवल राह, जीवन का नव प्रवाह। गीत नवल, प्रीति नवल, जीवन की रीति नवल, जीवन की नीति नवल, जीवन की जीत नवल ! अभी तो मीलों चलें हम और हमें मीलों चलना है। क्योंकि चलना ही नियति है।
- देवेन्द्रराज सुथार
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